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Mandar Vidhan Sabha|Jharkhand Assembly Election|मांडर (रांची), तौफिक आलम : अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित राजधानी रांची के मांडर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हमेशा से रोमांचक रहा है. इस विधानसभा सीट से वर्ष 1977, 1980 व 1990 में करमचंद भगत और वर्ष 2005, 2009 एवं 2019 में बंधु तिर्की जीते. इन दोनों नेताओं ने 3-3 बार जीत हासिल कर इस सीट पर हैट्रिक लगायी है. संयोगवश दोनों शिक्षा मंत्री भी बने.
करमचंद भगत और बंधु तिर्की दोनों बने शिक्षा मंत्री
करमचंद भगत ने एकीकृत बिहार और बंधु तिर्की ने झारखंड में शिक्षा मंत्री की कुर्सी संभाली थी. कांग्रेस की परंपरागत सीट पर बंधु तिर्की ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में झारखंड विधानसभा चुनाव जीता. बाद में वह झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक (जेवीएण-पी) के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते.
2014 में पहली बार गंगोत्री कुजूर ने दिलाई भाजपा को जीत
वर्ष 2014 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की. गंगोत्री कुजूर यहां की प्रथम महिला विधायक बनीं. वर्ष 2019 में फिर से बंधु तिर्की चुनाव जीतकर विधायक बने. आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बंधु तिर्की को 3 साल की सजा सुनायी, तो उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई. वर्ष 2022 में मांडर विधानसभा में उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बंधु तिर्की की बेटी शिल्पा नेहा तिर्की ने चुनाव जीता.
![Mandar Vidhan Sabha: कांग्रेस के गढ़ मांडर में सिर्फ एक बार जीती भाजपा, निर्दलीय लड़कर भी जीते बंधु तिर्की 1 Mandar Cold Storage](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/09/mandar-cold-storage.jpeg)
दूसरे राज्यों को जाती है सब्जी, कोल्ड स्टोरेज तक की सुविधा नहीं
सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में अलग पहचान रखनेवाले मांडर विधानसभा क्षेत्र से सीजन में सैकड़ों ट्रक सब्जी दूसरे राज्यों को भेजी जाती है. लेकिन वहां के किसानों की सुविधा के लिए कोई विशेष काम नहीं हुआ है. मांडर के बुढ़ाखुखरा में 2018 से बन रहा कोल्ड स्टोरेज अब तक शुरू नहीं हो सका है.
बाजारटांड़ में बना कोल्ड स्टोरेज दो साल से बंद
बेड़ो के बाजारटांड़ में बना कोल्ड स्टोरेज करीब दो साल से बंद पड़ा है. सिंचाई सुविधा के अभाव में खेती पूरी तरह से बरसात पर ही निर्भर है. अच्छी बारिश नहीं होने पर सैकड़ों एकड़ खेत बंजर पड़े रहते हैं. मनरेगा से बनाये गये सिंचाई कूपों का फायदा भी किसानों को नहीं होता दिखता है. िकसानों के लिए कोई विशेष योजना नहीं है.
मांडर विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
- रोजगार और पलायन : मांडर विधानसभा क्षेत्र में रोजगार का घोर अभाव है. इसकी वजह से हर साल बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं.
- शिक्षा व्यवस्था : बेड़ो प्रखंड के चचकोपी में कई साल पहले एमएसडीपी से बना अल्पसंख्यक आइटीआइ कॉलेज चालू नहीं हो पाया है.
- स्वास्थ्य सेवा : स्वास्थ्य के मामले में भी मांडर की स्थिति संतोषप्रद नहीं है. इटकी प्रखंड में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) बनकर तैयार है, लेकिन इसका हैंडओवर नहीं हुआ है.
- पेयजल की समस्या : डुमरी निवासी मेराज अंसारी कहते हैं कि गांव में पेयजल की समस्या है. गांव में जलमीनार निर्माण के लिए करीब 6 माह पहले लोहे के एंगल और अन्य सामग्री आई थी. उसके बाद से जलमीनार का निर्माण कराने वाले लोग गायब हैं.
मांडर विधानसभा उपचुनाव 2022 के परिणाम
प्रत्याशी का नाम | पार्टी का नाम | प्राप्त वोट |
शिल्पी नेहा तिर्की | कांग्रेस | 95,486 |
गंगोत्री कुजूर | भारतीय जनता पार्टी | 71,776 |
मांडर विधानसभा चुनाव 2019 के परिणाम
प्रत्याशी का नाम | पार्टी का नाम | प्राप्त वोट |
बंधु तिर्की | झारखंड विकास मोर्चा-पी | 92,491 |
देवकुमार धान | भारतीय जनता पार्टी | 69,364 |
मांडर विधानसभा चुनाव 2014 के परिणाम
प्रत्याशी का नाम | पार्टी का नाम | प्राप्त वोट |
गंगोत्री कुजूर | भारतीय जनता पार्टी | 54,200 |
बंधु तिर्की | तृणमूल कांग्रेस | 46,595 |
2 साल के कार्यकाल में कई काम हुए : शिल्पी नेहा तिर्की
![Mandar Vidhan Sabha: कांग्रेस के गढ़ मांडर में सिर्फ एक बार जीती भाजपा, निर्दलीय लड़कर भी जीते बंधु तिर्की 2 Shilpi Neha Tirkey Congress](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/09/shilpi-neha-tirkey-congress-780x1024.jpeg)
विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि उन्होंने अपने दो साल के कार्यकाल में मांडर विधानसभा क्षेत्र में विकास के कई कार्य किये हैं. सड़क, पुल, शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल सुविधा को लेकर कई कार्य किये गये हैं. शिक्षा की बेहतर सुविधा के लिए करमचंद भगत कॉलेज बेड़ो में 13 करोड़ और मांडर कॉलेज में 9.67 करोड़ की लागत से आधारभूत संरचना का निर्माण कार्य शुरू कराया गया है. इटकी में छह हजार करोड़ की लागत से अजीम प्रेमजी विवि की स्थापना के लिए एमओयू कराया गया है. इसके अलावा मांडर विधानसभा क्षेत्र को स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर बनाने के लिए दो दर्जन स्वास्थ्य उपकेंद्रों का निर्माण कराया जा रहा है. धार्मिक आस्था से जुड़े स्थानों को संरक्षित रखने के लिए चहारदीवारी के सौंदर्यीकरण का कार्य भी विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किया गया है. साथ ही मांडर के गौरी शंकर मंदिर, जलेश्वर धाम, बेड़ो के महादानी मंदिर, लापुंग के घघारी धाम में पर्यटन क्षेत्र को लेकर कई कार्य कराये जा रहे हैं.
उम्मीदों को पूरा नहीं कर सकीं विधायक : गंगोत्री कुजूर
पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा कि विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने अपने कार्यकाल में दूसरे विभाग की सरकारी योजना का क्रेडिट लेने व अन्य रूटीन वर्क के अलावा क्षेत्र में विकास का कोई काम नहीं किया है. 2022 में मांडर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने जिस उम्मीद से उन्हें चुना था, उसमें वह फेल हो गयी हैं. विधायक बनने के बाद भी आम जनता के दुख-दर्द को गंभीरता से समझने और उनकी समस्या को दूर करने के प्रयास में वह बहन-बेटी की भूमिका नहीं निभा पायी.
![Mandar Vidhan Sabha: कांग्रेस के गढ़ मांडर में सिर्फ एक बार जीती भाजपा, निर्दलीय लड़कर भी जीते बंधु तिर्की 3 Gangotri Kujur](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/09/Gangotri-kujur.jpeg)
लोकसभा चुनाव 2024 में मांडर से किसे-कितने वोट मिले
प्रत्याशी का नाम | पार्टी का नाम | प्राप्त कुल वोट |
समीर उरांव | भारतीय जनता पार्टी | 82,466 |
सुखदेव भगत | कांग्रेस | 1,31,383 |
क्या कहते हैं लोग
लापुंग प्रखंड के हुलसू सदान टोला में सड़क व पेयजल की समस्या है. हुलसु गांव में पांच वर्ष में विधायक मद से एक भी काम नहीं हुआ है. यहां सड़क अब भी कच्ची है. ग्रामीणों की ओर से सड़क के निर्माण की मांग की जाती रही है. लेकिन इसके निर्माण को लेकर अब तक कोई पहल नहीं की गयी है.
घनश्याम साहू, हुलसू सदान टोला, लापुंग प्रखंड, रांची
बेड़ो प्रखंड के हमारे चचकोली गांव में 3 साल पहले से अल्पसंख्यक आइटीआइ कॉलेज बना है. जिसे चालू करने के लिए अब तक कोई पहल नहीं की गयी है. आइटीआइ को चालू करने को लेकर गांव के युवकों ने पूर्व मंत्री बंधु तिर्की और आलमगीर आलम से भी मुलाकात की थी. लेकिन अब तक यह बंद पड़ा है.
शहरयार चौधरी, चचकोपी गांव, बेड़ो प्रखंड, रांची
मांडर विधानसभा सीट से चुने गए अब तक के विधायकों की लिस्ट
चुनाव का वर्ष | विजेता का नाम | पार्टी का नाम |
1952 | सोमा भगत | कांग्रेस |
1957 | इग्नेश कुजूर | झारखंड पार्टी |
1962 | जहूर अली | कांग्रेस |
1967 | एस भगत | कांग्रेस |
1972 | कृष्णा भगत | कांग्रेस |
1977 | करमचंद भगत | कांग्रेस |
1980 | करमचंद भगत | कांग्रेस |
1985 | गंगा टाना भगत | कांग्रेस |
1990 | करमचंद भगत | राष्ट्रीय जनता दल |
1995 | विश्वनाथ भगत | झारखंड मुक्ति मोर्चा |
2000 | देवकुमार धान | कांग्रेस |
2005 | बंधु तिर्की | यूजीडीपी |
2009 | बंधु तिर्की | झाजमं |
2014 | गंगोत्री कुजूर | भारतीय जनता पार्टी |
2019 | बंधु तिर्की | झारखंड विकास मोर्चा – पी |
2022 (उपचुनाव) | शिल्पी नेहा तिर्की | कांग्रेस |
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