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केंद्र सरकार झारखंड को सूखा राहत मद में 502 करोड़ ही देगी, कहा- अपने आपदा कोष से खर्च करें

अब भारत सरकार ने राज्य सरकार को जानकारी दी है कि वर्तमान परिस्थिति में झारखंड को सूखा राहत की राशि देना संभव नहीं है. झारखंड सरकार ने जिस आधार पर सूखाग्रस्त होने का दावा किया था, वह तकनीकी रूप से उचित नहीं है.

रांची, मनोज सिंह : केंद्र सरकार झारखंड को सूखा राहत मद में 502 करोड़ रुपये देगी, जबकि राज्य सरकार ने 9131 करोड़ रुपये की मांग की थी. केंद्र सरकार राज्य को एग्रीकल्चर इनपुट सब्सिडी में 407.24 करोड़ और ऐच्छिक राहत मद में 95.28 करोड़ रुपये देगी. राज्य सरकार ने बीते वर्ष (2022) खरीफ की फसल के समय बारिश नहीं होने के कारण 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया था. सरकार ने इसकी सूचना अक्तूबर में केंद्र सरकार को दी थी. भारत सरकार ने राज्य को भेजे पत्र में कहा है कि आपदा की स्थिति में राज्य सरकार अपने आपदा फंड से खर्च कर सकती है. अगर राज्य सरकार वर्ष 2022 के सूखे में खर्च करना चाहती है, तो इसके लिए समुचित राशि राज्य आपदा रिलीफ फंड (एसडीआरएफ) में जमा है. राज्य के आपदा फंड में करीब 3000 करोड़ रुपये रहते हैं.

राज्य की सूचना पर केंद्र सरकार ने जनवरी में जांच टीम झारखंड भेजी थी. टीम ने तीन दिनों तक सभी प्रमंडलों का दौरा किया था. अब भारत सरकार ने राज्य सरकार को जानकारी दी है कि वर्तमान परिस्थिति में झारखंड को सूखा राहत की राशि देना संभव नहीं है. झारखंड सरकार ने जिस आधार पर सूखाग्रस्त होने का दावा किया था, वह तकनीकी रूप से उचित नहीं है. इसमें बताया गया है कि जब फसल नहीं लगी, तो उसका मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है. जो फसल लगी है उसके नुकसान की भरपाई की जा सकती है.

राज्य सरकार ने केंद्रीय टीम को बताया था कि राज्य के 226 प्रखंडों में स्थिति बेहद खराब रही. 90 दिनों तक 22 लाख परिवारों को काम का संकट रहा. हर परिवार के दो लोगों को रोजगार नहीं मिला. यानी करीब 42 लाख लोगों के समक्ष काम का संकट रहा. इनको सहयोग देने के लिए 9139 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. किसानों के समक्ष पेट पालने का संकट हो गया था, इसलिए राज्य सरकार ने तत्काल राहत के रूप में प्रति परिवार 3500 रुपये उपलब्ध कराये. केंद्रीय टीम को बताया गया था कि सूखे से राज्य के करीब 30 लाख किसान प्रभावित हुए हैं.

अब तक 10 लाख किसानों को ही मिली है मदद, 23 लाख अभी भी इंतजार में

वर्ष 2022 में राज्य के कुल 33 लाख 62 हजार 823 किसानों ने सूखा राहत के लिए आवेदन दिया था. इनमें से करीब 10 लाख किसानों को राज्य सरकार ने प्रति किसान साढ़े तीन हजार रुपये की सहायता राशि दी है. आवेदन करनेवाले किसानों में 17 लाख 49 हजार 806 वैसे हैं, जिन्होंने कम बारिश के कारण बुआई ही नहीं की. वहीं 10 लाख 259 किसानों ने फसल तो लगायी, लेकिन उनकी एक तिहाई फसल क्षतिग्रस्त हो गयी. वहीं 6 लाख 12 हजार 758 वैसे भूमिहीन कृषक मजदूर हैं , जो इस आपदा से प्रभावित हुए हैं. अभी भी राज्य के लगभग 23 लाख किसान राहत का इंतजार कर रहे हैं. इसी बीच लगातार दूसरे साल इस बार भी राज्य में सूखे की आहट दिख रही है.

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वर्ष 2022 का सूखा : कुछ तथ्य

  • वर्ष 2022 में 15 अगस्त तक 658 मिमी की जगह, 426.3 मिमी बारिश हुई.

  • मॉनसून के दौरान 2827460 हेक्टेयर की तुलना में 1051441 हेक्टेयर में ही खेती हुई, जो करीब 65 फीसदी कम है.

  • 400 करोड़ बांटे गये किसानों के बीच सूखा राहत मद में अब तक

  • 42 लाख से अधिक लोगों को नहीं मिला 90 दिनों तक काम

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