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रिम्स में 24 घंटे तक ट्रॉली पर कराहता रहा हार्ट का मरीज, नहीं मिला बेड

गिरिडीह के मरीज को सोमवार की दोपहर तीन बजे रिम्स लाया गया था. मंगलवार की शाम चार बजे मरीज को बेड उपलब्ध कराया गया.

रांची : राजधानी रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में अभी भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया. मरीजों को इलाज के लिए आज भी घंटों इंतजार करना पड़ता है. ताजा मामला कार्डियोलाजी विभाग का है, जहां एक हार्ट के मरीज को 24 घंटे बाद बेड नसीब हुआ. मरीज गिरिडीह जिले का रहने वाला था. तब तक मरीज बरामदे में तड़पता रहा. मरीज का पुत्र पंकज ने बताया कि वह इलाज के लिए गुहार लगाते रहे, लेकिन उचित इलाज नहीं किया गया. उन्होंने खुद से दर्द की दवा दी. दूसरे दिन मंगलवार शाम चार बजे मरीज को बेड मिलने के बाद इलाज शुरू किया गया.

सोमवार को दोपहर तीन बजे कराया था रजिस्ट्रेशन

गिरिडीह जिला अंतर्गत राजधनवार पंकज डोरंडा गांव के रहनेवाले हैं. उन्होंने बताया कि उनके पिता को हृदय रोग संबंधी बीमारी है. सोमवार को उन्होंने रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग की इमरजेंसी में करीब दोपहर तीन बजे रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 24 घंटे बाद उन्हें बेड उपलब्ध कराया गया. रिपोर्ट में बताया गया कि मरीज के नस में ब्लॉकेज है. मरीज के पास आयुष्मान कार्ड भी है, लेकिन इसका तत्काल लाभ नहीं मिल सका. ट्राली पर बाल गोविंद पांडेय पड़े रहे और दर्द से कराहते रहे. उनकी हालत देखकर उनके पुत्र पंकज पांडेय ने कुछ समाजसेवियों की मदद से पैरवी लगायी, जिसके बाद मरीज को डॉ हेमंत नारायण की यूनिट में बेड उपलब्ध कराया गया.

19 जून को रिम्स में हुई थी एंजियोग्राफी

पंकज ने बताया कि इससे पहले 16 जून को डॉ हेमंत नारायण से दिखाने के लिए उनके अशोक नगर स्थित आवासीय क्लिनिक गये थे. वहां मरीज को देखने के बाद कई तरह की जांच निजी लैब में करायी गयी. बाद में 19 जून को रिम्स में एंजियोग्राफी करायी गयी. इसके लिए 4600 रुपये लगे थे. इलाज के बाद वह पिता को लेकर घर चले गये. इस बीच अचानक उन्हें सीने में दिक्कत होने लगी. उसके बाद फिर रिम्स लेकर पहुंचे.

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