रांची. रोम में कार्यरत झारखंड के तीन धर्मसमाजियों ने अपने धर्मसंघीय जीवन (सेवकाई) के 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं. इनमें फादर प्रेम खलखो एसजे, सिस्टर फातिमा टेटे डीएसए और सिस्टर उषा मनोरमा तिर्की डीएसए शामिल हैं. 12 जनवरी को रोम में इनके धर्मसंघीय जीवन और अथक सेवा के 25 वर्षों की वर्षगांठ मनायी गयी. यह आयोजन ””आभास”” परिवार के तत्वावधान में रोम के संत पेत्रुस कॉलेज में हुआ.
भारत से रोम आये आदिवासी समुदाय का समूह है आभास
मालूम हो कि अखिल भारतीय आदिवासी समुदाय (आभास) भारत के विभिन्न क्षेत्रों से रोम आये आदिवासी समुदाय का समूह है. आभास से जुड़े लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करने या धार्मिक संस्थाओं में सेवा देने के लिए रोम (इटली) में हैं. रोम में मौजूद फादर सुशील टोप्पो ने बताया कि इस बार के आयोजन में खास बात यह थी कि समारोह में सभी लोग आदिवासी पारंपरिक पोशाक में थे. उन्होंने प्रवेश नृत्य करते हुए मुख्य अनुष्ठाता और सह-अनुष्ठाता का स्वागत किया. कार्यक्रम की शुरुआत आभास परिवार के अध्यक्ष फादर कुलवंत के स्वागत संबोधन से हुई.नम्रता की शिक्षा देता है यीशु ख्रीस्त का बपतिस्मा
मिस्सा बलिदान के दौरान फादर प्रेम खलखो ने तीन महत्वपूर्ण बातें साझा की. उन्होंने कहा कि यीशु ख्रीस्त का बपतिस्मा हमें नम्रता की शिक्षा देता है और यह हमारे बपतिस्मा के समझौते की याद दिलाता है. दूसरा हमें हमेशा अपनी बुलाहट के लिए यीशु ख्रीस्त का धन्यवाद करना चाहिए. और तीसरा संत पापा फ्रांसिस ने वर्ष 2025 को जुबिली वर्ष घोषित किया है, जिसका मोटो है ””””आशा के तीर्थयात्री””””. इस वाक्य का मतलब है कि हमें अपने जीवन में आशा को कभी नहीं खोना चाहिए, बल्कि एक-दूसरे के लिए आशा और उम्मीद का कारण बनना चाहिए. मिस्सा के बाद धर्मबंधु पिंगल लकड़ा की अगुवाई में आभास परिवार ने जुबिलेरियन को बधाई गीत गाकर और फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया. इसके बाद नये आभास समिति का चुनाव भी हुआ. इसमें विजय टोप्पो अध्यक्ष, धर्मबंधु पिंगल लकड़ा सचिव, सिस्टर प्रमिला लकड़ा खजांची और सिस्टर अनुग्रह मिंज को सलाहकार के रूप में चुना गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है