प्रवीण मुंडा, रांची
हर साल झारखंड के ईसाई तीर्थयात्रियों का जत्था होलीलैंड (इस्राइल, जार्डन व मिस्र) की यात्रा पर जाता है, पर इस बार इस्राइल व हमास के बीच चल रहे जंग का असर तीर्थयात्रा पर भी पड़ा है. हालात यह है कि बुकिंग होने के बाद भी तीर्थयात्री इस्राइल नहीं जा पा रहे हैं. रांची के ट्रैवल एजेंसी के लोगों से बात करने पर पता चलता है कि इस्राइल-हमास जंग की वजह से वीसा जारी होने में मुश्किलें हो रही है. इसके अलावा इजराइल में अभी हाइ अलर्ट है और वहां की ट्रेवल एजेंसियों ने भी हालात सामान्य होने तक इंतजार करने को कहा है. रांची, दुमका व अंबिकापुर के 23 यात्रियों के जत्थे को 17-18 अक्तूबर को ही दिल्ली होकर रवाना होना था. फिलहाल यात्रा टली हुई है. डैनियल पॉल टूर एंड ट्रेवल एजेंसी के संचालक राकेश एक्का कहते हैं कि उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत तक हालात सामान्य हो जायेंगे और लोग होलीलैंड की यात्रा पर जा पायेंगे.कौन-कौन से स्थान हैं होलीलैंड में
होलीलैंड तीर्थयात्रा के तहत ईसाई तीर्थयात्रियों को उन स्थानों पर ले जाया जाता है, जो प्रभु यीशु मसीह के जीवन और बाइबल की घटनाओं से जुड़े हैं. इनमें बेथलेहम जहां यीशु मसीह का जन्म हुआ था. उस स्थान पर अब नेटेविटी चर्च है. इसके अलावा गेतसमानी का बाग व अन्य पवित्र स्थान, कलवरी, वह कब्र जहां यीशु मसीह को क्रूस मृत्यु के बाद रखा गया था. यह अब होली सेपलकर चर्च के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा लाल सागर, सिनाई पर्वत सहित अन्य स्थान हैं. इनमें कुछ स्थान जार्डन और मिस्र में हैं. इस यात्रा के दौरान मिस्र के पिरामिडों का भी दर्शन कराया जाता है. यह पूरी यात्रा लगभग 12 दिनों की है.दो बार यात्रा कर चुकी हैं शोभा
सपारोम निवासी शोभा बेक ने 2019 और 2022 में होलीलैंड की यात्रा की थी. उन्होंने कहा कि बाइबल से जुड़े जिन स्थानों के बारे में पढ़ा करती थी, उन स्थानों को अपनी आंखों से देखना अदभुत था. उन्होंने कहा कि दो बार होलीलैंड की यात्रा का मौका मिला, इसके लिए खुद को खुदकिस्मत मानती हूं. गेतसमानी के बाग में जहां यीशु ने प्रार्थना की थी, वहां आज भी दो हजार साल पुराने जैतून के पेड़ हैं. यह सब अविस्मरणीय अनुभव है.
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