झारखंड के अनुसूचित क्षेत्र (शिड्यूल एरिया) में नगर निकायों के विभिन्न पदों पर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने को लेकर बुधवार को जनजातीय परामर्शदात्री काउंसिल (टीएसी) मंथन करेगी. इधर, नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना मंगलवार को जारी नहीं की गयी. निकाय चुनाव के कार्यक्रम को राज्यपाल ने अपनी मंजूरी दे दी है, इसके बाद अधिसूचना जारी किये जाने की उम्मीद थी.
हालांकि रांची समेत अनुसूचित क्षेत्रों में मेयर व अध्यक्ष पद गैर एसटी के लिए आरक्षित किये जाने का राज्य के आदिवासी संगठन विरोध कर रहे हैं. अब इस मुद्दे को टीएसी के एजेंडे में शामिल किये जाने के बाद निकाय चुनाव का पेच फंसता दिख रहा है.
रांची नगर निगम समेत कई निकायों में अनुसूचित जनजाति के लिए पूर्व में आरक्षित मेयर व अध्यक्ष का पद अन्य वर्गों के लिए आरक्षित कर दिया गया है. इसे लेकर आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर विरोध जताया है. नगर निकाय चुनाव के लिए निर्धारित आरक्षण में बदलाव करने की मांग की गयी है. उसके बाद कल्याण विभाग द्वारा 23 नवंबर को टीएसी की बैठक आहूत की गयी है.
टीएसी की बैठक के लिए कुल 11 एजेंडा निर्धारित किये गये हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा द प्रोविजन ऑफ द म्यूनिसिपैलिटिज (एक्सटेंशन टू द शिड्यूल्ड एरियाज) बिल 2001 पर स्टैंडिंग कमेटी द्वारा प्रस्तावित संशोधन पर विमर्श है. इस बिल में प्रावधान किया गया है कि अनुसूचित क्षेत्र में स्थित नगर निकायों में अनुसूचित जनजाति की आबादी अधिक होने पर उसके अनुरूप मेयर, अध्यक्ष या वार्ड पार्षद का पद अनुसूचित जनजाति के लिए ही आरक्षित होगा. परंतु, इसके लिए टीएसी की अनुशंसा अनिवार्य होगी.
बैठक में हिस्सा लेने के लिए टीएसी सदस्य सह विधायक स्टीफन मरांडी, नीलकंठ सिंह मुंडा, बाबूलाल मरांडी, सीता सोरेन, दीपक बिरूवा, चमरा लिंडा, कोचे मुंडा, भूषण तिर्की, सुखराम उरांव, दशरथ गगराई, विकास मुंडा, नमन विक्सल कोंगाड़ी, राजेश कच्छप, सोनाराम सिंकू, शिल्पी नेहा तिर्की समेत मनोनीत सदस्य विश्वनाथ सिंह सरदार व जमल मुंडा को आमंत्रण भेजा गया है.
इन एजेंडों पर भी होगी चर्चा : बैठक के अन्य एजेंडों में झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) नियमावली 2022 प्रारूप पर विमर्श, जनजातीय गौरव दिवस को टीआरआइ के माध्यम से संचालन करने पर विचार, होड़ोपैथी विषयक नीति निर्धारण पर मंथन, जनजातीय बहुल क्षेत्रों में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को जनजातीय भाषा के अनिवार्य शिक्षा के रूप में शिक्षा देने के लिए नीति निर्धारण पर विमर्श,
वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत राजस्व विभाग की तर्ज पर सामुदायिक पट्टे के अधिकार संबंधी अभिलेख संग्रहण पर नीति निर्धारण के संबंध में, लघु वन उत्पाद खरीद-बिक्री के नीति निर्धारण व निगम की स्थापना के संबंध में और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में दूर-संचार की निर्बाध व्यवस्था करने व प्राकृतिक धरोहर को इको हैरिटेज के रूप में संरक्षित करते हुए जनजातीय समूह के लोगों को रोजगार से जोड़ने पर भी चर्चा की जायेगी.