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झारखंड गौरव सम्मान: प्रभात खबर ने इन विभूतियों को किया सम्मानित

प्रभात खबर की 40वीं वर्षगांठ पर आयोजित झारखंड गौरव सम्मान समारोह में 40 विभूतियों को सम्मानित किया गया. राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने विशिष्ट योगदान के लिए इन्हें सम्मानित किया.

रांची: प्रभात खबर की 40वीं वर्षगांठ पर आयोजित झारखंड गौरव सम्मान समारोह में झारखंड के 40 विभूतियों को सम्मानित किया गया. राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार के साथ राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने समाज में विशिष्ट योगदान के लिए इन्हें सम्मानित किया. मौके पर अतिथियों ने डाक विभाग द्वारा ‘प्रभात खबर’ की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर जारी किये गये डाक टिकट का विमोचन भी किया.

इन्हें मिला झारखंड गौरव सम्मान

  1. अंजनी कुमार सहाय : बरियातू (रांची) में पले-बढ़े व रांची विवि में मानवशास्त्र विभाग के प्रोफेसर रहे डॉ केएन सहाय के पुत्र अंजनी कुमार सहाय वर्ष 2003 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं. स्पेन, मैक्सिको, वेनेजुएला में सेवा देने के बाद जनवरी 2020 में माली (अफ्रीका) में भारत के राजदूत रहे. पिछले वर्ष माली में झारखंड के फंसे 33 मजदूरों को भारत वापस कराने में अहम भूमिका निभायी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात में माली की चर्चा की.
  2. डॉ अरुण उरांव : डॉ अरुण उरांव पंजाब कैडर के आइपीएस अधिकारी रहे. वीआरएस लेकर झारखंड लौटे. अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले समाज सेवा शुरू की. कार्तिक उरांव रात्रि पाठशाला की शुरुआत 2014 में मांडर प्रखंड के उचरी गांव से की. रांची, गुमला और लोहरदगा जिला में आज 130 रात्रि पाठशाला चल रही है. इसमें 250 शिक्षक करीब 5000 छात्रों को निःशुल्क पढ़ा रहे हैं. रात्रि पाठशाला में अंग्रेजी, विज्ञान और गणित विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाता है. चुनिंदा पाठशाला में कंप्यूटर शिक्षा भी प्रदान की गयी है.
  3. प्रो अशोक प्रियदर्शी : प्रो प्रियदर्शी वरिष्ठ साहित्यकार हैं. कई पुस्तकों का लेखन किया है. रांची विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष भी रहे. इनकी 100 से अधिक कहानियां और 1000 से ज्यादा व्यंग्य प्रकाशित हुए हैं. इन्हें 33वां राधाकृष्णन पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले हैं.
  4. केयर फॉर्म लैब्स : रांची के न्यू पुंदाग के प्रमोद प्रिय रंजन ने एमआइटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन पुणे से पढ़ाई करते हुए स्टार्टअप की शुरुआत की. सैनिटरी नैपकिन का विकल्प ‘कप मैन’ तैयार किया. इसकी आसान उपयोगिता देख देश-विदेश से प्रमोद के स्टार्टअप को प्रोडक्ट उत्पादन के लिए फंडिंग मिली. स्टार्टअप को नीति आयोग ने सराहा. प्रमोद की सफलता को फोर्ब्स ने भी सराहा और फरवरी 2024 में डिजाइनिंग के क्षेत्र में उन्हें अंडर-30 में जगह दी.
  5. डीएनएस आनंद : पत्रकार एवं विज्ञान संचारक. अंधविश्वास विरोधी अभियान का भी संचालन किया. 1987 के भारत जनविज्ञान जत्था में भागीदारी रही. 30 वर्षों से झारखंड में विज्ञान कांग्रेस का आयोजन एवं समन्वयन. अलग झारखंड निर्माण के बाद से साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड के महासचिव एवं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के समन्वयक की भूमिका निभा रहे हैं.

इन्हें मिला झारखंड गौरव सम्मान

  1. डोमिनिक बाड़ा : मूलरूप से गुमला निवासी डोमनिक बाड़ा की संस्था विकास मैत्री आदिवासी समाज के उत्थान के लिए वर्षों से प्रयासरत रही है. श्री बाड़ा साहित्यकार और अनुवादक भी हैं. प्रारंभिक जर्मन मिशनरियों द्वारा जर्मनी भेजी गयी रिपोर्ट पर आधारित उनकी पुस्तक द आदिवासीज देयर फर्स्ट एनकाउंटर विद मिशनरीज को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है.
  2. गुरुनानक होम फॉर हैंडीकैप : इसकी स्थापना फरवरी 1970 में हुई. यह संस्थान जाति, पंथ, धर्म या लिंग के भेद के बिना मानवता की सेवा के लिए समर्पित है. संस्था का मुख्य उद्देश्य शारीरिक रूप से दिव्यांग बच्चों को मुफ्त इलाज प्रदान करना है. यहां 80 इनडोर बेड हैं, जिन्हें सौ बेड तक बढ़ाया जा सकता है. दिव्यांग बच्चों को मुफ्त इलाज के साथ मुफ्त भोजन और आवास दिया जाता है. संस्थान की ओर से डॉ अनिल कुमार पांडेय ने सम्मान लिया.
  3. झारखंड पुलिस (साइबर सेल) : साइबर फ्रॉड रोकने के लिए प्रतिबिंब ऐप बनाया. यह ऐप काफी कारगर हुआ और इसे देशभर में सराहा गया. बड़ी संख्या में साइबर फ्रॉड इस ऐप की मदद से पकड़े भी गये. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इसके लिए झारखंड पुलिस की तारीफ की है.
  4. मंजू कच्छप : नगड़ी प्रखंड स्थित देवरी गांव की रहनेवाली मंजू कच्छप का नाम कुशल महिला कृषक के रूप में लिया जाता है. इन्होंने गांव में बेकार पड़ी जमीन पर एलोबेरा की खेती शुरू की. 2019 में बिरसा कृषि विवि के सहयोग से खेती शुरू की. शुरुआती दौर में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. धीरे-धीरे रांची शहर से व्यापारी एलोवेरा खरीदने पहुंचने लगे. मंजू ने गांव की अन्य महिलाओं को भी इस व्यवसाय से जोड़ा. देखते-देखते पूरे गांव में एलोबेरा की खेती शुरू होने लगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मंजू कच्छप के प्रयास की सराहना कर चुके हैं.
  5. डॉ मैरी : डॉ मैरी मुख्य रूप से गोड्डा जिले के ललमटिया के डकैता गांव के समीप सेंट लुकस हॉस्पिटल में चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित हैं. उनकी सेवा और लोगों के प्रति आत्मिक जिम्मेदारियों ने इन्हें क्षेत्र में एक पहचान दिलाने का काम किया. डॉ मैरी ने कोविड-19 के समय सैकड़ों रोगियों का इलाज किया. महामारी के दौरान लोगों के प्रति सेवा भाव और कार्य के प्रति लगन को देखते हुए डॉ मैरी को संत टेरेसा की संज्ञा दी गयी है.

इन्हें मिला झारखंड गौरव सम्मान

  1. डॉ मयंक मुरारी : डॉ मयंक मुरारी आधुनिक समय में भारतीय समाज, साहित्य, इतिहास, परंपरा और दर्शन विषय पर लिखते हैं. वर्ष 1991 से वह लगातार लेखन, चिंतन और अध्यवसाय में लगे हुए हैं. अपने 30 वर्षों के सार्वजनिक जीवन में अखबारों एवं पत्रिकाओं में अब तक 600 से अधिक आलेख और 15 से अधिक किताबें लिख चुके हैं. उन्हें विद्यावाचस्पति, झारखंड रत्न, सिद्धनाथ कुमार साहित्य स्मृति सम्मान, एपेक्स इंडिया गोल्ड एवार्ड और जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान आदि मिल चुका है.
  2. मृणाल बक्शी : मशहूर सेफ. जमशेदपुर में जन्म हुआ और यहीं पले-बढ़े. होटल इंडस्ट्री में इनका लंबा कार्यानुभव है. 1993 में होटल ताज बंगाल से अपने करियर की शुरुआत की. देश-विदेश में अपनी सेवाएं दीं. झारखंड के लोगों को अलग-अलग तरह के भोजन के लिए बाहर न जाना पड़े, इसके लिये कई फूड फेस्टिवल आयोजित किये. मृणाल प्रसिद्ध शेफ संजीव कपूर के साथ भी मंच शेयर कर चुके हैं.
  3. नागरमल मोदी सेवा सदन : समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी नागरमल मोदी और मोदी परिवार द्वारा इस अस्पताल की स्थापना की गयी. वर्ष 1958 में मात्र पांच बेड से मातृ चिकित्सा गृह नाम से स्थापित नागरमल मोदी सेवा सदन निरंतर बढ़ता गया. वर्तमान में सेवा सदन 230 बेड का अस्पताल हो गया है. यहां सिर्फ 200 रुपये में ओपीडी की सेवा दी जाती है. अस्पताल में 19 विभाग स्थापित है. वर्ष 2024 में हृदय विभाग की स्थापना की गयी है, जिसमें कैथलैब की सुविधा है. सचिव आशीष मोदी और अध्यक्ष अरुण छावछरिया ने सम्मान ग्रहण किया.
  4. नंदलाल नायक : नंदलाल नायक झारखंड के लोक कलाकार हैं. पिता पद्मश्री मुकुंद नायक से संगीत की बारीकियां सीखी. नागपुरी संगीत को लेकर उन्होंने काफी काम किया है. नागपुरी गीतों के साथ आधुनिक संगीत का फ्यूजन उनकी विशेषता है. नंदलाल नायक ने झारखंड के अलावा देश और विदेश के मंच में अपनी कला का प्रदर्शन किया है. उनका अपना संगीत ग्रुप है. उन्होंने कई नागपुरी तथा क्षेत्रीय फिल्मों में भी संगीत दिया है.
  5. नीरज कुमार : हजारीबाग के हुरहुर के रहनेवाले नीरज 2006 से अब तक करीब 800 अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. 1500 घायलों को नि:शुल्क अस्पतालों तक पहुंचाया. निजी खर्चे से लोगों की सहायता करने के लिए एंबुलेंस चलवाते हैं.

इन्हें मिला झारखंड गौरव सम्मान

  1. रवि प्रकाश : रवि प्रकाश लंग्स कैंसर से पीड़ित हैं. कैंसर के फोर्थ स्टेज में हैं, लेकिन शिद्दत और ऊंचे मनोबल से लड़ रहे हैं. कैंसर को लेकर जागरूकता में लगे हैं. कैंसर वाला कैमरा के नाम से फोटोग्राफी का संकलन किया. पुस्तकें और लेख लिखते रहे. कई संस्थानों ने रवि प्रकाश को सम्मानित किया है. एक अमेरिकी संस्था ने सितंबर माह में रवि प्रकाश को अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित भी किया है. रवि प्रकाश के पुत्र प्रतीक ने सम्मान ग्रहण किया.
  2. रामचंद्र उरांव : गुमला से पढ़े हैं. पहले इंडिया में काम किया. फिर दुबई, साइप्रस, गोवा, बनारस में काम करने का लंबा अनुभव है. पिछले 10 वर्षों से झारखंड में हैं. झारखंडी फूड को फाइव स्टार तक पहुंचाने में लगे हैं.
  3. रोशन हेंब्रोम : ट्राइबल युवा उद्यमी रोशन हेंब्रोम ने 23,000 रुपये से शुरू कर 100 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी की. जमशेदपुर में टाटा सहित कई सरकारी कंपनियों के लिए काम कर रहे हैं. स्क्रैप कटिंग, ट्रांसपोर्टेशन सहित अन्य क्षेत्रों में इनका काम चल रहा है.
  4. रणदीप मुंडा : रणदीप युवा ट्राइबल उद्यमी हैं. स्टार्टअप शुरू किया. उनका फर्म इडनग्रीन टेक्नोलॉजी प्रा लिमिटेड है. वह वाटर व लैंडस्केप इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. यह फर्म इमारतों को वाटरप्रूफिंग करने, वाटर पार्क बनाने और कृत्रिम तालाब बनाने का काम करती है.
  5. राकेश परिहस्त : देवघर के रहने वाले राकेश परिहस्त प्रख्यात तबला वादक हैं. उस्ताद अल्लारखा, उस्ताद जाकिर हुसैन के शिष्य रहे हैं. आत्रिया मॉल में लगातार 50 घंटे एक मिनट तक तबला वादन कर लिमका बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नेशनल रिकाॅर्ड बनाया. एआर रहमान कंसर्ट फॉर क्राई ब्यॉयज मुंबई ने भी सम्मानित किया है. सुरेश वाडेकर, अनुराधा पौडवाल के साथ काम कर चुके हैं. लता मंगेशकर के 75वें जन्मदिन पर आयोजित कंसर्ट में भी तबला प्लेयर के रूप में शिरकत की.

इन्हें मिला झारखंड गौरव सम्मान

  1. डॉ सपन पत्रलेख : दुमका के जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय डूमरथर के शिक्षक डॉ सपन पत्रलेख ने कोरोना काल में जब स्कूल बंद थे, उस समय पूरे गांव की दीवार को ही ब्लैक बोर्ड बनाकर बच्चों को पढ़ाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात में उनके कार्य की सराहना कर चुके हैं. भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मन की बात कार्यक्रम के 100वें एपिसोड के मौके पर सम्मानित किया गया. चीन का सरकारी चैनल सीसीटीवी 17 ब्लैक बोर्ड मॉडल का प्रसारण कर चुका है. जापान के ओसाका विवि के विद्यार्थियों और प्रोफेसर ने ब्लैक बोर्ड मॉडल पर रिसर्च किया.
  2. शेखर डे (श्रीलेदर ) : इनके प्रतिष्ठान श्रीलेदर्स का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना देश की आजादी. यह कहना कतई गलत ना होगा कि देश की आजादी के चंद वर्षों के बाद ही देश में चमड़ा उद्योग को आत्मनिर्भरता मिली. यह आत्मनिर्भरता दिलाई स्वतंत्रता सेनानी और श्रीलेदर्स के संस्थापक सुरेश चंद्र डे ने. वर्ष 1952 में सुरेशजी ने लौहनगरी जमशेदपुर में श्रीलेदर्स की स्थापना की, जो कि आत्मनिर्भर भारत की ओर पहला कदम था. बढ़ते समय के साथ श्रीलेदर्स ने अपना ब्रांच देश के कई शहरों में स्थापित किया.
  3. श्रीकांत पाल : टॉप वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने एंटीना निर्माण में अपनी दक्षता साबित की है. बीआइटी मेसरा के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग से जुड़कर डॉ पॉल ने ब्लू टूथ की तुलना में सौ गुणा तेजी से डाटा संचारित करनेवाला विश्व का सबसे छोटा एंटीना तैयार किया है. भारत सरकार ने इस एंटीना का पेटेंट कर दिया है.
  4. सुषमा असुर : सुषमा असुर पिछले कई वर्षों से कविता लेखन में सक्रिय हैं. सुषमा आदिम जनजाति असुर समुदाय से आती हैं. इस समुदाय की पहली कवयित्री है. पिछले पांच वर्षों से नेतरहाट क्षेत्र में असुर रेडियो के लिए काम कर रही हैं.
  5. श्याम विश्वकर्मा (साहिबगंज) : इनकी कला की गूंज दूर-दूर तक है. देवघर, रांची, दिल्ली सहित राष्ट्रपति भवन में भी टेराकोटा की इनकी कलाकृति लगी है. 1990 से कलाकृति के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से कई पुरस्कार मिल चुके हैं. झारखंड भवन व उच्च न्यायालय में इनकी कलाकृति लगी हैं.

इन्हें मिला झारखंड गौरव सम्मान

  1. शारिक मशहदी : दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली यूनिवर्सिटी और ड्यूक यूनिवर्सिटी, अमेरिका में बढ़े जमशेदपुर के शारीक मशहदी गैर सरकारी संस्था ड्रीम-ए-ड्रीम के एसोसिएट डायरेक्टर (प्रोग्राम) हैं. दिल्ली, कर्नाटक, झारखंड, नागालैंड, उत्तराखंड, तेलंगाना एवं पंजाब में राज्य सरकार के साथ सोशल इमोशनल लर्निंग में कार्यरत हैं. झारखंड शिक्षा परियोजना और झारखंड शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर हर्ष जोहार पाठ्यक्रम के निर्माण में अहम भूमिका रही. हर्ष जोहार राज्य के 121 स्कूलों में संचालित है.
  2. डॉ विकास कुमार केसरी : डॉ विकास केसरी नारायणा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम के वरिष्ठ सलाहकार हैं. गढ़वा के मूल निवासी हैं. तीन हजार से अधिक ओपन हार्ट सर्जरी का अनुभव है. छोटे चीरे लगाकर बच्चों की ओपन हार्ट सर्जरी करने में विशेष दक्षता है. आठ वर्ष से गढ़वा जिले में नि:शुल्क हृदय रोग जांच शिविर लगाते हैं. पलामू और निकटवर्ती इलाके के एक सौ से अधिक रोगियों का नि:शुल्क हार्ट ऑपरेशन कर चुके हैं. हर साल 100 से अधिक गरीब रोगियों का मुफ्त इलाज करते हैं.

ये हैं नया पौधा, नया जीवन अभियान के सहभागी

अपनी स्थापना के 40वें वर्ष पर प्रभात खबर ने झारखंड और बिहार में पूरे एक महीने तक हर दिन पौधरोपण अभियान चलाया. इसके सहभागी संस्थाओं को भी सम्मानित किया गया.

  1. सीएमपीडीआइ : शशि शेखर, पीआरओ
  2. एनटीपीसी
  3. सीसीएल : आलोक कुमार, जनसंपर्क विभाग के प्रमुख
  4. लेडी केसी रॉय मेमोरियल स्कूल : प्रणव रॉय, निदेशक

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