रांची : प्रभात खबर किसान सम्मान समारोह में मंगलवार को झारखंड के किसान भाइयों के सामने राज्य के विभिन्न बैंकों ने कृषि क्षेत्र में वित्तीय मदद को लेकर अपने रोडमैप प्रस्तुत किये. कार्यक्रम में राज्य भर से बड़ी संख्या में खेती-किसानी से जुड़े लोग मौजूद थे. इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने में बैंकों की भूमिका पर जोर देते हुए झारखंड में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, इंडियन बैंक, नाबार्ड सहित झारखंड राज्य सहकारी बैंक ने एफपीओ और एसएचजी को बढ़ावा देने की बात कही. बैंकिंग सेक्टर से जुड़े शीर्ष स्तर के अधिकारियों ने निचले स्तर पर बैंकिंग सुविधा का लाभ देने पर जोर दिया.
परिचर्चा के दौरान भारतीय स्टेट बैंक के आरएम सुनील कुमार आजाद ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ दिलाने और फाइनेंसियल लिटरेसी बढ़ाने के लिए अधिकारी गांव-गांव में कैंप कर रहे हैं. इसका नतीजा है कि अब किसानों के बीच जागरूकता आयी है. उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई की अहम जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने सिविल स्कोर को मेंटेन करना जरूरी है. राज्य के विकास के लिए बड़े पैमाने पर वित्त पोषण की जरूरत है, जिसके लिए सही मुद्रा प्रबंधन बेहद जरूरी है. परिचर्चा का संचालन प्रदान संस्था झारखंड के इंटीग्रेटर प्रेम शंकर ने किया.
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भारतीय स्टेट बैंक राज्य के छोटे और मंझोले किसानों को खेती की जरूरतों के लिए पूंजी उपलब्ध करा रहा है. इसके लिए सरकार किसान क्रेडिट कार्ड सहित कई तरह की स्कीम चलाती है. इस स्कीम के तहत किसानों को शॉर्ट टर्म टेन्योर का लोन देती है, ताकि वो खेती के लिए जरूरी उपकरण खरीद सकें हैं और दूसरे खर्चे उठा सकें. किसानों को ऋण मिले, इसके लिए बैंक के अधिकारी गांव में कैंप भी कर रहे हैं. इसके लिये एसबीआइ का योनो कृषि डेडिकेटेड ऐप लांच किया गया है. केसीसी की सबसे अच्छी बात यह है कि किसानों को 1.60 लाख तक के लोन पर कोई कॉलेटरल नहीं देना पड़ता है.
सुनील कुमार आजाद, रिजनल मैनेजर, भारतीय स्टेट बैंक
पिछले दो-तीन सालों में बड़ी संख्या में केसीसी एकाउंट खराब हो चुका है. आप निश्चित रकम चुकाकर क्रेडिट मूल्यों को फिर से वापस पा सकते हैं. बैंक ऑफ इंडिया अग्रणी बैंक होने के नाते स्वयं सहायता समूह को उचित दरों पर जेएसएलपीएस आजीविका मिशन के तहत ऋण सुविधा उपलब्ध करा रहा है. हम सभी केसीसी का महाअभियान चला कर नया सेटलमेंट कर रहे हैं, ताकि एग्रीकल्चर क्षेत्र को बढ़ावा मिल सके. 1.6 लाख तक का किसान क्रेडिट कार्ड एक प्रतिशत लोन पर लिया जा सकता है. एक साल में 1600 रुपये, महीने में 135 रुपये के करीब ब्याज आता है. बैंक ऑफ इंडिया ने 1.37 लाख एससीजी को जोड़ा है. 137 एसएचजी हैं, जिनके खातों में 10 लाख रुपये से ज्यादा दिये गये हैं. साउथ में करोड़ों रुपये एक एसएचजी को दिये जाते हैं. पंजाब-हरियाणा में कई ऐसे समूह हैं, जिन्हें 30 से 40 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद दी जाती है.
मनोज कुमार, जेनरल मैनेजर, बैंक ऑफ इंडिया
किसानों को स्कीम के तहत जो लोन मिलता है, उसमें उन्हें ज्यादा ब्याज नहीं देना पड़ता. उन्हें कम ब्याज पर लोन मिल जाता है. झारखंड में किसान परिवारों की मासिक आय 5000 रुपये से भी कम है. हमारे पास सिंचित भूमि का अभाव है. हम सिंचाई की सुविधा के लिए वर्षा जल पर निर्भर हैं. यहां बहु फसलीय खेती नहीं होती है, जिससे आय के साधन सीमित हैं. सरकार और बैंक किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत है. देश में महिला समूहों की उन्नति किसी क्रांति की तरह हो रही है. इससे हमें सीखने की जरूरत है. हम लोग किसानों के मामलों में केसीसी से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं जबकि कृषि क्षेत्र से जुड़े कई बड़े उपकरणों पर सामग्री के लिए भी लोन लिया जा सकता है. बैंकों के पास पैसे की कमी नहीं है, बस स्कोप होना चाहिए.
एफ आर बोखारी, जोनल मैनेजर, इंडियन बैंक
पात्र किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के साथ एक सेविंग्स अकाउंट दिया जाता है. इस एकाउंट में उन्हें बढ़िया दर पर ब्याज मिलता है. साथ ही इस पर उन्हें स्मार्ट कार्ड और डेबिट कार्ड भी मुहैया कराया जाता है. कर्ज चुकाने के लिए भी काफी फ्लैक्सिबिलिटी मिली हुई है. कर्ज का वितरण भी काफी आसानी से हो रहा है. यह क्रेडिट उनके पास तीन सालों तक रहता है. फसल की कटाई के बाद किसान अपना लोन चुका सकते हैं. हमारा काम कॉमर्शियल बैंक से हटकर है. नाबार्ड ने 68 एफपीओ बनाये हैं. झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक और झारखंड राज्य सहकारिता बैंक के माध्यम से नाबार्ड मूल्यांकन और निगरानी रखते हुए क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ाने का परामर्श देते हैं, ताकि राज्य का विकास हो.
अन्विता डी सुरीन, डीजीएम, नाबार्ड
दूरदराज के क्षेत्र में किसान भाई-बहनों को ज्यादा इंटरेस्ट रेट पर लोन लेना पड़ता है. कृषि क्षेत्र में कम दर पर लोन कैसे उपलब्ध कराया जा सकता है, इसके लिए सहकारिता बैंक लगातार काम कर रहा है. कृषक समुदायों की जरूरतों को देखते हुए झारखंड सरकार को हमने 0% पर लोन उपलब्ध कराने को कहा है. किसानों के लिए सहकारिता बैंक हमेशा तत्पर है, हमने हमेशा कम दरों पर ऋण उपलब्ध कराने के अपने भरोसे को कायम रखा है. किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आप समय पर लोन चुका दें, तो आपको एक प्रतिशत पर लोन उपलब्ध हो सकेगा.
विभा सिंह, चेयरमैन, झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक
झारखंड में बैंक सखी को ही बैंकिंग कॉरस्पॉडेंट पर नियुक्त करने का प्रयास हो रहा है. बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंस बैंकिंग भाषा में प्रयोग होता है, लेकिन आम बोल-चाल की भाषा में इसे बैंकिंग सखी या बैंक मित्र कहते हैं. आपके घर के आसपास ही बैंक सुविधा का लाभ दिलाने के लिए बैंक प्रयासरत है. किसानों के लिए केसीसी और एसएचजी लोन है. अक्सर लोग किसानों के लिए यही लोन समझते हैं, जबकि कई ऐसे उद्यमिता विकास से जुड़े लोन हैं, जो उन्हें हासिल हो सकता है.
सोनालिका, डीजीएम, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों में शाखा खोल रहा केनरा बैंक :::
हाल ही में केनरा बैंक में 23 नई ब्रांच खुले हैं. इनमें अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों में 16-17 जगह पर ऐसी शाखा कार्यरत हैं. एक जगह बैंक खुलने से काफी डेवलपमेंट होता है. यह सीधा विकास से जुड़ा मामला है. ऋण लेने से किसान भाइयों का क्रेडिट हमेशा ग्रो होता है. इसका लाभ अन्य लोगों तक पहुंचता है. सीडी रेशियो झारखंड में कम है. इसके लिए बैंक और पब्लिक दोनों जिम्मेदार हैं, क्योंकि लोगों को बैंक द्वारा दिये गये लाभ के महत्व को समझना होगा. हमारी आय का बड़ा पैसा स्वास्थ्य के क्षेत्र में चला जाता है. हम सभी को आयुष्मान कार्ड या न्यूनतम स्वास्थ्य बीमा जरूर रखना चाहिए, ताकि इमरजेंसी के समय आपको पैसों के लिए कहीं और नहीं जाना पड़े. बैंकों के पास बहुत सारी स्कीम है. आप बस अपने क्रेडिट रिकॉर्ड को मेंटेन रखें, आपको बैंक से ज्यादा मददगार कोई और नजर नहीं आयेगा.
सुनील कुमार सिंह, एजीएम, केनरा बैंक
केसीसी से ही पलायन रूकेगा. इससे माइक्रो फाइनांस या महाजन के पास जाने की जरूरत खत्म हो गयी है. लोन लेकर आपको प्रोडक्टिव कार्यों में लगाना चाहिए. अभी भी लोगों में जागरूकता की बड़ी कमी है, समय पर लोन चुकाना सबसे जरूरी है. समय पर अगर बैंक से कर्ज ली गयी राशि को लौटा दिया जाये, तो आपके क्रेडिट राशि में लगातार बढ़ोतरी होगी. बकरी पालन, सब्जी उत्पादन के लिए पैसे दिये जा रहे हैं. परिवार के लोग भी इसमें सहयोग के लिए आर्थिक मदद प्रदान करते हैं. महिलाएं परिवार की बैक बोन होती है. अगर उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बना दिया जाये, तो पूरा परिवार मजबूत होता है.
रिटायर्ड मेजर विक्रांत टंडन, जोनल मैनेजर, यूको बैंक
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