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Jharkhand Election 2024: इन 20 सीटों पर बाबूलाल समेत कई की प्रतिष्ठा दांव पर, जानें क्या है मौजूदा हालात

Jharkhand Election 2024: कोयलांचल और रांची के 20 विधानसभा सीटों पर कल मतदान होनी है. इन विधानसभा में कई पर त्रिकोणीय तो कुछ में एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला है.

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे फेज का चुनाव 20 नवंबर को होगा. कुल 38 सीटों पर वोटिंग होगी. इसमें 18 सीटें संताल परगना का है. जबकि 20 सीटें कोयलांचल और रांची जिले की है. इन 20 सीटों में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, कल्पना सोरेन समेत कई लोगों की प्रतिष्ठा दांव पर है. इनमें से कई सीटों पर त्रिकोणीय तो कुछ में एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला है. इन 20 सीटों पर फिलहाल क्या स्थिति है, आईये इसमें एक नजर डालते हैं.

खिजरी

खिजरी सीट पर जमीनी मुद्दों को लेकर भाजपा व कांग्रेस के बीच टक्कर की उम्मीद है. शहरी और ग्रामीण आबादी वाली इस सीट पर जनता किसके पक्ष में फैसला सुनायेगी, कहना आसान नहीं है. चुनाव के अच्छे-अच्छे दिग्गज भविष्यवाणी करने से बच रहे हैं. कांग्रेस ने फिर विधायक राजेश कच्छप पर दांव खेला है. वहीं, भाजपा के प्रत्याशी पूर्व विधायक रामकुमार पाहन हैं. दोनों जमीनी मुद्दों को लेकर जमीन तलाश रहे हैं. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में खिजरी सीट पर जेकेएलएम प्रत्याशी के प्रदर्शन ने सबको चौंकाया था.

सिल्ली

सिल्ली विधानसभा सीट पर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और झामुमो के अमित महतो की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वहीं जेएलकेएम की ओर से देवेंद्र महतो के खड़ा होने से यहां अलग कोण बनता दिखाई पड़ रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में देवेंद्र महतो रांची सीट से चुनाव लड़ कर लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बने. हालांकि इस सीट पर सुदेश महतो की पकड़ रही है.

रामगढ़

कांग्रेस प्रत्याशी ममता और आजसू की सुनीता चौधरी के बीच रामगढ़ विधानसभा में सीधी टक्कर है. इंडिया गठबंधन ने यहां से पूर्व विधायक ममता देवी को मैदान में उतारा है. एनडीए ने उनके खिलाफ उम्मीदवार सुनीता चौधरी को खड़ा किया है. ममता देवी कांग्रेस और सुनीता चौधरी आजसू से हैं. दो महिलाओं के बीच में जेकेएलएम प्रत्याशी पुनेश्वर कुमार भी दम लगा रहे हैं. राज्य गठन के बाद आजसू की यहां मजबूत पकड़ रही है. चंद्रप्रकाश चौधरी के सीट खाली करने के बाद कांग्रेस यहां से जीती थी. कांग्रेस और आजसू से उतरी दो महिलाओं ने मुकाबले को रोचक बना दिया है.

मांडू

मांडू में त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना बन रही है. इस बार मांडू से कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश भाई पटेल मैदान पर हैं. पिछली बार वह भाजपा के टिकट से चुनाव जीते थे. 2014 का चुनाव वह झामुमो के टिकट से जीते थे. झामुमो के दिग्गज नेता रहे टेकलाल महतो के पुत्र जयप्रकाश पटेल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में चले गये थे. वह पूर्व में मंत्री भी रहे हैं. आजसू ने यहां से निर्मल महतो ऊर्फ तिवारी महतो को प्रत्याशी बनाया है. इस बार जेकेएलएम ने बिहारी कुमार को प्रत्याशी बनाया है.

धनबाद

धनबाद भाजपा का गढ़ रहा है. इसलिए इंडिया गठबंधन के लिए इस सीट पर चुनाव जीतना बड़ी चुनौती है. धनबाद में भाजपा ने अपनी मजबूत जमीन बनायी है. राज्य गठन के बाद वह तीन बार चुनाव जीत चुकी है. वहीं, 2009 में एक बार कांग्रेस के मन्नान मल्लिक को मौका मिला था. एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं. भाजपा ने अपने पुराने चेहरे राज सिन्हा पर भरोसा जताया है. वहीं, कांग्रेस ने अजय दुबे को मैदान में उतारा है.

झरिया

झरिया विधानसभा सीट दो परिवारों के राजनीतिक संघर्ष के बीच फंसी है. कोयलांचल की सीट यह दो परिवारों के बीच राजनीतिक रंजिश की गवाह भी है. कोयला नगरी के लिए इस सीट पर दोनों परिवारों की प्रतिष्ठा जुड़ी है. यहां से कांग्रेस ने अपने पुराने चेहरे पूर्णिमा नीरज सिंह पर भरोसा जताया है. वहीं, भाजपा ने पूर्व विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को फिर से मैदान में उतारा है. यहां एक-एक वोट पर दोनों दलों की नजर है. मुकाबला बहुत ही दिलचस्प हो गया है. पूर्णिमा नीरज सिंह के लिए इस चुनाव में सीट बचाने की चुनौती है, तो रागिनी सिंह अपना पारंपरिक सीट जीतने की कोशिश कर रही हैं.

बाघमारा

बाघमारा विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा आमने सामने है. यह सीट बीजेपी के सांसद ढुल्लू महतो की प्रतिष्ठा भी जुड़ी है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए खाता खोलने की चुनौती है. इस सीट से भाजपा सांसद ढुल्लू महतो के भाई शत्रुघ्न महतो चुनावी मैदान में हैं. ढुल्लू महतो इस सीट पर पिछले तीन चुनाव से जीतते रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने इल क्षेत्र के पुराने नेता जलेश्वर महतो को उम्मीदवार बनाया है. जलेश्वर महतो साल 2005 में जदयू के टिकट से यह सीट जीती थी. यह सीट धनबाद के सांसद के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. वहीं, कांग्रेस को राज्य गठन के बाद पहली बार यहां से खाता खुलने की उम्मीद है. निर्दलीय प्रत्याशी रोहित यादव ने प्रत्याशियों की बैचेनी बढ़ा दी है.

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सिंदरी

भाजपा को सिंदरी सीट बचाने के लिए भाकपा माले से कड़ी चुनौती मिल रही है. इंडिया गठबंधन में यह सीट माले के खाते में गयी है. माले ने यहां से विधायक रहे आनंद महतो के पुत्र चंद्रदेव महतो को उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने वर्तमान विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी को मैदान में उतारा है. इंद्रजीत महतो पिछले तीन वर्षों से बीमार चल रहे हैं. इस सीट पर जेकेएलएम ने उषा देवी को मैदान में उतारा है. भाजपा को अपनी सीट बचाने के लिए कड़ी माले से कड़ी टक्कर मिल रही है.

निरसा

निरसा वामदलों का गढ़ रहा है. राज्य गठन के बाद अरूप चटर्जी ने मासस के सहारे यहां दो चुनाव जीता था. मोदी लहर यानी 2014 में भी यह सीट मासस के पास थी. वहीं, 2019 में यहां से भाजपा के टिकट से अपर्णा सेन गुप्ता चुनाव जीती थी. वह 2005 में फॉरवर्ड ब्लॉक से भी विधायक रह चुकी है. इस सीट पर मासस का माले में विलय होने के बाद पार्टी ने अरूप चटर्जी को मैदान में उतारा है. वहीं भाजपा ने अपने पुराने चेहरे अपर्णा सेनगुप्ता पर भरोसा किया है.

टुंडी

झामुमो ने एक बार अपने दिग्गज प्रत्याशी मथुरा महतो को टुंडी से उम्मीदवार बनाया है. यह झामुमो का मजबूत गढ़ रहा है. पिछले चार चुनाव में 2014 को छोड़ झामुमो लगातार जीतता रहा है. मथुरा महतो क्षेत्र में सहजता के लिए जाने जाते हैं. वहीं, भाजपा ने भी इस इलाके में अपनी पकड़ बनायी है. भाजपा ने विकास कुमार महतो पर भरोसा जताया है. वह एकदम नया चेहरा हैं. इधर, जेकेएलएम प्रत्याशी मोती लाल महतो के प्रदर्शन भी सबकी नजर है.

गिरिडीह

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने फिर पार्टी के रणनीतिकार सुदिव्य कुमार सोनू को मैदान में उतारा है. गिरिडीह जिले की इस सीट पर भाजपा ने पुराने चेहरे निर्भय कुमार शाहाबादी को मौका दिया है. यहां मुकाबला लंबे समय से दोकोणीय रहा है. सुदीव्य सोनू पहली बार चुनाव जीतकर आये थे. वहीं, शाहाबादी ने एक बार झाविमो और एक बार भाजपा से जीत हासिल की है. इस बार भी मुकाबला दिलचस्प है. इस सीट पर जयराम महतो की पार्टी जेकेएलएम ने भी प्रत्याशी दिया है.

धनवार

धनवार सीट पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा दांव पर है. बाबूलाल मरांडी लगातार दूसरी बार इस सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं. पिछले चुनाव में उन्होंने झाविमो के टिकट से चुनाव जीता था. इस सीट पर इंडिया गठबंधन की ओर से दो प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं. झामुमो ने निजामुद्दीन और माले ने राज कुमार यादव को चुनाव मैदान में उतारा है. निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन राय के चुनाव में उतरने से भाजपा की बेचैनी बढ़ गयी थी. हालांकि शनिवार को निरंजन राय ने भाजपा की सदस्यता ले ली.

बगोदर

बगोदर विधानसभा सीट माले की गढ़ मानी जाती है. यहां पिछले 24 वर्ष में माले को छोड़कर सिर्फ एक बार ही दूसरे दल के प्रत्याशी चुनाव जीत पाये हैं. 2014 में भाजपा के नागेंद्र महतो ने माले के विनोद सिंह को पराजित किया था. वर्ष 2000 में माले के टिकट से महेंद्र सिंह विधायक बने. नक्सलियों द्वारा उनकी हत्या हो जाने के बाद इनके बेटे विनोद सिंह ने विरासत संभाली. लगातार दो टर्म 2005 व 2009 में विनोद सिंह विधायक बने. इसके बाद साल 2019 में विनोद सिंह ने फिर सो अपनी खोयी सीट हासिल की.

जमुआ

भाजपा विधायक केदार हाजरा ने 2024 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पाला बदल लिया. वहीं, भाजपा ने इस सीट पर चेहरा बदला है. मंजू देवी को भाजपा ने टिकट दिया, तो केदार हाजरा झामुमो में चले गये. यह सीट भाजपा और झामुमो के बीच सीधी टक्कर में फंसी है. दोनों ही दलों के लिए साख वाली सीट रही है. कोडरमा संसदीय क्षेत्र की यह सीट आसपास की कई सीटों पर असर डालती है.

गांडेय

गांडेय विधानसभा सीट से इस बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन चुनाव मैदान में हैं. झामुमो ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है. वहीं, उनके खिलाफ भाजपा ने मुनिया देवी को चुनाव मैदान में उतारा है. वर्ष 2000 से इस सीट पर इंडिया गठबंधन की पकड़ रही है. सिर्फ एक बार वर्ष 2014 में भाजपा से जय प्रकाश वर्मा यहां से चुनाव जीते हैं. वर्ष 2000 व 2005 में झामुमो के टिकट से सालखन सोरेन चुनाव जीते. 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर सरफराज अहमद विधायक बने थे.

बोकारो

स्टील सिटी की इस सीट पर सबकी नजर है. भाजपा ने सदन के सचेतक बिरंची नारायण को उम्मीदवार बनाया है. बिरंची नारायण लगातार दो चुनाव से इस सीट से जीतते आ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने इस सीट से इलाके के दिग्गज नेता रहे स्व समरेश सिंह की बहू श्वेता सिंह को मैदान में उतारा है. इस सीट पर भाजपा कांग्रेस आमने-सामने है. कांग्रेस के सामने भाजपा के गढ़ में सेंधमारी करने की चुनौती है. इस सीट से समरेश सिंह भी कई बार चुनाव जीत चुके हैं.

चंदनकियारी

चंदनकियारी सीट से भाजपा की साख दावं पर है. भाजपा के विधायक दल के नेता अमर कुमार बाउरी मैदान में हैं. वहीं आजसू कोटे से राज्य में मंत्री रहे उमाकांत रजक को झामुमो ने प्रत्याशी बनाया है. एनडीए गठबंधन में यह सीट भाजपा के खाते में जाने के बाद उमाकांत ने पाला बदल लिया है. इस सीट पर मुकाबला बहुत ही दिलचस्प बताया जा रहा है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर जेकेएलएम ने भी उम्मीदवार उतारा है. वहीं, जयराम महतो की पार्टी ने अर्जुन रजवार को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया है.

डुमरी

डुमरी विधानसभा सीट पर मंत्री बेबी देवी की प्रतिष्ठा दांव पर है. झामुमो ने उन्हें एक बार फिर से प्रत्याशी बनाया है. वहीं एनडीए में शामिल आजसू ने यहां से यशोदा देवी को चुनाव मैदान में उतारा है. जेएलकेएम के अध्यक्ष जयराम महतो के चुनाव मैदान में उतरने से यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार नजर आ रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में डुमरी विधानसभा से जयराम महतो ने यहां से बढ़त हासिल की थी. ऐसे में उन पर भी निगाहें टिकी हुई हैं.

गोमिया

गोमिया विधानसभा में सभी दलों को जीत के लिए खूब पसीना बहाना पड़ रहा है. यह सीट त्रिकोणीय संघर्ष में फंस गया है. वर्तमान विधायक डॉ लंबोदर महतो आजसू से उम्मीदवार हैं. उनके सामने झामुमो और जेकेएलएम चुनौती बनकर खड़े हैं. झामुमो ने अपने पूर्व विधायक योगेंद्र महतो को मैदान में उतारा है. वहीं, जयराम महतो ने पूजा कुमारी को मौका दिया है. यहां हर दल एक दूसरे के वोट में जबरदस्त सेंधमारी कर रहे हैं.

बेरमो

बेरमो विधानसभा इन दिनों हॉट सीट बन गया है. जयराम महतो ने यहां का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है. जयराम महतो इस सीट से जेकेएलएम के प्रत्याशी हैं. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी अनूप सिंह को अपनी राजनीतिक विरासत बचाने की चुनौती है. गिरिडीह से सांसद रहे रवींद्र पांडेय को भाजपा ने यहां से अपना उम्मीदवार बनाकर नया दांव चला है. इस सीट पर मुकाबला कांटे का है. कोयला बहुल इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष दिख रहा है.

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