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झारखंड में कैसे रुकेगी बांग्लादेशियों की घुसपैठ? हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान जानें क्या हुआ

संताल परगना के जो जिले (साहिबगंज, पाकुड, गोड्डा, जामताड़ा व दुमका) बांग्लादेश से सटे हुए हैं, वहां सुनियोजित तरीके से बांग्लादेशी घुसपैठियों को प्रवेश कराया जाता है. ये घुसपैठिये स्थानीय आदिवासी लड़कियों से शादी (लव जिहाद) करते हैं.

झारखंड हाइकोर्ट ने बंग्लादेशी घुसपैठियों के झारखंड में प्रवेश के कारण जनसंख्या में हो रहे बदलाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के शपथ पत्र पर प्रार्थी को प्रति उत्तर दायर करने के लिए समय प्रदान किया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 नवंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने शपथ पत्र दायर कर बताया कि कानून के अनुसार शक्तियां राज्य सरकार को डेलीगेट कर दी गयी हैं. विदेशी लोगों की पहचान कर उन्हें कैंप में रखना है तथा वापस भेज देना है. इस मामले में राज्य सरकार को कार्रवाई करनी है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखते हुए बताया कि वह केंद्र सरकार के शपथ पत्र पर प्रतिउत्तर दायर करेंगे. उनके पास पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध हैं, लेकिन राज्य सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण झारखंड के कई जिलों की डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है.

उल्लेखनीय है कि प्रार्थी डेनियल दानिश ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि संताल परगना के जो जिले (साहिबगंज, पाकुड, गोड्डा, जामताड़ा व दुमका) बांग्लादेश से सटे हुए हैं, वहां सुनियोजित तरीके से बांग्लादेशी घुसपैठियों को प्रवेश कराया जाता है. ये घुसपैठिये स्थानीय आदिवासी लड़कियों से शादी (लव जिहाद) करते हैं. आदिवासी जमीन खरीदते हैं तथा धर्म परिवर्तन करा कर डेमोग्राफिक बदलाव कर रहे हैं. इतना ही नहीं सुरक्षित सीटों पर घुसपैठिये अपनी आदिवासी पत्नी को चुनाव में खड़ा कराते हैं. पिछले कुछ वर्षों में संताल परगना में मदरसों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है. सीमा से सटे जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठिये आते हैं तथा मदरसों में ठहराये जाते हैं. वहां उनका दस्तावेज तैयार होता है. इसके बाद किस घुसपैठिये को कहां जाना है, उसे कहां रहना है, तय होता है. फिर योजना के अनुसार उसे अंजाम दिया जाता है. प्रार्थी ने साहिबगंज में (बोरियो प्रखंड में सबसे अधिक) नये स्थापित किये गये लगभग 47 मदरसों की सूची भी याचिका के साथ संलग्न की है.उल्लेखनीय है कि प्रार्थी डेनियल दानिश ने जनहित याचिका दायर की है.

याचिका में कहा गया है कि संताल परगना के जो जिले (साहिबगंज, पाकुड, गोड्डा, जामताड़ा व दुमका) बांग्लादेश से सटे हुए हैं, वहां सुनियोजित तरीके से बांग्लादेशी घुसपैठियों को प्रवेश कराया जाता है. ये घुसपैठिये स्थानीय आदिवासी लड़कियों से शादी (लव जिहाद) करते हैं. आदिवासी जमीन खरीदते हैं तथा धर्म परिवर्तन करा कर डेमोग्राफिक बदलाव कर रहे हैं. इतना ही नहीं सुरक्षित सीटों पर घुसपैठिये अपनी आदिवासी पत्नी को चुनाव में खड़ा कराते हैं. पिछले कुछ वर्षों में संताल परगना में मदरसों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है. सीमा से सटे जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठिये आते हैं तथा मदरसों में ठहराये जाते हैं. वहां उनका दस्तावेज तैयार होता है. इसके बाद किस घुसपैठिये को कहां जाना है, उसे कहां रहना है, तय होता है. फिर योजना के अनुसार उसे अंजाम दिया जाता है. प्रार्थी ने साहिबगंज में (बोरियो प्रखंड में सबसे अधिक) नये स्थापित किये गये लगभग 47 मदरसों की सूची भी याचिका के साथ संलग्न की है.

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