Jharkhand Weather: रांची-आधा जुलाई गुजर गया है. तीन-चार दिनों में सावन भी शुरू हो जायेगा, लेकिन अब तक झारखंड में मॉनसून मूड में नहीं दिख रहा है. एक जून से 18 जुलाई तक राज्य में 49 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गयी है. मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव (लो प्रेशर) वाला क्षेत्र बन गया है, जो झारखंड को हल्का छूते हुए ओडिशा तट की ओर बढ़ रहा है. वहीं, दूसरा साइक्लोनिक टर्फ जैसलमेर-गोपालपुर होते हुए पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ रहा है. यह भी झारखंड के बगल से गुजर रहा है, जिससे झारखंड के लगभग सभी जिलों में बादल छाये रहने तथा 20 से 23 जुलाई तक हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होने की संभावना है.
राज्य के 11 जिलों में धान का रोपा शुरू नहीं हुआ
झारखंड में के 11 जिलों में कम बारिश के कारण धान रोपा का खाता भी नहीं खुला है. इधर, राज्य के किसान एक बार फिर चिंतित हैं. अगर मॉनसून ने धोखा दिया, तो लगातार तीसरी बार झारखंड में सूखा पड़ जायेगा. गौरतलब है कि इस वर्ष राज्य सरकार ने 18 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था. इसमें अब तक मात्र 1.02 लाख हेक्टेयर में ही धान लग सका है. इसमें कुछ जिलों में छींटा विधि से धान लगाया गया है. बारिश नहीं होने के कारण किसानों का बिचड़ा खेतों में ही सूखने की स्थिति में है. हालांकि, कृषि विभाग पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है. विभाग ने ‘आकस्मिक फसल योजना’ पर काम शुरू कर दिया है. विभाग मानता है कि अभी देर नहीं हुई है. यहां के किसान अगस्त तक खेतों में धान लगाते हैं. विभाग ने किसानों तक धान पहुंचा दिया है.
आधे से भी कम बारिश हुई है अब तक राज्य में
मौसम विभाग के अनुसार, एक जून से 18 जुलाई तक राज्य में सामान्य रूप से 371.2 मिमी बारिश होनी चाहिए थी. जबकि, अब तक सिर्फ 189.9 मिमी ही बारिश हुई है. वहीं, रांची में इस दौरान सामान्य बारिश का रिकॉर्ड 383.9 मिमी है, लेकिन अब तक यहां 187.2 मिमी ही बारिश हुई है. पिछले 24 घंटे में सबसे अधिक मुसाबनी में 27.4 मिमी बारिश हुई है. मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद के अनुसार, झारखंड में माॅनसून थोड़ा कमजोर हो गया है. लेकिन, बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव बनने से अगले दो से तीन दिनों तक झारखंड में एक बार फिर बारिश होने की संभावना प्रबल है. झारखंड में अगस्त व सितंबर माह में अच्छी बारिश के संकेत हैं.
किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
बीएयू के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वर्षा के बाद निचले खेत में समुचित जलजमाव होने पर धान का रोपा शुरू करें. कादो करने लायक पानी जमा होने पर रोपा का कार्य शुरू कर सकते हैं. पहले से बोयी गयी फसल में अगर अंकुरण समान रूप से नहीं हो पाया है, तो खाली जगहों में पुन: बीज बोयें. अगर एक ही जगह पौधों की संख्या ज्यादा हो गयी है, तो उसे उखाड़ कर खाली जगह में लगा दें. पशुपालकों को सलाह दी गयी कि इस मौसम में मवेशियों में संक्रामक रोग लगने की आशंका ज्यादा है. इसलिए जानवरों को खुला नहीं छोड़ें.
1 जून से 18 जुलाई तक जिलों में बारिश की स्थिति
बारिश प्रतिशत में
प्रमंडलवार धान की खेती की स्थिति (लाख हेक्टेयर में)
प्रमंडल—–लक्ष्य—–रोपा
द छोटानागपुर—–5.67—–0.52
पलामू—–1.36—–00
कोल्हान—–3.96—–0.24
उत्तरी छोटानागपुर—–3.36—–0.7
संताल परगना—–3.64—–0.22
Also Read: Jharkhand Weather: झारखंड में मॉनसून कमजोर, 21 जुलाई को भारी बारिश का अलर्ट