राजधानी रांची के कचहरी चौक के पास नया रवीन्द्र भवन परिसर जल्द ही बनकर तैयार हो जायेगा. दरअसल, भवन के निर्माण का काम अंतिम चरण पर है. बता दें कि इस भवन की आधारशिला 2 अप्रैल, 2017 को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा रखी गई थी. रवीन्द्र भवन ने शहर की पुरानी महात्मा गांधी टाउन इमारत की जगह ली है, जो उस समय जर्जर हालत में थी. इस परियोजना की परिकल्पना और मंजूरी 2016 में पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार द्वारा की गई थी.
दिसंबर में होगा भवन का उद्घाटन
झारखंड शहरी बुनियादी ढांचा विकास निगम (JUIDCO) के जनसंपर्क अधिकारी आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि अगर सब कुछ तय कार्यक्रम के अनुसार हुआ, तो यह सुविधा इस साल के अंत तक यानी दिसंबर में उद्घाटन के लिए तैयार हो जाएगी.
भवन में क्या-क्या है सुविधा
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बता दें कि 155.1 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस इमारत में एक हॉल है. जिसमें एक बार में 1,500 लोग बैठ सकते हैं.
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इसके अलावा, इसमें दो मीटिंग हॉल भी हैं. जिनमें एक बार में 200 मेहमान बैठ सकते हैं. और एक हॉल है, जिसमें 1,100 लोगों के बैठने की क्षमता है.
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हॉल और ऑडिटोरियम के अलावा, रवीन्द्र भवन में संलग्न शौचालय, एक रेस्तरां और एक फूड कोर्ट, एक अत्याधुनिक पुस्तकालय और एक जीम के साथ 24 वीआईपी कमरे भी होंगे.
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JUIDCO के अधिकारियों ने कहा कि इमारत में दो बेसमेंट-स्तरीय पार्किंग स्थल भी होंगे. जिनमें 500 चार पहिया वाहन रखे जा सकते हैं.
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जानकारी के अनुसार इस इमारत का स्वामित्व राज्य शहरी विकास विभाग के पास होगा, इसका दिन-प्रतिदिन का संचालन सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड (पीपीपी) पर किया जाएगा. आने वाले महीनों में एक निविदा जारी की जाएगी.
भवन को बनाने में क्यों लग रहा इतना समय
इस परियोजना को पूरा होने में करीब छह साल लग रहा है, जिस पर एक अधिकारी ने कहा कि कोरोनाकाल में काम काफी धीमा हो गया था. इसके अलावा, एनजीटी में दायर एक मामले के कारण कानूनी बाधा भी आयी थी. वहीं, 2018 में हरित न्यायाधिकरण में एक याचिका दायर की गयी थी. जिसमें निर्माण को रोकने की मांग की गयी थी और दावा किया गया था कि यह पास के पार्क का अतिक्रमण करके बनाया जा रहा है. हालांकि, एनजीटी को पता चलने के बाद कि यह टाउन हॉल भवन की जगह ले रहा है, याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
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इधर, रांची यूनियन क्लब एंड लाइब्रेरी के अध्यक्ष ज्योतिर्मय चौधरी ने कहा कि रांची एक सांस्कृतिक रूप से जीवंत शहर है और रवीन्द्र भवन का उद्घाटन निश्चित रूप से आने वाले सालों में शहर के कलाकारों के लिए एक बड़ा बढ़ावा साबित होगा.