रांची: नयी दिल्ली में सांसद संजय सेठ ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान सांसद ने केंद्रीय मंत्री को रांची लोकसभा क्षेत्र में एनएचएआई के द्वारा संचालित परियोजनाओं की जानकारी दी. सांसद ने केंद्रीय मंत्री को रांची के रातू रोड में निर्माणाधीन एलिवेटेड कॉरिडोर की प्रगति से अवगत कराया और इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने से संबंधित आग्रह पत्र भी सौंपा.
रातू रोड एलिवेटेड कॉरिडोर का 25 फीसदी कार्य पूरा
सांसद संजय सेठ ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि झारखंड की राजधानी रांची के अति व्यस्ततम रातू रोड में 533 करोड़ रुपए की लागत वाले एलिवेटेड कॉरिडोर की सौगात मिली है. इसके लिए आपका आभार और अभिनंदन. आपको सूचित करते हुए बहुत खुशी है कि इस एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है. अब तक 25% कार्य पूर्ण हो चुके हैं. कॉरिडोर अब धीरे-धीरे अपना आकार ले रहा है. सांसद संजय सेठ ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि ट्रैफिक जाम की समस्या से पिछले कई दशक से लोग जूझ रहे थे. उस समस्या का समाधान भी इस कॉरिडोर के निर्माण से हो जाएगा. एक शब्द में कहूं तो यह कॉरिडोर हम सबके लिए लाइफलाइन सिद्ध होने वाला है.
जनता की मांग से कराया वाकिफ
सांसद श्री सेठ ने केंद्रीय मंत्री को कहा कि इस कॉरिडोर को लेकर इस क्षेत्र की जनता का सुझाव है कि इसका नामकरण भारत में सड़कों के चतुर्दिक विकास की नींव रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर किया जाए। श्री सेठ ने इसका नाम अटल एलिवेटेड कॉरिडोर रखने का सुझाव दिया. केंद्रीय मंत्री से मुलाकात के बाद सांसद ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने इस सुझाव को सहर्ष स्वीकार किया है और इस पर यथाशीघ्र सकारात्मक पहल करने की बात कही है.
स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना की सीबीआई जांच की मांग
चांडिल डैम और विस्थापितों से जुड़ी समस्या को लेकर सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में आवाज उठाई. सांसद ने इस पूरी परियोजना की सीबीआई जांच की मांग की है. नियम 377 के तहत सांसद ने लोकसभा में अपनी बात रखते हुए कहा कि 1976 में संयुक्त बिहार था, उस समय झारखंड के चांडिल में स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना लाइ गयी थी. उस परियोजना के तहत स्वर्णरेखा नदी पर बड़ा बांध बनाना था और इस से बिजली उत्पादन, सिंचाई सहित कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाना था. परियोजना को आए हुए 45 साल से अधिक हो गए परंतु अब तक यह परियोजना पूर्ण नहीं हो पायी.
116 गांव हैं बुरी तरह प्रभावित
सांसद श्री सेठ ने सदन में कहा कि 1976 में 150 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुई परियोजना आज 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत की हो चुकी है. बावजूद इसके न तो विस्थापितों को न्याय मिल पाया, ना तो यह परियोजना पूर्ण हो पायी. परियोजना के कारण 116 गांव बुरी तरह प्रभावित हुए और इसके 19000 से अधिक परिवार विस्थापित हुए. आज भी जब बरसात का पानी डैम पर बढ़ता है तो इस क्षेत्र के सैकड़ों गांव जलमग्न हो जाते हैं. सालों भर विस्थापितों की समस्याएं चलती रहती है. विस्थापित मेरे पास भी आते हैं. कभी मुआवजे के भुगतान को लेकर तो कभी विकास पुस्तिका बनाने को लेकर. यह स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है. इस पर अब कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. सदन के माध्यम से उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि परियोजना के आरंभ काल से लेकर अभी तक हुए कार्यों की सीबीआई से जांच कराई जाए ताकि विस्थापितों को न्याय मिल सके. परियोजना पूर्ण हो सके और आम जनता जो डैम को लेकर हमेशा दहशत में रहती है, वह भी सामान्य जीवन जी सके.
Also Read: Explainer: झारखंड की 30 हजार से अधिक महिलाओं की कैसे बदल गयी जिंदगी? अब नहीं बेचतीं हड़िया-शराब
चांडिल गोलचक्कर की समस्या को लेकर गडकरी से मिले संजय सेठ
ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के चांडिल गोल चक्कर एनएच 32 से पित्तकी फाटक तक सड़क मरम्मत से संबंधित मामले से सांसद संजय सेठ ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को अवगत कराया. इस दौरान सांसद ने केंद्रीय मंत्री को एक पत्र भी दिया और इस स्थान पर सड़क की स्थिति से अवगत कराया. सांसद ने उन्हें यह भी बताया कि सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं, जहां आए दिन दुर्घटना होती रहती हैं. अत्यधिक धूलकण के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए जनहित में इस सड़क का मरम्मत करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया जाए. सांसद के पत्र पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने तुरंत अधिकारियों को निर्देशित किया और उन्हें इसकी मरम्मत से संबंधित आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए.