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झारखंड हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा राज्य में कानून का शासन होगा या उपद्रवियों का राज चलेगा

खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार के शपथ पत्र देखने के बाद कहा कि इसमें कहां साबित हो रहा है कि विद्यालय का स्थल बदलने के लिए राज्य ने केंद्र सरकार को सूचित किया था.

झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को चान्हो के सिलागाई में बननेवाले एकलव्य विद्यालय के चयनित स्थल को बदलने के विरोध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुना. मामले में केंद्र और राज्य सरकार की ओर से दायर जवाब पर खंडपीठ ने नाराजगी जतायी. साथ ही पिछली सुनवाई में लगाये गये 25-25 हजार रुपये के जुर्माना को हटाने के आग्रह को खंडपीठ ने नहीं माना और जुर्माने की राशि को ‘पूर्व सैनिक विधवा कल्याण कोष’ में जमा करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार के शपथ पत्र पर प्रार्थी को अपना प्रतिउत्तर दायर करने का निर्देश दिया.

मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मौखिक रूप से कहा कि एकलव्य विद्यालय के शिलान्यास स्थल को बदल कर नयी जगह पर विद्यालय बनाने का निर्णय किसकी अनुमति से ली गयी? राज्य में कानून का शासन होगा या उपद्रवियों का राज चलेगा? क्या उपद्रवियों के भय से केंद्र व राज्य सरकार डर गयी है, जिस कारण स्कूल का जगह बदलने का निर्णय लिया गया? सरकार को रूल ऑफ लॉ पर संवेदनशील होना चाहिए. कानून तोड़ने की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती है. इस मामले में अब तक सभी आरोपियों की गिरफ्तारी भी नहीं हो पायी है. पूरा चार्जशीट भी दायर नहीं हुआ है. नये स्थल पर एकलव्य विद्यालय बन जाने के बाद चार्जशीट दाखिल होगा क्या?


जनता का पैसा है, उसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए

खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार के शपथ पत्र देखने के बाद कहा कि इसमें कहां साबित हो रहा है कि विद्यालय का स्थल बदलने के लिए राज्य ने केंद्र सरकार को सूचित किया था? विद्यालय का निर्माण करनेवाली कंपनी दूसरी जगह विद्यालय भवन बना रही है, क्या जगह बदलने का उसे अधिकार है? पुराने स्थल की चहारदीवारी तोड़ दी गयी, उसका खर्च कौन उठायेगा? केंद्र सरकार इस खर्च को वहन नहीं कर रही है, तो राज्य सरकार किसके पैसे से उसका भुगतान करेगी? जनता का पैसा है, उसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. डीपीआर बनाने के बाद केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने शिलान्यास किया था. उसके लिए राज्य सरकार ने चिह्नित कर जमीन दी थी. इसके बाद नयी जगह पर एकलव्य विद्यालय बनाने का निर्णय क्यों लिया गया?

एकलव्य विद्यालय के पूर्व चयनित स्थल को बदलने का विरोध किया गया है याचिका में

इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता हेमंत गुप्ता ने पैरवी की. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि नौ दिसंबर 2022 को हाइकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए शिलान्यास वाले स्थल पर एकलव्य विद्यालय बनाने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गयी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की एसएलपी खारिज करते हुए हाइकोर्ट के आदेश में फेरबदल करने से इनकार कर दिया था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी गोपाल भगत ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने एकलव्य विद्यालय के पूर्व चयनित स्थल को बदलने का विरोध किया है. चान्हो के सिलागाई में एकलव्य विद्यालय बनाने के लिए राज्य सरकार ने 52 एकड़ जमीन दी थी. उक्त जमीन की चहारदीवारी भी हो गयी थी.

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