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Jharkhand Foundation Day: धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा कर अमर गाथा

Jharkhand Foundation Day: 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस सह भगवान बिसरा मुंडा की जयंती मनाई जाएगी. बिरसा मुंडा को भगवान का दर्जा प्राप्त है. आइए जानते है धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के अमर गाथा के बारे में...

My Mati: ईगाथा एइसन महान लोक कर हेके जिके ई संसार कोर लोक जोबतक जिबञय याइद राखबञय. इनकर जनम मुंडा जनजातिइञ गोरीब छोटे किसान घरे 15 नवंबर 1875 ईसवी माहने होय रहे. इनखर बाप कर नांव सुगना (पूरती) मुंडा आर माञय कर नांव करमी (पूरती) मुंडा रहे. मुंडा रीति रिवाज कर अनुसार इनकर नाम बृहस्पतिवार कर दिन में जनम होवेक चलते बिरसा रखालक रहे. इनकर जनम खूंटी जिला कर अड़की प्रखंड कर उलीहातू गांव महाने होय रहे. इनकर बचपन कर नांव दाऊद मुंडा रहे. उलीहातू गांव जिला मुख्यालय लेक 30.4 किलोमीटर दूर आहे. बादे ई मन चलकञद गांव में जायकन बइस गेलंय चलकञद गांव आगे चइलकन बिरसा मुंडा कर देखावल डहर में चलवया (अनुयायी) मनक तिरिथ असथान बनलक.

इनकर प्रारंभिक शिक्षा सलगा गांव लेक होय रहे, फिन बाद में ई चाईबासा कर जीइएल चर्च गोस्नर आर जिलकल लुथर लेको पढ़ाई करलञय. बिरसा मुंडा जखन गुरजू मिशन स्कूले पढ़ाई करत रहञय ऊ खने ईसाई मिशनरी बेसी कइरकन जर्मन लूथरन और रोमन कैथोलिक ईसाई मने जोरगर जमीन कर आंदोलन चलात रहञ. बिरसा मुंडा मिशनरी मनकर मेल-मिलाप आर प्रचार-प्रसार माहने नजइर राखत रहञ कुछ दिन कर पाछे कुछ आपसी तालमेल कर चलते उनखे स्कूल लेक निसकाय देल गेलक. बछर 1886 लेक 1890 तक ऊ चाईबासा माहने रहलञय. बछर 1890 माहने जखन उ घुइरकन आपन गांव आलञय तखन इनकर मे बहुत भारी बदलाव आलक इ रामायण में राम-लछुमन आर महाभारत कर कृष्ण आर अर्जुन ंकर काम कर कहनी मनके बहुत ध्यान सिर सुनञय जिकर इनकर उपरे बहुते प्रभाव पड़लक. ओहे समय इ हिंदू बाभन आनंद पांडे कर संगति में आलञय आर धर्म-कर्म कर संगे-संग इ गांव कर लोक कर सेवा माहनव लाइग गेलञय.

बिरसा मुंडा ईसाई मिशनरी कर काम लेक खुश नी रहंय सेकर चलते इ आदिवासी मनके जइसन बुढा़ पुरखा लेक चइल आय रहे उसने संस्कृति के फिन से लानेकर जोरगर कोशिश करे लगलञय. बिरसा मुंडा जे मुंडा मने ईसाई बन रहंय उमनके एक संग मिलायकर कोशिश करलञय आर उ राजनीत कर उद्देश्य खातिर धर्म कर भी सहारा लेलञय.

बिरसा मुंडा ईसाई मिशनरी कर खिलाफ रहञय कालेकि उमन मुंडा समाज के दुइ भाग माहने बांट दे रहंय. बछर 1893-94 माहने बिरसा मुंडा वन विभाग जखन बंजर भूमि के कबजीयात रहे उकर खिलाफ आंदोलन में भाग लेलञय. मुद्दा उ मुंडा जाति के संगठित नी करे पारलंय लेकिन उ हार नी मानलंय.

समय बितते-बितते बिरसा आंदोलन धीरे-धीरे जन आंदोलन कर रूप लेय लेलक. सावन मास बछर 1895 ईसवी बिरसा मुंडा एगो नावा धरम सिंगबोंगा धर्म बनालञय आर सब लोक के उकर में जोड़े लागलञय उकर में उ बगरा देवी-देवता(बोंगा) मनके पूजेक छोइड़कन एगो देवता सिंगबोंगा कर पूजा-पासा करे कर संदेश देवे लागलञय. आपन पूजा करेकर जगह (मंदिर) के छोइड़कन गांव कर सरना के मान्यता दिलञय. पशु कर बली कर विरोध करलञय, मांस मदिरा का सेवन कर भी विरोध करलञय. सीधा-साधा सबद में कहल जाय तो उ एगो भगवान के मनवइया रहञय. ऊ सिंगबोंगा धर्म के मनवइया मनक आतमसुदधी कर खातिर नैतिक गुण कर विकास करे खातिर कुछ नियम कानून बनालञय. संगे संगे आपन आपके सिंगबोंगा कर दूत घोषित करलञय आर एहो कहे लागलञय की सिंगबोंगा उनखे केकरो जर-बेजार बेस करेकर चमतकारीक ताकत देलञय हे, आर जेकर से ऊ आपन अनुयायी के केऊ भेदे नी पारबञय तइसन बनाय देबञय आर दुश्मन मनक बंदूक कर गोली के पानी बनाय देबञय कहलञय.

कुमार सुरेश सिंह बेसे लिख हञय कि बिरसा मुंडा मुक्तिदाता रकम इसने नी परगट भेलञय रहे बल्कि उ समय कर परिस्थिति आर दोसर-दोसर धर्म कर सीख आर उकर में जे सही लागलक उकर में चलेकर चलते बिरसा भगवान कहालञय.

बछर 1895 ईसवी कर समय लगान माफ करूवाइक कर खातिर आदिवासी आर स्थानीय लोक मनके जमा करे लागलञय आर अंग्रेज मनक खिलाफ लड़ाई लड़े लागलञय. ऐहे बीच में ईसाई मिशनरी मन अंग्रेजी सरकार के बिरसा मुंडा कर खिलाफ भड़कालञय, 22 अगस्त 1895 के निर्णय लेवल गेलक की बिरसा मुंडा के जेहेल भेजे खातीर वारंट निसकाल जाय आखिरकार बिरसा मुंडा के गिरफ्तार कइरकन मुकदमा चलाल गेलक. भारतीय दंड संहिता कर नियम 505 कर अनुसार दोसी माइनकन उनखे दुई बछर कर सश्रम जेल कर सजा सुनाल गेलक. बिरसा मुंडा कर ऊपर ई सजा कर आर जोर जबरजस्ती दबाव कर बहुते बुरा असर पड़लक. बिरसा मुंडा कर जेहेल होवेकर चलते मुंडा समाज कर सब लोक डराय गेलञय, ईसाई मिशनरी मने फिन से धर्म परिवर्तन कर काम में पूरा जोर-शोर से जुइट गेलञय आर बहुते कर धर्म परिवर्तन करूवालञय.

महारानी विक्टोरिया कर शासन कर हीरक जयंती कर उपलछ में 30 नवंबर 1897 के बिरसा मुंडा के हजारीबाग जेहेल लेक छोइड़ देवल गेलक. जेहेल लेक छुटेक बादे बिरसा मुंडा दूई बरीस तक आपन समर्थक मनके एकजुट करे में लाइग गेलञय. हजारों हजार आदिवासी मने झुंड के झुंड उनके देखे आर सुने आवे लागलञय. आपन मनवइया मन के तीर आर तरवाइर चलायकर शिक्षा कर जोगाड़ करलञय आर आपन मनवइया में से हे गया मुंडा के तीर आर तरवाइर आर लड़ाई सीखायकर जिम्मा देलञय उके आपन सेना अध्यक्ष बनालञय. बिरसा मुंडा बहुते जल्दी 6000 अईसन मुंडा कर दल तैयार करलञय जेमन बिरसा मुंडा कर खातिर अपन जान देवेले कोनहों समय होले तैयार रहञय. आब बिरसा मुंडा नेता बइन गेलञय आर धार्मिक आंदोलन आब किसान मजदूर मनक राजनीतिक आंदोलन में बदइल गेलक. बिरसा मुंडा प्रचार करे लागलञय की जोन मुंडा मने उनकर साथ नी देबञय उमनकर नास होय जाई. आब ऊ ड़ींड़ोरा पीटे लागलञय आर कहे लागलञय ” अबुआ राज ऐटेजाना महारानी राज टूंड़ू”(माने ऐबार मुंड़ाराइज शुरू होय गेलक आर महारानी विक्टोरिया कर राइज खतम होई गेलक). बिरसा मुंडा, मुंडा मनके लगान नी देवे कर आदेस दिलञय.

बिरसा मुंडा एइसन समाज बनाय चाहत रहञय जहां की अंग्रेज आर भारतीय शोसक कर नामोनिशान नय रहे आर ऊ कलजुग का जगह सतजुग कर स्थापना करे चाहत रहञय. 1899 ईसवी बड़का परब कर एक दिन पहिले कर साइञज बेरा बिरसा मुंडा, मुंडा जाति कर शासन बनाय कर खातिर विद्रोह कर ऐलान कइर देलञय. सीकर खातिर ई आपन सउब अनुयायी मनके ठेकेदार, जिमीदार, राजा, हाकीम आर ईसाई के मारेक ले उसकाय लागलञय. ऊ कहलञय कि दीकु मन से हमरे कर लड़ाई होवी आर उमनकर लहू से भूंई एइसन लाल होवी जइसञ लाल झंडा होवेला. बिरसा मुंडा के मनवइया मन आब आपन तीर कमान लेकन तैयार होय गेलञय, गिरजाघर मन में आईग लगाईक शुरू कईर देलञय ई आंदोलन में बेटीछौवा मन भी बईढ़- चईढ़ के भाग लेलञय.

पौष मास 1900 कर समय रहे बिरसा मुंडा डोमबारी पहाड़ में जनसभा के संबोधित करत रहञय ओहे समय अंग्रेज मन से लड़ाई में बहुत जनाना आर छउवा मन काल कर गाल में समाय गेलञय. पाछे 3 फरवरी 1900 ईसवी कर दिने चक्रधरपुर कर जमकोपाई गांव लेक अंग्रेज मन बिरसा मुंडा के गिरफ्तार करलञय, अंग्रेज मन के इनकर से एतना डर होई गेलक की 9 जून 1900 कर दिन रहे ऊ दिन उमन इनखर खाना में जहर डाइल देलञय जेकर चलते इनखर जान चइल गेलक. अंग्रेज मन के आदिवासी विद्रोह कर एतना डर होय गेलक रहे कि राइते के उमन भगवान बिरसा मुंडा के रांची कोकर कर डिसलरी पुल कर पासे जलाय देलञय.

ई जाईगागह एखन इनकर समाधि स्थल बनल आहे. इनकरे आंदोलन कर परिणाम रहे की सरकार के मजबूर होयकन के लिस्टर आर जाञन रीड़ दुईगो अंग्रेज कर अधीन 1902 से 1910 तक रांची जिला माहने भूमि कर पैमाइश आर बंदोबस्ती कर कार्रवाई करल गेलक ऐहे आंदोलन कर परिणाम रहे कि मुंडा मनक जमीन से संबंधित खतियान तैयार करल गेलक आर छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 लागू करल गेलक. आइज भलेहे भगवान बिरसा मुंडा हामरेकर बीचे नखञय मुद्दा मुंडा समाज आइझो उनखे ”बिरसा भगवान, धरती आबा, धरती कर पिता, विश्व पिता कर अवतार आदि कर रूप में याद करञला. आइज भले ऊ हामरे मनक बीच में नखञय मुद्दा आपन करम से ऊ अमर भे गेलञय. इनकर जयंती के जनजातिय गौरव दिवस कर रुप में मनायकर भारत सरकार 10 नवंबर 2021 के घोषणा करलञ.

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