भारत सरकार अनुसूचित जनजाति के लिए एसटी बहुल इलाकों में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय खोल रही है. उसको सीबीएसई से संबद्ध किया जा रहा है. उसका संचालन जवाहर नवोदय विद्यालय की तर्ज पर हो रहा है. झारखंड में 89 एकलव्य विद्यालय खोलने की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन राज्य में अब तक सिर्फ सात एकलव्य स्कूल खुले हैं. दूसरी तरफ पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में क्रमश: 74 और 8 स्कूल स्वीकृत हैं. छत्तीसगढ़ में 73 स्कूल खुल चुके हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में आठ में से सात स्कूल संचालित हो रहे हैं. दक्षिण राज्यों की स्थिति और बेहतर है. आंध्रप्रदेश में सभी 28 स्कूल खुल चुके हैं, कर्नाटक में 12 में 12 स्कूल चालू स्थिति में हैं. केरल में चार को मंजूरी दी गई थी और सभी चार स्कूल संचालित हो रहे हैं. महाराष्ट्र में 37 में से 37 स्कूल में पढ़ाई चल ही है. मध्यप्रदेश में 70 स्कूल मंजूर किए गए हैं. यहां 63 स्कूल खुल चुके हैं. राजस्थान में भी 31 में 30 स्कूल खुल चुके हैं. सिक्किम, तमिलनाडु में भी सभी स्कूल खुल चुके हैं.
1997-98 में हुई एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय
भारत सरकार ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए 1997-98 में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (Eklavya Model Residential School) की शुरुआत की. वर्ष 2018-19 में इसके लिए विशेष योजना बनाई गई. तय किया गया कि छठी से 12वीं कक्षा तक के स्कूल में 480 छात्र होंगे. शुरू में संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत इन स्कूलों को अनुदान दिया गया. वर्ष 2018-19 में सरकार ने तय किया कि 50 फीसदी या अधिक और 20 हजार एसटी आबादी वो हर ब्लॉक में एक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की स्थापना होगी. ये मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय के समकक्ष होगा. वर्ष 2021-22 में यह भी तय किया गया कि ऐसे प्रत्येक स्कूल की लागत को 20 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 37.8 करोड़ रुपए कर दिया जाएगा. पहाड़ी और कठिन क्षेत्रों के लिए इस राशि को बढ़ाकर 48 करोड़ रुपए कर दिया गया है. भारत सरकार का मानना है कि इससे जनजातीय छात्रों के लिए बेहतर बुनियादी सुविधाएं बनाने में मदद मिलेगी.
2026 तक देश में खुलेंगे 740 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय
सरकार ने तय किया है कि वर्ष 2026 तक देश में प्रति स्कूल 480 छात्र की क्षमता वाले 740 स्कूल खोले जाएंगे. इस तरह 3.5 लाख विद्यार्थियों को एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में एडमिशन मिलेगा. साथ ही 211 पुराने स्कूलों का नवीकरण किया जाएगा, जिस पर प्रति स्कूल पांच करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इतना ही नहीं, प्रति स्कूल पांच करोड़ रुपए की दर से 15 सेंटर ऑफ एक्सलेंस (क्रीड़ा क्षेत्र) की भी स्थापना की जाएगी. वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक के लिए 28,919.72 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं.
आदिवासियों की शिक्षा पर ऐसे बढ़ा बजट
बजट के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2013-14 में शिक्षा पर बजट खर्च 278.76 करोड़ रुपए था, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 2,000 करोड़ रुपए हो गया. 2013-14 में 167 स्कूल को स्वीकृति दी गई थी, 2022-23 में इनकी संख्या बढ़कर 694 हो गई. वर्ष 2013-14 में 119 स्कूल संचालित हो रहे थे. वर्ष 2022-23 में इन स्कूलों की संख्या 401 हो गई. छात्रों पर खर्च की बात करें, तो वर्ष 2013-14 में प्रति छात्र प्रति वर्ष 42 हजार रुपए खर्च होते थे, जो अब बढ़कर 1,09,000 रुपए हो गए हैं. मैदानी इलाकों में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की पूंजीलागत 12 करोड़ और पहाड़ी, कठिन एवं पूर्वोत्तर के इलाकों में 16 करोड़ रुपए थी, जो अब बढ़कर मैदानी इलाकों में 37.80 करोड़ और पहाड़ी, कठिन एवं पूर्वोत्तर के इलाकों में 48 करोड़ रुपए हो गई है. देश में जो एकलव्य स्कूल संचालित हो रहे हैं, वर्ष 2013-14 में उनमें से 69 को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) से संबद्धता मिली थी, जबकि वर्तमान में 269 स्कूल सीबीएसई से संबद्ध हैं. स्कलों में पंजीकृत छात्रों की संख्या 2013-14 में 34,365 थी, जो अब बढ़कर 1,13,275 हो गई है.
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मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति योजना (Pre-Matric Scholarship Scheme)
यह योजना नौवीं और दसवीं में पढ़ रहे अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए है. इस योजना का लाभ उन छात्रों को मिलेगा, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपए या उससे कम है. इससे अधिक आय वाले लोगों के बच्चों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा.
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मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना (Post-Matric Scholarship Scheme)
दसवीं कक्षा से ऊपर की पढ़ाई कर रहे सभी पाठ्यक्रमों के छात्रों को इस योजना के तहत कवर किया गया है. मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से 11वीं से पीएचडी तक की पढ़ाई करने वाले अनुसूचित जनजाति के स्टूडेंट्स को इस योजना का लाभ मिलेगा. योजना का लाभ सिर्फ उन छात्रों को मिलेगा, जिनके माता-पिता की वार्षिक आमदनी 2.5 लाख रुपए से कम है.
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राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना (शीर्ष श्रेणी) (National Scholarship Scheme)
उत्कृष्ट संस्थानों में स्नातक, स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना के तहत कवर किया गया है. आईआईटी, एम्स, आईआईएम, एनआईटी जैसे 265 उत्कृष्ट संस्थानों में निर्धारित पाठ्यक्रमों के लिए चुने गए अनुसूचित जनजाति के छात्रों को राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना (शीर्ष श्रेणी) का लाभ मिलता है. इसके लिए चयनित छात्र के माता-पिता की वार्षिक आमदनी 6 लाख रुपए या उससे कम होनी चाहिए. छह लाख से अधिक की वार्षिक आय वाले लोगों के बच्चों को इस योजना का लाभ नहीं मिलता है.
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राष्ट्रीय फेलोशिप योजना (National Fellowship Scheme)
राष्ट्रीय फेलोशिप योजना के तहत पीएचडी, एमफिल, एकीकृत एमफिल+पीएडी के पाठ्यक्रम को कवर किया गया है. भारत सरकार इस योजना के भारत में हायर स्टडीज के लिए हर साल 750 फेलोशिप देती है. कम से कम 55 फीसदी अंकों के साथ स्नातकोत्तर की परीक्षा पास करने पर इस योजना का लाभ मिलता है.
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राष्ट्रीय विदेश छात्रवृत्ति योजना (National Oversease Scholarship Scheme)
राष्ट्रीय विदेश छात्रवृत्ति योजना के तहत स्नातकोत्तर, पीएचडी और विदेश में पोस्ट डॉक्टोरल कोर्स को कवर किया गया है. विदेश में स्नातकोत्तर, पीएचडी और पोस्ट डॉक्टोरल की पढ़ाई के लिए हर साल 20 नए छात्रों को राष्ट्रीय विदेश छात्रवृत्ति दी जाती है. इसका लाभ उन स्टूडेंट्स को मिलता है, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय छह लाख रुपए या इससे कम होती है.
5 छात्रवृत्ति योजना, 30 लाख से अधिक छात्र लाभार्थी
5 छात्रवृत्ति योजना का 30 लाख से अधिक छात्रों को लाभ मिल रहा है. इन योजनाओं के लिए 31 राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए वर्ष 2023-24 के लिए 2531.40 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.
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मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति योजना (Pre-Matric Scholarship Scheme)
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मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना (Post-Matric Scholarship Scheme)
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राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना (शीर्ष श्रेणी) (National Scholarship Scheme) –
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राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना (शीर्ष श्रेणी) (National Scholarship Scheme) –
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राष्ट्रीय विदेश छात्रवृत्ति योजना (National Oversease Scholarship Scheme)