Jharkhand DGP Controversy: झारखंड में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सवाल उठाये, तो सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी करारा पलटवार किया. झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा के आरोप को खारिज करते हुए इसे झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में हार के बाद पार्टी की हताशा का संकेत बताया. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति का निर्णय पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया की तरह ही मंत्रिमंडल बैठक में लिया गया था. इसके बाद नियुक्ति की गयी.
झामुमो ने भाजपा की सीबीआई जांच की मांग को किया खारिज
झामुमो ने डीजीपी की नियुक्ति की सीबीआई जांच की भाजपा की मांग को भी खारिज कर दिया. कहा कि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद यह भाजपा की हताशा का संकेत है. झामुमो ने कहा कि अनुराग गुप्ता को डीजीपी नियुक्त करने का फैसला मंत्रिमंडल की बैठक में सामूहिक रूप से लिया गया था.
अनुराग गुप्ता को डीआईजी बनाने पर भाजपा को ऐतराज
इससे पहले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी अनुराग गुप्ता को झारखंड का डीजीपी नियुक्त किये जाने के 2 दिन बाद भाजपा ने बुधवार को उनके खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की. झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने अनुराग गुप्ता को झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 से पहले राज्य के डीजीपी पद से हटा दिया था.
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झारखंड चुनाव से पहले आयोग ने हटाया था अनुराग गुप्ता को
बाबूलाल मरांडी ने पूछा कि जिस पुलिस महानिदेशक को चुनाव आयोग ने हटा दिया था, उसे फिर से डीजीपी बनाने की क्या मजूरी थी. उन्होंने अनुराग गुप्ता के कार्यकाल की सीबीआई से जांच कराने की मांग की. उन्होंने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना भी करार दिया है.
नवंबर 2024 में हेमंत सोरेन सरकार ने गुप्ता को बनाया डीजीपी
बता दें कि चुनाव के बाद नवंबर 2024 में हेमंत सोरेन नीत सत्तारूढ़ गठबंधन फिर से सत्ता में लौटी, तो अनुराग गुप्ता को अतिरिक्त डीजीपी नियुक्त कर दिया गया. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से कहा, ‘झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नीत मौजूदा सरकार अपनी राजनीतिक साजिशों के लिए पुलिस प्रशासन का हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है.’
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यूपीएससी के डीजीपी पैनल लिस्ट में नहीं था अनुराग गुप्ता का नाम
मरांडी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि डीजीपी की नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से अनुशंसित पैनल से होगी. फिर भी हेमंत सोरेन की सरकार ने यूपीएससी को दरकिनार कर अपनी मर्जी से अनुराग गुप्ता को डीजीपी नियुक्त कर दिया. यूपीएससी ने जिन लोगों के नामों की अनुशंसा की थी, उस लिस्ट में अनुराग गुप्ता का नाम नहीं था.
मरांडी का आरोप – विवादास्पद रहा है अनुराग गुप्ता का कार्यकाल
मरांडी ने आरोप लगाया कि गुप्ता का कार्यकाल विवादास्पद रहा है और वह चुनावी कदाचार में शामिल थे. गृह, जेल और आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से सप्ताह की शुरुआत में एक अधिसूचना जारी की गयी थी, जिसमें कहा गया था, ‘अपराध जांच विभाग के महानिदेशक अनुराग गुप्ता को पुलिस महानिदेशक का प्रभार दिया गया है.’
अनुराग गुप्ता को हटाकर अजय कुमार को बनाया गया था डीजीपी
झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ घंटे बाद हेमंत सोरेन की सरकार ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दिया था. उन्हें पिछले चुनावों में ‘चुनाव-संबंधी कदाचार के इतिहास’ के कारण डीजीपी के पद से हटा दिया गया था. निर्वाचन आयोग ने पिछले साल 21 अक्टूबर को उनकी जगह 1989 बैच के झारखंड कैडर के वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह को डीजीपी नियुक्त किया था.
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