रांची : 329 साल पुराना ऐतिहासिक रथ मेला इस बार नहीं लगेगा हालांकि रथ यात्रा निकाली जायेगी लेकिन रथयात्रा के दौरान कैसे नियमों का पालन किया जायेगा. यात्रा पालकी से निकलेगी या रथ का इस्तेमाल किया जायेगा इसे लेकर अबतक स्थिति स्पष्ट नहीं है.आज पांच जून को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम को महास्नान कराया गया. दोपहर बाद भगवान एकांतवास में चले गये. 51 कलश में जल भरकर उसमें अश्वगंधा, हल्दी, गुलाब और गंगा जल को मिलाकर भगवान को स्नान कराया जाता है. इसके बाद भगवान 15 दिन के एकांतवास में चले जाते हैं.
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रथयात्रा की तैयारी पर समिति के सदस्यों ने कहा, प्रशासन के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखकर भगवान जगन्नाथ मौसी बाड़ी जायेंगे लेकिन इस यात्रा में पहले जैसी रौनक और भक्तों की भारी भीड़ नहीं होगी. मेला नहीं लगेगा यह तो तय है इसके लिए हमें दूसरे राज्यों से भक्तों के मेला में दुकान लगाने वालों के फोन आ रहे थे हमने उन्हें बता दिया है कि इस बार मेला नहीं लगेगा.
जगन्नाथपुर में रथ यात्रा सन् 1691 से धुर्वा के जगन्नाथपुर मंदिर परिसर से निकलती है. इस दौरान भव्य मेला भी लगता है. कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मेला नहीं लगेगा लेकिन भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलेगी. मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रजभूषण नाथ मिश्र ने कहा,रथयात्रा को लेकर अबतक कोई खास तैयारी नहीं है.
अबतक सिर्फ औपचारिकता चल रही है. अभी असमंजस की स्थिति है. पूजा कैसे होगी, क्या रणनीति होगी. इसके लिए प्रशासन से बात हो रही है लेकिन अबतक हम सफल नहीं हो सके और ना ही इस पर अबतक किसी प्रकार का सरकारी दिशा निर्देश आया है.
हमें भी पता नहीं है कि रथयात्रा कैसे निकली क्या उसी रथ से निकलेगी, पालकी से निकलेगी कैसे निकलेगी पता नहीं है. हम रथयात्रा की मरम्मत का काम अक्षय तृतीया से ही शुरू कर देते थे लेकिन इस बार सिर्फ औपचारिकता के लिए एक व्यक्ति को रखा है. रथ को ठीक करने के लिए लकड़ी रांची शहर से ही आती है जबतक हमें पता नहीं होगा यात्रा कैसे निकलेगी तबतक हम तैयारी कैसे करेंगे. अचानक अगर हम रथ को ठीक करना चाहेंगे तो नहीं होगा समय लगेगा.
मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा, हम इसका पूरा ध्यान रख रहे हैं कि सरकार और प्रशासन को साथ लेकर ही पूजा करेंगे और भक्तों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखें. भक्त अगर पूरी तरह सुरक्षित नहीं रहेंगे तो भक्ति कैसे करेंगे. एक्सपर्ट कहते हैं कि जून और जुलाई सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा है. हम अभी भी योजना बना रहे हैं मेला ना लगे और कम से कम व्यक्ति के साथ रथयात्रा निकाले. हम सरकार की रणनीति का इंतजार कर रह रहे हैं.
चिंतरंजन शाहदेव समिति के सदस्य हैं कहते हैं, हमने सरकार और प्रशासन से पत्राचार किया. मिलने का समय मांगा. कल भी एसडीएम, एसएसपी को चिट्ठी दिया है. डीसी से भी मुलाकात की कोशिश कर रहे हैं. हम बस सुरक्षा चाहते हैं. हमारी जो परंपरा है उसका पालन हो हम दिशा निर्देश का इंतजार कर रहे हैं. .
मनोज तिवारी मंदिर समिति में प्रबंधन का काम देखते हैं कहते हैं, इस साल मेला नहीं लगेगा. आने वाले समय में स्थिति और गंभीर होने वाली है ऐसे समय में मेला लगाना ठीक नहीं है. इस बार कष्ट तो सभी को होगा. पूरे देश को इस कोरोना की वजह से नुकसान हो रहा है तो हमें भी नुकसान तो झेलना ही पड़ेगा.
मुख्य पुजारी ब्रजभूषण नाथ मिश्र ने भक्तों से अपील करते हुए कहा, ईश्वर को याद करें वह उन तक पहुंचता है. ईश्वर हमेशा भक्त के साथ हैं. हम जहां से भी उनकी उपासना करें पूजा अर्चना करें ईश्वर तक पहुंचता है. ईश्वर तक हमारा भाव ही पहुंचता है. अगर नजदीक आकर भी हमारा भाव ठीक नहीं है तो नजदीक जाकर भी देवता स्वीकार नहीं करते. हमारी यही अपील है कि इस संकट की स्थिति में भीड़ ना लगाकर भगवान की पूजा अवसर प्रदान करें. ईश्वर हैं फिर कभी आकर दर्शन कर सकेंगे.
रथ मेला में झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़, ओड़िशा, बिहार व बंगाल के लोग भी प्रत्येक वर्ष रांची आते हैं. कई दुर्लभ उपयोगी सामान इस मेला में मिलते हैं, जो आम दिनों में बाजारों में नहीं मिलते. मछली का जाल, झूला, घरेलू सामान, किचन के सामान, फर्नीचर, बांसुरी, तरह-तरह के खिलौने आदि के सैकड़ों स्टॉल लगते हैं. इन कारोबार से जुड़े लोगों को इस बार काफी निराशा हुई है.