चारा घोटाले के 27 साल पुराने अंतिम मामले केस (कांड संख्या आरसी 48 ए/96) में शेष 35 अभियुक्तों को शुक्रवार को सजा सुनायी गयी. डोरंडा कोषागार से 36.59 करोड़ की अवैध निकासी से जुड़े इस केस की सुनवाई करते हुए सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने उक्त अभियुक्तों को अधिकतम चार-चार साल की सजा सुनायी है. साथ ही सभी पर कुल मिलाकर चार करोड़ दो लाख 85 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. सबसे कम जुर्माना राशि 75 हजार रुपये तय गयी.
जबकि, सबसे अधिक जुर्माना राशि एक करोड़ रुपये निर्धारित की गयी, जो तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी गौरी शंकर प्रसाद पर लगाया गया है. सबसे कम 75-75 हजार जुर्माना पशुपालन पदाधिकारी डॉ रवींद्र कुमार सिंह व डॉ फणींद्र कुमार त्रिपाठी लगाया गया है.
आपूर्तिकर्ता सुरेश दुबे को पिछली बार फरार घोषित करते हुए वारंट जारी किया गया था, वह अभियुक्त शुक्रवार को भी अदालत में हाजिर नहीं हुआ, इसलिए उसे सजा नहीं सुनायी गयी. गौरतलब है कि इस मामले में 124 आरोपी ट्रायल फेस कर रहे थे. इससे पहले 28 अगस्त को भी इस मामले में सुनवाई हुई थी. उस दैरान 35 आरोपियों को रिहा कर दिया गया था. जबकि, 53 अभियुक्तों को दो से तीन साल की सजा सुनायी गयी थी, जिन्हें निचली अदालत ने बेल दे दिया था. शेष 35 अभियुक्तों की सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए एक सितंबर की तारीख तय की गयी थी. मामले में सीबीआइ की ओर से विशेष लोक अभियोजक रविशंकर ने पैरवी की.
पशुपालन विभाग के तत्कालीन रीजनल डायरेक्टर कृष्ण मोहन प्रसाद बीमार हैं. फिलहाल वह रिम्स में भर्ती हैं. अदालत ने उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये चार साल के कारावास और पांच लाख रुपये जुर्माना भरने की सजा सुनायी.
सुनवाई के दौरान कई अभियुक्तों की उम्र अधिक होने के कारण उन्हें सिपाहियों ने सहारा देकर अदालत तक पहुंचाया था. अदालत में भीड़ न हो जाये, यह सुनिश्चित करते हुए अभियुक्तों को पांच-पांच के समूह में बुला कर सजा और जुर्माने की राशि के बारे में जानकारी दी गयी. कुछ अभियुक्त नेता की तरह हाथ उठा कर मीडिया को पोज दे रहे थे, जबकि कुछ अभियुक्त मीडिया से बचना चाह रहे थे.
तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी गौरी शंकर प्रसाद के साथ उनके पुत्र शरद कुमार भी इस मामले के अभियुक्त थे. अदालत ने पिता-पुत्र दोनों को चार-चार साल की सजा सुनायी. शरद कुमार आपूतिकर्ता के रूप में सूचीबद्ध हैं. इन पर 40.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया. गौरीशंकर प्रसाद बीमार होने के बावजूद कोर्ट आये, लेकिन कोर्ट हाजत के अंदर ही रहे. सजा और जुर्माना सुनाये जाने के बाद उनसे कोर्ट हाजत में हस्ताक्षर लिये गये. 28 अगस्त को भी गौरीशंकर एंबुलेंस से कोर्ट पहुंचे थे. मामले में दोषी करार दिये गये जुनुल भेंगराज कोर्ट परिसर पहुंचे, तो अपने बैठने के लिए मचिया साथ लाये थे. जुनुल पशुपालन विभाग के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक थे. उन्हें चार साल जेल के साथ ही पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी गयी.
चारा घोटाले में देवघर कोषागार से 89 लाख की अवैध निकासी के मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की सजा की अवधि बढ़ाने के लिए सीबीआइ की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाइकोर्ट में आंशिक सुनवाई हुई. जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने अगली सुनवाई के लिए 27 सितंबर की तिथि तय की है. सीबीआइ ने इस मामले में लालू प्रसाद की सजा की अवधि बढ़ाने का आग्रह किया है. सीबीआइ की ओर से कहा गया है कि इस मामले में निचली अदालत ने लालू प्रसाद को साढ़े तीन साल की सजा सुनायी है, जबकि एक ही आरोप में इसी मामले के अन्य दोषियों को सात साल तक की सजा सुनायी गयी है.