16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

BJP झारखंड में होगी इस कद्दावर नेता की वापसी, 2019 विधानसभा में लक्ष्मण गिलुवा के विरूद्ध लड़ा था चुनाव

मालूम रहे कि दिवांगत लक्ष्मण गिलुवा चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का प्रतिनिधित्व करते थे. उनके जाने के बाद इस विधानसभा क्षेत्र में एक गहरी खाई हो गई है. भाजपा के पास कोई कद्दावर नेता नहीं बचा रह गया है. हालांकि कई भाजपाई लक्ष्मण गिलुवा की जगह लेने को सक्रिय रहे हैं. इन नेताओं की पार्टी में वफादारी भी कबूल की जाती है. इनमें रतनलाल बोदरा, ललित मोहन गिलुवा, विजय मेलगांडी, श्याम सुंदर नाग और पूर्व विधायक चुमनू उरांव का नाम सर्वोपरि है.

Jharkhand Political News Latest शीन अनवर, चक्रधरपुर : भाजपा के दिवांगत नेता लक्ष्मण गिलुवा का देहांत के बाद चक्रधरपुर एवं पश्चिमी सिंहभूम में भाजपा के पास कद्दावर नेता की घोर किल्लत महसूस होने लगी है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी वैसे चेहरों को पार्टी में शामिल करने की रणनीति बना रही है, जो भाजपा को फिर से शिखर तक ले जाने में सक्षम हों. इनमें एक नाम पूर्व विधायक शशि भूषण सामड का है. 2014 में चक्रधरपुर विधानसभा से झारखंड मुक्ति मोर्चा की टिकट पर विधायक चुने जाने वाले शशि भूषण को भाजपा में लाने की लगभग पूरी तैयारी हो चुकी है. बस पार्टी की सदस्यता ग्रहण करना औपचारिकता मात्र शेष रह गया है.

मालूम रहे कि दिवांगत लक्ष्मण गिलुवा चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का प्रतिनिधित्व करते थे. उनके जाने के बाद इस विधानसभा क्षेत्र में एक गहरी खाई हो गई है. भाजपा के पास कोई कद्दावर नेता नहीं बचा रह गया है. हालांकि कई भाजपाई लक्ष्मण गिलुवा की जगह लेने को सक्रिय रहे हैं. इन नेताओं की पार्टी में वफादारी भी कबूल की जाती है. इनमें रतनलाल बोदरा, ललित मोहन गिलुवा, विजय मेलगांडी, श्याम सुंदर नाग और पूर्व विधायक चुमनू उरांव का नाम सर्वोपरि है.

अधिकतर भाजपा के नेता, समर्थक, कार्यकर्ता और साधारण भाजपाई चाहते हैं कि चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र में लक्ष्मण गिलुवा के बदले एक मजबूत कद्दावर नेता मिले जो कि कमजोर होती भाजपा की शाख को फिर से मजबूती प्रदान कर सके. ऐसे लोगों की पहली पसंद पूर्व विधायक शशि भूषण सामड हैं.

शशि भूषण सामड मुखर और तेज तर्रार आदिवासी लीडर हैं. तकरीबन 20 सालों तक बिहार रेजिमेंट आर्मी में रहकर देश सेवा किये. सियाचिन ग्लेशियर से सेवानिवृत्त होने के बाद जब 1992 में घर लौटे तो शशि भूषण पर उस समय के दबंग नेता विजय सिंह सोय की निगाह पड़ी. शशि के मुखिया पिता मुचीराय सामड से विजय सिंह सोय ने शशि को सक्रिय राजनीति में उतारने के लिए कांग्रेस में शामिल करने को कहा. राजनीति में नहीं जाने की चाहत के बावजूद शशि कांग्रेस ज्वाइन कर लिये. 8 सालों तक कांग्रेस में रहने के बाद सन 2000 में विजय सोय की हत्या हो गई, तब अशोक षाड़ंगी के कहने पर भाजपा की सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए.

लेकिन विजय सिंह के साथ रहने का यह लाभ मिला की वह मुखर लीडर बन गए. 2005 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने लक्ष्मण गिलुवा को प्रत्याशी बनाया तो शशि भाजपा छोड़ लोक जनशक्ति पार्टी की टिकट पर विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा और तकरीबन 5000 वोट लाए. 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण गिलुवा के पक्ष में काम किया और उन्हें जीत दिलाने में सफल रहे. लेकिन चुनाव के कुछ दिनों बाद अपना भविष्य तलाश करने के लिए आजसू में शामिल हो गए और आजसू में एक नए तेवर के साथ चुनावी तैयारी करने लगे.

2014 के विधानसभा चुनाव में जब आजसू और भाजपा के बीच गठबंधन हुआ और चक्रधरपुर की सीट भाजपा की झोली में चली गई तो शशि की पूरी तैयारी धरी की धरी रह गई. भाजपा ने नौमी उरांव को अपना प्रत्याशी बनाया. मौका ए गनीमत देखते हुए जब झामुमो की ओर से हेमंत सोरेन ने शशि को ऑफर दिया तो वह चाईबासा की एक सभा में हेमंत सोरेन के समक्ष झामुमो की सदस्यता ले ली.

उनके साथ भाकपा माले से बहादुर उरांव, जेवीएम से मंगल सिंह बोबोंगा व सोनाराम देवगम तथा कांग्रेस से सुखदेव हेंब्रम झामुमो में शामिल हुए थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने शशि को चक्रधरपुर से प्रत्याशी घोषित किया. वह नौमी उरांव को 27,000 वोटों के अंतर से पराजित कर विधायक चुने गए. 2019 के विधानसभा चुनाव में जब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सुखराम उरांव को प्रत्याशी घोषित किया तो शशि भूषण जेवीएम की टिकट पर चुनाव लड़े और 18000 वोट लाकर पराजित हुए. बाद में जब बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम का भाजपा में विलय हुआ तो शशि भूषण तटस्थ रह गए. वह किसी भी दल में शामिल नहीं हुए और क्षेत्र में अपने बल पर अपनी सक्रिय राजनीति करते रहे.

वर्तमान में प्रखंड से लेकर राज्य तक के भाजपा के शीर्ष नेता शशि भूषण के संपर्क में हैं. लगभग बातें भी तय हो चुकी हैं. भाजपा को लक्ष्मण गिलुवा का मजबूत विकल्प चाहिए और शशि भूषण को एक बड़ा प्लेटफार्म. इसलिए शशि भूषण और भाजपा का एक बार फिर रिश्ता बना तय है.

लॉक डाउन खत्म होते ही भाजपा में जाऊंगा: शशि भूषण सामड

पूर्व विधायक शशि भूषण सामड कहते हैं कि मैं भाजपा की सदस्यता फिर ग्रहण करूंगाा. जैसे ही लॉक डाउन पूरी तरह खत्म हो जाती है, हजारों समर्थकों और कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा की सदस्यता ले लूंगा. वो कहते हैं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मेरे साथ नाइंसाफी नहीं बल्कि छल की है. पांच सालों तक विधायक रह कर मैंने जेएमएम की सेवा की.

विधानसभा पटल पर पार्टी की नीतियों को मनवाने के लिए सबसे आगे रहा. जिस कारण मुझे सजा मिली और विधानसभा से तीन महीने के लिए निष्कासित भी होना पड़ा. एक साल तक विधान सभा समिति से बाहर रहना पड़ा. मुझसे कहा गया माफी मांग लो, सब ठीक हो जाएगा. मैं आर्मी मैन था, मर सकता था, गलत के सामने झुक नहीं सकता इसलिए माफी नहीं मांगा.

मैं झारखंड मुक्ति मोर्चा का वफादार विधायक बना था और उसी पार्टी के शीर्ष नेताओं ने मेरे साथ छल किया. 2019 के विधानसभा चुनाव में पूरे कोल्हान से केवल मुझे ही झारखंड मुक्ति मोर्चा ने टिकट नहीं दिया. जबकि सभी सीटिंग विधायकों को टिकट दी गई. इसका मुख्य कारण मैंने गलत लोगों का विरोध किया था.

जवाहरलाल नेहरु कॉलेज चक्रधरपुर में चार करोड़ 68 लाख की लागत से जीर्णोद्धार का कार्य हो रहा था. जिसमें सरकारी रुपयों की बंदर बांट हो रही थी. अभी भी पैसों की निकासी हो रही है लेकिन जीर्णोद्धार नहीं हो रहा है. इसके खिलाफ आवाज उठाया, जांच करवाई. मुझे खरीदने की कोशिश की गई, नहीं बिका. तब मेरे खिलाफ़ टिकट काटने की साजिश रची गई. लेकिन अब भाजपा में जाकर मैं सब कुछ बेनकाब कर दूंगा. दिवंगत लक्ष्मण गिलुवा भी चाहते थे कि मैं भाजपा में वापस आ जाऊं, भाजपा में लौट कर मैं उनके अरमान को भी पूरा करूंगा.

Posted by : Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें