रांची : प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने झारखंड हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में चाईबासा मनरेगा घोटाले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है. जांच पूरी होने के बाद इसकी रिपोर्ट हाइकोर्ट में पेश की जायेगी. रिपोर्ट में इडी को यह बताना है कि चाईबासा मनरेगा घोटाला पीएमएलए के दायरे में है या नहीं. हाइकोर्ट ने इडी को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 31 अक्तूबर तक का समय दिया है. हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की पीठ ने ‘मतलूब आलम बनाम राज्य’ के मामले की सुनवाई के बाद डीजी एंटी करप्शन को निर्देश दिया था कि वह चाईबासा जिले में वर्ष 2008-2011 के दौरान मारेगा घोटाले के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी और जांच से संबंधित दस्तावेज इडी को सौंप दें. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता की ओर से कोर्ट को यह बताया गया था कि चाईबासा में दर्ज 14 प्राथमिकी में से जांच के बाद 10 मामलों में आरोप पत्र दायर किये जा चुके हैं
सुनवाई के दौरान इडी के वकील अनिल कुमार दास की ओर से यह अनुरोध किया गया था कि कोर्ट सरकार को चाईबासा में दर्ज प्राथमिकी और उससे जुड़े दस्तावेज इडी को सौंपने का आदेश दे, ताकि इस स्पष्ट हो सके कि इसकी जांच इडी कर सकता है या नहीं. न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद चाईबासा में दर्ज प्राथमिकी व संबंधित दस्तावेज इडी को सौंपने का आदेश दिया था. न्यायालय के इस आदेश के आलोक में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने इडी को दस्तावेज सौंप दिये हैं. दस्तावेज मिलने के बाद इडी ने मामले की जांच शुरू कर दी है.
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चाईबासा में तत्कालीन उपायुक्त सुनील कुमार और के श्रीनिवासन के कार्यकाल में मनरेगा घोटाले के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. सरकार के आदेश पर 10 मामलों को एसीबी को जांच के लिए सौंप दिया गया था. इसमें से एसीबी ने कुछ में आरोप पत्र और कुछ मामलों में अंतिम प्रतिवेदन समर्पित कर दिया है. कुछ अभियुक्तों के खिलाफ सरकार ने अभियोजन स्वीकृति दे दी है, जबकि कुछ कार्यपालक अभियंता और सहायक अभियंताओं के खिलाफ अब तक अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली है. एसीबी में दर्ज प्राथमिकी संख्या 6/2015 में वर्ष 2017 में आरोप पत्र दायर किया जा चुका है. हालांकि, अभियुक्तों के अनुपस्थित रहने की वजह से मामला लंबित है. प्राथमिकी संख्या 7/2015 में भी यही स्थिति है. प्राथमिकी संख्या 9/2015 में जूनियर इंजीनियर मनोज कुमार सिंह और वशिष्ठ नारायण पांडे के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मिल चुकी है. हालांकि, कार्यपालक अभियंता दीनानाथ सिंह और सहायक अभियंता शशि प्रकाश के खिलाफ अब तक अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली है. प्राथमिकी संख्या 12/2015 में किसी भी अभियुक्त के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली है. प्राथमिकी संख्या 15/2015 में अभी जांच ही पूरी नहीं हुई है.