रांची : एसटी में शामिल किये जाने की मांग को लेकर झारखंड और ओड़िशा में बुधवार सुबह 6:00 बजे से कुड़मी समाज का ‘रेल टेका, डहर छेंका’ आंदोलन शुरू हुआ. झारखंड में यह आंदोलन मुरी (रांची), गोमो (धनबाद), घाघरा (पश्चिमी सिंहभूम) और नीमडीह (सरायकेला-खरसावां) स्टेशन पर हो रहा था. मुरी व गोमो में अधिकारियों के साथ हुई आंदोलनकारियों की वार्ता के बाद शाम करीब 6:00 बजे समाज के प्रतिनिधियों ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा कर दी, जबकि नीमडीह (सरायकेला-खरसावां) और घाघरा (पश्चिमी सिंहभूम) स्टेशन पर लिखित आश्वासन देने के बावजूद आंदोलनकारी अब भी रेलवे ट्रैक पर जमे हुए हैं.
वहीं, सिल्ली तथा गोमो स्टेशन पर आंदोलन स्थगित करने के बाद ट्रेनों का परिचालन शाम सात बजे से शुरू किया गया. इन ट्रेनों में हटिया-पटना एक्सप्रेस, रांची-धनबाद एक्सप्रेस, रांची-गोड्डा एक्सप्रेस, हटिया-हावड़ा एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनें अपने निर्धारित समय से खुलीं. दूसरी ओर, नीमडीह व घाघरा में इस आंदोलन के कारण दिन भर रेल यातायात प्रभावित रहा. विभिन्न रूटों की कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया, जबकि कई को परिवर्तित मार्ग से चलाया गया. मुरी में आंदोलन में शामिल होने पहुंचे गोमिया के विधायक लंबोदर महतो को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. हालांकि, देर शाम उन्हें रिहा कर दिया गया.
चक्रधरपुर रेल मंडल के घाघरा स्टेशन पर जमे आंदोलनकारियों पर रात 9:25 बजे पुलिस-प्रशासन ने लाठीचार्ज कर ट्रैक को खाली कराया. इस दौरान आंदोलकारियों ने पथराव किया, जिसमें मनोहरपुर के बीडीओ हरि उरांव व थाना प्रभारी अमित कुमार, डीएसपी अजीत कुजूर, आरपीएफ के एएसआइ, आरपीएफ जवान दो पुरुष और पांच महिला जवान व पुलिस के कई जवानों को चोटें आयी हैं. वहीं, एक आंदोलनकारी को गिरफ्तार किया गया है.
घायलों का स्थानीय अस्पताल में इलाज कराया गया. इससे पहले दोपहर के वक्त नीमडीह रेलवे स्टेशन पर भी पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठियां बरसायीं. आंदोलनकारियों को पुलिस ने स्टेशन से 300 मीटर पहले ही रोक दिया. दोपहर में आंदोलनकारी जबरन स्टेशन जाने लगे, तो पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. वहीं, आंदोलनकारियों ने भी पुलिस पर पथराव किया. घटना में आधा दर्जन के करीब आंदोलनकारी घायल हुए हैं.
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मुरी रेलवे स्टेशन पर हुए आंदोलन का नेतृत्व कुड़मी विकास मोर्चा अध्यक्ष शीतल ओहदार व हरमोहन महतो, रामपदो महतो कर रहे थे. देर शाम सदर एसडीओ सहितअन्य पदाधिकारियों ने आंदोलनकारियों के साथ वार्ता की. इसके बाद श्री ओहदार ने आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों ने 25 सितंबर को मुख्य सचिव के साथ वार्ता कराने का लिखित आश्वासन दिया है. साथ ही दो अक्तूबर को केंद्रीय गृह सचिव के साथ वार्ता का प्रस्ताव दिया गया है. अगर इसके बाद भी हमारी मांगें नहीं मानी गयी,
आदिवासी कुड़मी समाज के लोग बीजेपी, जेएमएम, कांग्रेस, आजसू आदि राजनीतिक दलों का झंडा थामे हुए हैं. इस वजह से समाज के लोग एकजुट नहीं हो पा रहे हैं. हमलोग उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं. हमने साफ कह दिया है कि समाज के लोग केवल दो साल के लिए पार्टी छोड़कर मंच का झंडा थाम लें, तो रिजल्ट मिलते देर नहीं लगेगी.
– अजीत महतो, मुख्य सलाहकार, आदिवासी कुड़मी मंच