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सांसद संजय सेठ बोले, लोकसभा सत्र में विपक्ष ने खुद कराया अपना फ्लोर टेस्ट, हेमंत सोरेन सरकार पर भी साधा निशाना

सांसद संजय सेठ ने कहा कि वे अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए. सारा सच जानने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनके अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किया और सदन में ढाई घंटे तक बोलते रहे. लोगों को प्रधानमंत्री को सुनना भी उचित नहीं लगा. इस देश में विपक्षियों का यही आचरण है.

रांची: कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के द्वारा लोकसभा का मानसून सत्र बाधित किए जाने व व्यवधान उत्पन्न करने को लेकर रांची से बीजेपी सांसद संजय सेठ ने अरगोड़ा स्थित केंद्रीय कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत की. इस पत्रकार वार्ता में सांसद संजय सेठ ने कहा कि लोकसभा का मानसून सत्र 20 दिनों का बुलाया गया था, ताकि देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो सके. सांसद अपने-अपने क्षेत्र से जुड़ी समस्याएं सदन के माध्यम से सरकार के समक्ष रख सकें. कई महत्वपूर्ण बिल पास हो सके, लेकिन कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों द्वारा सदन को बाधित करने का जो कुत्सित कार्य किया गया, यह लोकतंत्र में अक्षम्य अपराध है. भले ही वे सदन से माफी मांग लें, परंतु इस देश की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी क्योंकि जब सदन चलती है तो उसके एक-एक मिनट का महत्व होता है. दरअसल जो अविश्वास प्रस्ताव और फ्लोर टेस्ट विपक्षी दल कर रहे थे, वह फ्लोर टेस्ट मोदी सरकार का नहीं था. वह फ्लोर टेस्ट विपक्ष का था. इस दौरान सांसद संजय सेठ ने विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत भारत सरकार ने झारखंड को 10000 करोड़ रुपये दिए और आश्चर्य की बात है कि सरकार महज 3000 करोड़ रुपये खर्च कर पायी. सोचने वाली बात है कि 70 फ़ीसदी राशि खर्च करने में सरकार विफल रही. आखिर किस मुंह से राज्य सरकार के नुमाइंदे भारत सरकार पर आरोप लगाते हैं. आयुष्मान भारत योजना के तहत नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिकों को 500000 तक की मुफ्त स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया हैय इसके तहत झारखंड में 721 अस्पताल निबंधित किए गए हैं, जहां आयुष्मान कार्ड के माध्यम से उपचार किया जाता है. इतना ही नहीं कैंसर से संबंधित 593 प्रकार की उपचार प्रक्रिया को इसमें रखा गया है, ताकि कैसी भी समस्या हो, इस देश के आम लोग गरीब नागरिक आराम से अपना उपचार करा सकें. राष्ट्रीय स्तर पर पत्थरबाजी एक गंभीर समस्या बन चुकी है. ऐसा लग रहा है कि जैसे राष्ट्र विरोधी तत्व पत्थरबाजों को प्रशिक्षण देते हैं क्योंकि कश्मीर से लेकर झारखंड की राजधानी रांची से लेकर साहिबगंज तक पत्थरबाजी का स्टाइल देखेंगे तो बिल्कुल एक ही तरीका होता है. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर कड़ा कानून बनाने की मांग की है, ताकि इन पत्थरबाजों को कड़ी सजा मिल सके.

सदन में विपक्ष ने किया गैर जिम्मेदाराना व्यवहार

रांची के सांसद संजय सेठ ने कहा कि सदन में विधेयक पास होते हैं. कई मुद्दों पर चर्चा होती है परंतु विपक्ष ने ऐसा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया, जैसे उन्हें सदन से कोई मतलब ही नहीं. भ्रामक और दुष्प्रचार करते रहे. इस वजह से चार संसद सदस्यों को निलंबित भी किया गया. बावजूद इसके इनकी हरकतों में कोई सुधार नहीं हुआ. मणिपुर के जिस मुद्दे को लेकर यह लोग चर्चा की मांग कर रहे थे, संसद की शुरुआत होने के साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर चर्चा करने की बात स्वीकार कर ली थी और यह भी कहा था कि जितनी लंबी चाहें, चर्चा कर सकते हैं. कोई समस्या नहीं है. बावजूद इसके विपक्षी सदस्यों के द्वारा हंगामा जारी रहा. यहां तक कि जब गृह मंत्री भी इस मुद्दे पर सदन में अपनी बात रख रहे थे, सभी सदस्यों ने सदन को बाधित किया.

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विपक्ष का था फ्लोर टेस्ट

सांसद संजय सेठ ने कहा कि वे अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए. सारा सच जानने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनके अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किया और सदन में ढाई घंटे तक बोलते रहे. वहां भी दुर्भाग्य था, लोगों को प्रधानमंत्री को सुनना भी उचित नहीं लगा. इस देश में विपक्षियों का यही आचरण है. दरअसल जो अविश्वास प्रस्ताव और फ्लोर टेस्ट विपक्षी दल कर रहे थे, वह फ्लोर टेस्ट मोदी सरकार का नहीं था. वह फ्लोर टेस्ट विपक्ष का था. इससे पहले ही कागज, कलम, बैट बॉल सब कुछ छोड़ कर विपक्षी मैदान से भाग गए. पूरे देश ने देखा कि इन विपक्षियों को न तो देश की चिंता है और ना ही मणिपुर की चिंता है, न तो झारखंड की चिंता है. सिर्फ और सिर्फ अपनी चिंता है.

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कैंसर को अधिसूचित बीमारियों की श्रेणी में शामिल किया जाए

संजय सेठ ने कहा कि विपक्षियों के द्वारा तमाम प्रकार के व्यवधान उत्पन्न किए जाने के कारण सदन को नहीं चलने देने की स्थिति तैयार करने, अमर्यादित आचरण करने के बावजूद इस सत्र में उन्होंने अपने क्षेत्र की बातें रखीं. अपने सवालों को रखा. इसमें सबसे महत्वपूर्ण उन्होंने कैंसर से संबंधित एक मामला लोकसभा में रखा और सरकार से आग्रह किया कि कैंसर को अधिसूचित बीमारियों की श्रेणी में शामिल किया जाए, ताकि कैंसर मरीजों की ट्रैकिंग आसान हो. उनका उपचार आसान हो और सस्ते में उनका उपचार हो सके. इसके अलावा चांडिल डैम जो चार दशक पहले बना है, आज भी वहां के विस्थापित न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. मैंने इस मुद्दे पर भी सरकार से मांग की है कि चांडिल डैम बनने की प्रक्रिया आरंभ होने से लेकर अभी तक की स्थिति की सीबीआई से जांच कराई जाए. पीएम कुसुम योजनाएं वैसी योजना है, जो किसानों को ऊर्जा और पानी की गारंटी देता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह योजना लायी थी. इसके तहत 36 करोड़ की लागत से झारखंड में 36000 योजनाओं की स्वीकृति दी गयी, परंतु दुर्भाग्य है इस राज्य में 12000 योजनाओं पर ही काम हो पाया. राज्य सरकार की लापरवाही कहें या अनदेखी कहें कि कई योजनाएं अब तक लंबित पड़ी हुई हैं.

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पत्थरबाजों को कड़ी सजा दिलाने के लिए बने राष्ट्रीय कानून

हम सब ने देखा है कि देश में एक बड़ी समस्या उभर रही है. वह है पत्थरबाजी की समस्या. राष्ट्रीय स्तर पर पत्थरबाजी एक गंभीर समस्या बन चुकी है. ऐसा लग रहा है कि जैसे राष्ट्र विरोधी तत्व पत्थरबाजों को प्रशिक्षण देते हैं क्योंकि कश्मीर से लेकर झारखंड की राजधानी रांची से लेकर साहिबगंज तक पत्थरबाजी का स्टाइल देखेंगे तो बिल्कुल एक ही तरीका होता है. मैंने सरकार से आग्रह किया है कि राष्ट्रीय स्तर का कानून बनाया जाए ताकि इन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जा सके. मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में कई सवाल पूछे. जिसमें कुल 18 मंत्रालयों के द्वारा मेरे प्रश्नों का जवाब दिया गया. संजय सेठ ने कहा कि मुझे आश्चर्य हुआ कि केंद्र सरकार दोनों हाथ खोलकर झारखंड के विकास के लिए पैसे दे रही है, परंतु राज्य सरकार उस पर क्या कर रही है, यह समझ से परे है.

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जल जीवन मिशन के तहत 70 फीसदी राशि नहीं कर पायी खर्च

संजय सेठ ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत भारत सरकार ने झारखंड को 10000 करोड़ रुपये दिए और आश्चर्य की बात है कि सरकार महज 3000 करोड़ रुपये खर्च कर पायी. सोचने वाली बात है कि 70 फ़ीसदी राशि खर्च करने में सरकार विफल रही. आखिर किस मुंह से राज्य सरकार के नुमाइंदे भारत सरकार पर आरोप लगाते हैं. शिशुओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, गर्भवती महिलाओं के पोस्टिक आहार के लिए, उनके बेहतर स्वास्थ्य हेतु भारत सरकार ने 397 करोड़ रुपए की राशि राज्य को प्रदान की है. यह भी एक बड़ी राशि है, जिसका उपयोग राज्य सरकार को बेहतर तरीके से करना चाहिए. पिछले 2 वर्षों में झारखंड में 89 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए हैं, जो बहुत बड़ी संख्या है. इन जन औषधि केंद्रों में 50 से 90 फ़ीसदी सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं. सबसे सुखद बात यह है कि बाजार में जो लोग यह अफवाह उड़ाते हैं कि जन औषधि केंद्र की दवाएं कारगर नहीं हैं. भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जिन मानकों के तहत ब्रांडेड दवाइयां बनाई जाती हैं. उन्हें मानकों के तहत इन दवाओं का भी निर्माण किया जाता है. इसलिए इन दवाओं के उपयोग में कहीं से कोई परेशानी या समस्या नहीं है.

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आयुष्मान भारत योजना के तहत झारखंड में 721 अस्पताल निबंधित

आयुष्मान भारत योजना के तहत नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिकों को 500000 तक की मुफ्त स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया हैय इसके तहत झारखंड में 721 अस्पताल निबंधित किए गए हैं, जहां आयुष्मान कार्ड के माध्यम से उपचार किया जाता है. इतना ही नहीं कैंसर से संबंधित 593 प्रकार की उपचार प्रक्रिया को इसमें रखा गया है, ताकि कैसी भी समस्या हो, इस देश के आम लोग गरीब नागरिक आराम से अपना उपचार करा सकें. पीएम कुसुम योजनाएं वैसी योजना है, जो किसानों को ऊर्जा और पानी की गारंटी देता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह योजना लायी थी. इसके तहत 36 करोड़ की लागत से झारखंड में 36000 योजनाओं की स्वीकृति दी गयी, परंतु दुर्भाग्य है इस राज्य में 12000 योजनाओं पर ही काम हो पाया. राज्य सरकार की लापरवाही कहें या अनदेखी कहें कि कई योजनाएं अब तक लंबित पड़ी हुई हैं.

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