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डीजीपी की नियुक्ति को रद्द करने की मांग क्यों कर रही भाजपा, जानें क्या बोले बाबूलाल मरांडी

Jharkhand DGP Appointment Controversy: झारखंड में नियमित डीजीपी की नियुक्ति के बाद उनकी नियुक्ति को रद्द करने की मांग उठने लगी है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने वर्तमान डीजीपी को झारखंड का सबसे विवादित आईपीएस ऑफिसर करार दिया है. उन्होंने उनके कार्यकलापों की जांच कराने की भी मांग की है.

Jharkhand DGP Appointment Controversy: झारखंड के नवनियुक्त नियमित पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विरोध शुरू कर दिया है. झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने नये डीजीपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनकी नियुक्ति को रद्द करने की सरकार से मांग की है. झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री रहे मरांडी ने कहा है कि झारखंड के सबसे विवादित आईपीएस ऑफिसर अनुराग गुप्ता को हेमंत सोरेन की सरकार ने पुलिस महानिदेशक बनाया है. उन्होंने डीजीपी की नियुक्ति को रद्द करने और अनुराग गुप्ता के कार्य कलापों की सीबीआई जांच कराने की मांग की है. उन्होंने न्यायपालिका से अपील की है कि झारखंड हाईकोर्ट इस मामले का स्वतः संज्ञान ले और डीजीपी की नियुक्ति मामले की सुनवाई करे. साथ ही यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में राज्य सरकार के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. मरांडी ने कहा कि भाजपा झारखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने और राज्य में कानून का राज स्थापित करने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी.

यूपीएससी की लिस्ट में नहीं था अनुराग गुप्ता का नाम – मरांडी

बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झारखंड की जनता को धोखे में रखकर हेमंत सोरेन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है. राज्य सरकार ने न सिर्फ संविधान की मर्यादाओं को तोड़ा है, बल्कि राज्य की पुलिस प्रशासन व्यवस्था को अपनी राजनीतिक साजिशों का हथियार बना लिया है. झारखंड के पूर्व सीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में प्रकाश सिंह केस में निर्देश दिया था कि डीजीपी की नियुक्ति यूपीएससी की ओर से जारी पैनल से ही होगी. हेमंत सरकार ने यूपीएससी को दरकिनार कर अपनी मर्जी से अनुराग गुप्ता को डीजीपी बनाया है. यूपीएससी ने जिन लोगों के नामों की अनुशंसा की थी, उसमें अनुराग गुप्ता का नाम नहीं था.

एक्ट पारित नहीं हुआ, तो रूल्स कैसे बना – बाबूलाल मरांडी का प्रश्न

भाजपा नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि जब तक राज्य सरकार कोई नया कानून नहीं बनाती, तब तक यूपीएससी की प्रक्रिया से ही नियुक्ति होगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझने लगे हैं. उन्हें कार्यकारी आदेश (एग्जीक्यूटिव ऑर्डर) और अधिनियम (एक्ट) में अंतर नहीं मालूम. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड सरकार ने वर्ष 2025 में एक नियमावली (रूल्स)बना दिया, जबकि (एक्ट) अधिनियम पारित नहीं हुआ है. कोई भी सरकार पहले एक्ट बनाती है, तब वह रूल्स बनता है. एक्ट पारित नहीं हुआ, तो रूल्स कैसे बन गया?

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‘2025 की नियमावली को पिछली तारीख से लागू करने की कोशिश कैसे की’

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सवाल है कि झारखंड सरकार ने वर्ष 2025 की नियमावली को भूतलक्षी प्रभाव (पिछली तारीख से) से लागू करने की कोशिश क्यों और कैसे की? राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस अवैध प्रक्रिया को अनुमति कैसे दे दी? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कोर्ट के आदेश पर भी दोहरी नीति अपनाते हैं. खुद को निर्दोष बताने के लिए हाईकोर्ट की टिप्पणियों का सहारा लेते हैं, तो सरकार चलाते समय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हैं.

‘2 साल का निलंबन झेल चुके हैं अनुराग गुप्ता, हुई थी प्राथमिकी’

मरांडी ने कहा कि अनुराग गुप्ता चुनावी कदाचार में लिप्त थे. 2 वर्षों का निलंबन झेल चुके हैं. उनके खिलाफ प्राथमिकी तक दर्ज हुई थी. वे झारखंड के सबसे विवादित आईपीसी पदाधिकारी हैं. भाजपा नेता ने कहा कि चुनाव कार्य से भी अनुराग गुप्ता को मुक्त रखा गया था. फिर हेमंत सोरेन की सरकार ने ऐसे पदाधिकारी को डीजीपी क्यों बनाया? क्या हेमंत सरकार ऐसे पदाधिकारी को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी देकर उन्हें बचाना चाहती है?

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‘चुनाव में धांधली के पुरस्कार में अनुराग गुप्ता को बनाया डीजीपी?’

बाबूलाल मरांडी यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि जो अधिकारी अपने गलत कार्यों के लिए 2 वर्ष तक निलंबित रहा, जिसकी नौकरी की वास्तविक उम्र सीमा 30 अप्रैल को समाप्त होने वाली है, ऐसे व्यक्ति को डीजीपी बनाने की जरूरत क्यों हुई? क्या चुनाव में धांधली के पुरस्कार के रूप में अनुराग गुप्ता को डीजीपी बनाया गया? प्रेसवार्ता में मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक, प्रदेश प्रवक्ता अजय साह भी मौजूद थे.

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