Ranchi news: डायबिटीज के मरीजों के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा कारगर दवा पर खोज चल रही है. इससे ब्लड शुगर घटाने के साथ ही इससे संबंधित अन्य बीमारियों की परेशानियों पर भी बेहतर तरीके से काम किया जा सकेगा. यह कहना है आरएसएसडीआइ के राष्ट्रीय महासचिव डॉ संजय अग्रवाल का. वह शनिवार को झारखंड चैप्टर के दो दिवसीय सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से दो सालों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है.
नयी दवाएं मरीजों को देगी राहत
हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स के क्लिनिकल रिजल्ट में बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं. ऐसे में ये नयी दवाएं मरीजों को राहत देगी. इस दौरान देशभर के चिकित्सकों ने ताजा वैज्ञानिक विमर्श से फोरम सदस्यों को अवगत कराया. शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में इलाज व जागरूकता पर ज्यादा जोर दिया गया. इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ एनके सिंह, सचिव डॉ विनय कुमार ढांढानिया, कोषाध्यक्ष डॉ अजय छाबड़ा, संयुक्त सचिव डॉ नुपूर वाणी, डॉ गगन गुंजन, डॉ अंकित श्रीवास्तव आदि थे.
आरएसएसडीआइ के महासचिव डॉ. संजय अग्रवाल ने कहा कि 20-30 लोगों को शुगर होगा पर उन्हें पता नहीं है. रिसर्च पर चर्चा का मकसद सस्ता इलाज के तहत अलग-अलग प्रैक्टिस को एक प्लेटफॉर्म पर चर्चा में लाना है. कहीं ज्यादा जागरूकता है, तो कहीं कम है. उस अंतर को पाटना सेमिनार का लक्ष्य है.
इंसुलिन पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं
डाइबैटोलॉजिस्ट डॉ तेजस शाह ने कहा कि सिर्फ इंसुलिन पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी. इंसुलिन पंप्स डिवाइस सहित कई किफायती प्रोडक्ट व दवाओं पर रिसर्च चल रहा है. कई दवाओं पर खोज हो रही है जो डायबिटीज के इलाज में इस्तेमाल होने वाली इंसुलिन की तरह काम करेगी.
सीनियर एडोक्रायोनलॉजिस्ट डॉ शुभांकर चौधरी ने नयी खोजों के तहत बेहतर दवाओं को बाजार में उतारा जा रहा है. ये कम लागत पर बनी सुरक्षित, प्रभावी और अच्छी क्वालिटी वाली दवाएं हैं जो मरीजों की मदद में प्रभावी साबित हो रही हैं. अब सात-आठ तरीके से काम करनेवाली दवाइयां आ गयी हैं.