Champai Soren Review: रांची-झारखंड के जल संसाधन मंत्री चंपाई सोरेन ने जल संसाधन विभाग की समीक्षा के दौरान राज्य के किसानों को सालोंभर सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए पाइपलाइन आधारित सिंचाई व्यवस्था लागू करने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि भूमि अधिग्रहण की न्यूनतम जरूरत पड़े और परियोजनाएं तेजी से पूरी हो सकें. किसानों को बहुत बड़ी राहत देने की दिशा में राज्य सरकार ने कदम बढ़ा दिया है. चूंकि विभिन्न लिफ्ट इरिगेशन की योजनाएं बिजली पर निर्भर रहती हैं, जिनका बिल किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है. इस परिस्थिति में बदलाव लाने के लिए जल संसाधन विभाग ने सोलर प्रणाली का इस्तेमाल शुरू किया है. सोलर तकनीक द्वारा लिफ्ट सिंचाई का पायलट प्रोजेक्ट हजारीबाग में तैयार है. इसका उद्घाटन इसी महीने किया जाएगा. इसके बाद पूरे राज्य में इस तकनीक द्वारा किसानों को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाएगी.
हर विस्थापित परिवार को बेहतर सुविधाएं कराएं उपलब्ध
जल संसाधन मंत्री चंपाई सोरेन ने बैठक में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के विस्थापितों के पुनर्वास से संबंधित लंबित मामलों का शीघ्र निष्पादन करने एवं हर विस्थापित परिवार को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि विभाग के पास काफी खाली जमीन उपलब्ध है, जिस पर सोलर पैनल लगा कर, विभाग को बिजली उत्पादन की दिशा में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.
5 लाख हेक्टेयर से अधिक में सिंचाई की व्यवस्था
झारखंड में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं द्वारा 5 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में फैले खेतों को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाई जा रही है. सिर्फ कोल्हान प्रमंडल में स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना द्वारा 50,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल के किसानों को खेतों में जल मिल रहा है. इन सिंचाई परियोजनाओं ने राज्य के लाखों किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है.
झारखंड में औसतन 1300 मिलीमीटर बारिश
झारखंड में औसतन 1300 मिलीमीटर वर्षा होती है, लेकिन पठारी क्षेत्र होने की वजह से अधिकतर जल नदियों के माध्यम से समुद्र में चला जाता है. बेहतर जल प्रबंधन द्वारा हम काफी जल संचय कर सकते हैं, जिसका फायदा किसानों को मिलेगा. विभागीय अधिकारियों को इस दिशा में जरूरी कदम उठाने तथा सिंचाई लक्ष्य के साथ-साथ जल संचय का लक्ष्य भी निर्धारित करने का सुझाव दिया गया है.
खाली पदों को जल्द भरें
मंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि किसानों के लिए सिंचाई परियोजनाओं की महत्ता को देखते हुए विभाग के स्थापना बजट एवं योजना बजट को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि नई परियोजनाएं शुरू की जा सकें. इसके अलावा विभाग में इंजीनियरों तथा अन्य रिक्त पदों को शीघ्र भरने की जरूरत है, ताकि सभी परियोजनाओं का सुचारू रूप से संचालन हो सके.
ये मेगा लिफ्ट सिंचाई योजनाएं हैं प्रक्रियाधीन
झारखंड में अभी मसलिया-रानीश्वर मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना (दुमका), सिकटिया मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना (देवघर), सोन-कनहर पाइपलाइन सिंचाई योजना (गढ़वा) तथा खड़कई लिफ्ट सिंचाई योजना (सरायकेला- खरसावां) में काम चल रहा है, जबकि पलामू पाइपलाइन सिंचाई योजना (पलामू), पीरटांड़ मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना (गिरिडीह) और भीमखंडा माइक्रो लिफ्ट सिंचाई योजना (सरायकेला- खरसावां) प्रक्रियाधीन है.
क्या है मेगा लिफ्ट परियोजना
पाइप लाइन/ मेगा लिफ्ट परियोजना द्वारा ऊंचे स्थानों पर भी सिंचाई की सुविधा दी जाती है. योजना को तीन वर्षों में पूरा किया जा सकता है. इन परियोजनाओं में पाइपलाइन द्वारा आसपास के सभी तालाबों को भरने की सुविधा रहेगी, ताकि स्थानीय किसान उन जल स्त्रोतों का उपयोग कर सकें.
नई सिंचाई परियोजनाओं की संभावनाओं पर चर्चा
बैठक के दौरान विभाग द्वारा भविष्य में सिमडेगा, खूंटी, रांची, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, साहिबगंज, पलामू तथा हजारीबाग में नई सिंचाई परियोजनाओं की संभावनाओं पर चर्चा हुई एवं इस दिशा में कदम बढ़ाने का निर्देश दिया गया.