सुप्रीम कोर्ट ने यौन शोषण के आरोपी विधायक प्रदीप यादव की स्पेशल लीव पिटीशन (क्रिमिनल) खारिज कर दी. सुनवाई जस्टिस बेला एम त्रिवेदी व जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ में हुई. प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता बिपिन सांगी व अधिवक्ता पूजा हेगड़े ने पैरवी की, जबकि पीड़िता की ओर से वरीय अधिवक्ता सोनिया माथुर व अधिवक्ता सिमांत कुमार ने पक्ष रखा. प्रदीप यादव ने एसएलपी (क्रिमिनल) दायर कर हाइकोर्ट के फैसले को चुनाैती दी थी और निचली अदालत में चल रहे क्रिमिनल प्रोसिडिंग्स को निरस्त करने की मांग की थी.
दुमका की विशेष न्यायाधीश की अदालत ने दो अप्रैल 2022 को प्रदीप यादव की डिस्चार्ज पिटीशन खारिज कर दी थी, जिसे उन्होंने हाइकोर्ट में चुनाैती दी थी. हाइकोर्ट ने एक सितंबर 2023 को प्रार्थी की रिवीजन याचिका खारिज कर दी थी.
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विधायक प्रदीप यादव पर एक महिला अधिवक्ता ने यौन शोषण का आरोप लगाते हुए 20 अप्रैल 2019 को देवघर महिला थाना में केस दर्ज कराया था. इसके बाद इसकी सुनवाई दुमका के एमपी एमलए कोर्ट में हुई. इस दौरान विधायक प्रदीप यादव ने झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत की गुहार लगायी. जिसमें उन्हें अदालत ने बड़ी राहत देते हुए न सिर्फ उनकी जमानत याचिका स्वीकृत की बल्कि इस मामले की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी.