‘खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक-2022’, ‘भीड़ हिंसा और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक-2021’ एवं ‘ओबीसी की आरक्षण सीमा 27 प्रतिशत करने संबंधी विधेयक’ विधानसभा के शुक्रवार से शुरू हो रहे सत्र में सरकार नहीं लायेगी. सरकार ने राजभवन से इन विधयकों पर की गयी आपत्तियों का विवरण मांगा है. इसके अध्ययन के बाद ही सरकार विधेयक लायेगी. जरूरत पड़ी, तो इसके लिए सरकार विशेष सत्र बुलायेगी.
गुरुवार को सत्ता पक्ष की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई. कांग्रेस विधायकों का कहना था कि इन विधेयकों को सरकार सदन में लेकर आये. वही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधायकों को बताया कि सरकार ने राजभवन से आपत्तियों का ब्योरा मांगा है. उसके अध्ययन के बाद ही इस पर फैसला होगा.
इधर सरकार द्वारा कहा गया है कि विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्यपाल सचिवालय को भेजा जाता है. विधेयक पर राज्यपाल की सहमति या असहमति होने पर राज्यपाल द्वारा उक्त विधेयक को लेकर आपत्ति भी संलग्न रहती है, लेकिन वापस किये गये उपरोक्त विधेयक में राज्यपाल सचिवालय की आपत्ति संलग्न नहीं की गयी है. राज्य सरकार इन विधेयकों को विधिवत पुनः विधानसभा में लाने पर काम कर रही है.
अतः राज्यपाल सचिवालय से उक्त संदेश को उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है, ताकि सरकार पूरी मजबूती के साथ इन विधेयकों को पुनः विधानसभा के पटल पर रख सके. कहा गया कि राज्यपाल सचिवालय द्वारा लौटाये गये उक्त विधेयक को भारत के संविधान के अनुच्छेद-200 एवं झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के नियम–98 (1) के तहत राज्यपाल के संदेश के साथ राज्य सरकार एवं विधानसभा को उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध किया गया है.