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JPSC ने नहीं छपवायी थीं पूरक उत्तर पुस्तिकाएं, फिर भी परीक्षार्थियों ने किया उपयोग, मनपसंद 12 को कर दिया पास

सीबीआई ने जेपीएससी प्रथम सिविल सेवा परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच से संबंधित रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि जेपीएससी ने पूरक उत्तर पुस्तिकाएं छपवायी ही नहीं थीं. दोबारा उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कराकर 12 मनपसंद परीक्षार्थियों को सफल घोषित किया.

रांची, शकील अख्तर-जेपीएससी ने प्रथम सिविल सेवा परीक्षा के लिए पूरक उत्तर पुस्तिकाएं छपवायी ही नहीं थीं. इसके बावजूद कुछ परीक्षार्थियों ने मुख्य परीक्षा में पूरक उत्तर पुस्तिकाओं का उपयोग किया. नियम का उल्लंघन कर दोबारा उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करायी गयी और 12 मनपसंद परीक्षार्थियों को सफल घोषित किया गया. वहीं, नेत्रहीन का हक मार कर शारीरिक रूप से नि:शक्त परीक्षार्थी को सफल घोषित किया गया. सीबीआई ने जेपीएससी-1 में हुई गड़बड़ी की जांच से संबंधित रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया है.

छपवायी ही नहीं गयी थीं पूरक उत्तर पुस्तिकाएं


रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआइ ने जांच में पाया कि जेपीएससी ने मुख्य परीक्षा के लिए पूरक उत्तर पुस्तिकाएं छपवायी ही नहीं थीं. इसलिए मुख्य परीक्षा के दौरान किसी भी परीक्षा केंद्र पर पूरक उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध नहीं करायी गयी थीं. इसके बावजूद मुख्य परीक्षा के दौरान कुछ परीक्षार्थियों द्वारा पूरक उत्तर पुस्तिकाओं का इस्तेमाल किया गया. कॉपियों की जांच के दौरान इन पूरक उत्तर पुस्तिकाओं को सही मानते हुए मूल्यांकन किया गया. सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में पूरक उत्तर पुस्तिकाओं का इस्तेमाल करनेवाले दो सफल परीक्षार्थियों का उल्लेख किया है. इन परीक्षार्थियों का रोल नंबर 12601515 और 50602287 है. इन दोनों परीक्षार्थियों ने कुल 17 पूरक उत्तर पुस्तिकाओं का इस्तेमाल किया है.

कॉपियों की दोबारा जांच कराने का प्रावधान नहीं, फिर भी उल्लंघन


रिपोर्ट में कॉपियों की दोबारा जांच कराने का उल्लेख करते हुए कहा गया कि जेपीएससी के अधिकारियों ने सुनियोजित साजिश के तहत मनपसंद परीक्षार्थियों को अफसर बनाने के लिए कॉपियों को दोबारा मूल्यांकन कराया. रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘जेपीएससी रूल एंड प्रोसिड्योर-2000’ में कॉपियों की दोबारा जांच कराने का प्रावधान नहीं है. लेकिन इस प्रावधान का उल्लंघन करते हुए तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक एलिस उषा रानी सिंह ने नौ पेपरों की दोबारा जांच करवायी. इसमें इकोनॉमिक्स पेपर-1 व पेपर-2, साइकोलॉजी पेपर-1 व पेपर-2, संस्कृत पेपर-1 व पेपर-2, जूलॉजी पेपर-1 व पेपर-2 के अलावा हिस्ट्री पेपर-1 शामिल है. इन कॉपियों की दोबारा जांच के लिए दुमका, गोड्डा, देवघर और भागलपुर के मनपसंद परीक्षकों के पास भेजा गया. कॉपियों की दोबारा जांच के दौरान परीक्षार्थियों को अधिक नंबर दिये गये. सुनियोजित साजिश के तहत की गयी प्रक्रिया के सहारे कुल 12 परीक्षार्थियों को सफल घोषित किया गया. ऐसे सफल उम्मीदवारों में कुमार मनीष, सीमा सिंह, विनय कुमार मिश्रा, सुषमा नीलम सोरेंग, हेमा प्रसाद, राजीव कुमार, परमेश्वर मुंडा सहित अन्य के नाम शामिल हैं.

नेत्रहीन परीक्षार्थी की जगह शारीरिक रूप से नि:शक्त सफल घोषित


रिपोर्ट में नि:शक्त कोटे में की गयी गड़बड़ी का उल्लेख करते हुए कहा गया कि प्रथम सिविल सेवा परीक्षा में नि:शक्त कोटे पर एक परीक्षार्थी को नियुक्त किया जाना था. जांच में पाया गया कि नि:शक्त कोटे से कुल 34 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. इसमे सामान्य जाति के 14, पिछड़ी जाति के आठ, एससी के पांच और एसटी के सात परीक्षार्थी थे. मुख्य परीक्षा के बाद इनमें से पांच परीक्षार्थियों को इंटरव्यू के योग्य पाया गया. इसमें शारीरिक रूप से तीन और नेत्रहीन दो परीक्षार्थी थे. नियमानुसार नि:शक्त कोटे से नेत्रहीन की नियुक्ति की जानी थी. लेकिन, जेपीएससी के अधिकारियों ने गड़बड़ी की और नेत्रहीन का हक मार कर शारीरिक रूप से नि:शक्त हेमा प्रसाद को सफल घोषित कर दिया.

पूरक उत्तर पुस्तिकाओं के इस्तेमाल का ब्योरा


रोल नंबर——-विषय————-पूरक
12601515—–जेनरल स्टडीज-2—–05
12601515—–जूलॉजी-1———–05
50602287—–जेनरल साइंस-1——02
50602287—–जेनरल साइंस——–05

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