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लॉकडाउन में राजनीति का मोहरा बन गये हैं प्रवासी मजदूर! ट्विटर पर सरयू राय और महेश पोद्दार का संवाद

झारखंड के प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान राजनीति का मोहरा बन गये हैं! प्रदेश के एक पूर्व मंत्री एवं विधायक और एक राज्यसभा सांसद के ट्वीट से इस बहस की शुरुआत हुई. पूर्वी सिंहभूम के विधायक सरयू राय ने ट्वीट किया कि प्रवासी मजदूर राजनीति का मोहरा बनते जा रहे हैं. इन्हें लाने की जिम्मेदारी किसकी है, के सवाल पर, सीएम-पीएम पर, फेंकाफेंकी ठीक नहीं.

रांची : झारखंड के प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान राजनीति का मोहरा बन गये हैं! प्रदेश के एक पूर्व मंत्री एवं विधायक और एक राज्यसभा सांसद के ट्वीट से इस बहस की शुरुआत हुई. पूर्वी सिंहभूम के विधायक सरयू राय ने ट्वीट किया कि प्रवासी मजदूर राजनीति का मोहरा बनते जा रहे हैं. इन्हें लाने की जिम्मेदारी किसकी है, के सवाल पर, सीएम-पीएम पर, फेंकाफेंकी ठीक नहीं.

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उन्होंने आगे लिखा कि भारत का संविधान हम सभी धनी-गरीब को देश के किसी भी कोने में जाने, बसने, रोजगार-व्यवसाय करने की इजाजत देता है. हम सभी भारत के नागरिक हैं, किसी राज्य के नहीं. दो दिन पहले सरयू राय ने ट्विटर पर एक पोस्ट डाला, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘विधानसभा अध्यक्ष से उनके आवास पर मिला. कोरोना संकट के संबंध में विधायिका की भूमिका और लोकसभा के माननीय अध्यक्ष की पहल पर बात हुई.’

श्री राय ने आगे लिखा कि ऐसे संकट के समय शासन के संघीय ढांचा की भावना के अनुरूप विधायिका की प्रभावी भूमिका एवं सार्थक हस्तक्षेप का विशेष महत्व है. इस पर राज्यसभा के सदस्य महेश पोद्दार ने उन्हें जवाब दिया कि भारत के एक पूर्व मंत्री और आज के सांसद रोजाना करीब 15 दिनों से अपने क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों को लाने की मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं. लेकिन, इस पर कोई संज्ञान नहीं लेता. हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा को टैग करते हुए महेश पोद्दार ने श्री राय से पूछा, ‘आप इसे कैसे लेते हैं.’

इस पर सरयू राय ने लिखा किया कि प्रवासी मजदूरों की समस्या पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य और राष्ट्र के स्तर पर सर्वसम्मति बनायें. कामगारों को राजनीति का मोहरा बनने से रोकें. संघीय ढांचा में केंद्र-राज्य संबंध परिभाषित है. प्रवासी मजदूर/हम/आप नागरिक देश के हैं, किसी राज्य के नहीं.

जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने एक और ट्वीट में कहा कि प्रवासी श्रमिकों की समस्या पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य और राष्ट्र के स्तर पर सर्वदलीय मीटिंग बुलायें. इन्हें राजनीति का मोहरा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है. संघीय ढांचा में सरकारिया आयोग व अन्य ने केंद्र और राज्यों के बीच का संबंध परिभाषित किया है. इसे दोनों निभायें.

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बहस इन्हीं दोनों नेताओं के बीच नहीं रह गया. वरिष्ठ पत्रकार सुनील तिवारी ने लिखा, ‘चार्टर्ड हवाई जहाज मिलने का इंताजार है. बस मिला कि एक ही दिन में सबको ले आयेंगे. पता नहीं है क्या कि दुमका इलाके के लोग पूर्वोत्तर राज्यों से खुद से बस लेकर पहुंच रहे हैं. हवाई जहाज के सपने दिखाने की बजाय अगर इन्हें बस दिलवा दिया गया होता, तो भला होता? लेकिन अभी राजनीति जो करना है.’

भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के सोशल मीडिया प्रभारी राहुल अवस्थी ने हेमंत सोरेन की सरकार पर कटाक्ष किया. लिखा, ‘सरकार के अथक प्रयास से झारखंड के सभी प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौट रहे हैं. ट्विटर पे सवार होकर’. धरातल पर तो झारखंड में सरकार है ही नहीं. वहीं, एक इंपोर्टर-एक्सपोर्टर रवि बर्णवाल ने जयंत सिन्हा पर चुटकी ली. उन्होंने लिखा, ‘जयंत सिन्हा जी को मजाक करना बहुत अच्छे से आता है. इसलिए इनकी बातों को मुख्यमंत्री हल्के में लेते हैं.’

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