रांची: कविवर कन्हैया की जन्मशती के मौके पर राजधानी के मोरहाबादी मैदान स्थित डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि मशहूर रंगकर्मी जावेद अख्तर ने कहा कि कविवर कन्हैया की याद में स्मरण जयंती मनाना सुखद पहल है. हम लोग कन्हैया को सिर्फ कवि, लेखक और पत्रकार के रूप में देखते हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि वे बेहतरीन गायक थे. उनके गायन से कवि रामधारी सिंह दिनकर भी प्रभावित थे. गीत-संगीत उनके जीवन का हिस्सा रहा था. झारखंड और बिहार से उनका गहरा लगाव था. ये उनकी कविताओं में पढ़ने को मिलता है. झारखंड में कन्हैया ने पेंटर एसोसिएशन बनाया.
लाठीचार्ज का हुआ था जबरदस्त विरोध
जावेद अख्तर ने कहा कि कविवर कन्हैया की लिखी कविताओं को वर्तमान हालात से जोड़ते हुए इतिहास के महत्त्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि 1984 में अविभाजित बिहार के समय जब सीआरपीएफ को हटाने के लिए मांग की गयी थी, तब लाठियां चलायी गयी थीं. इसके बाद इस लाठीचार्ज का जबरदस्त विरोध हुआ था. वह अपने आप में एक इतिहास रहा है.
कन्हैया की रचनाओं का किया पाठ
कविवर कन्हैया की रचनाओं का पाठ यास्मीन, सुमेधा मल्लिक और प्रेम प्रकाश ने किया. शेखर मल्लिक और उनके साथियों ने कन्हैया के लिखे गीत का समूह गायन किया. इप्टा, प्रलेस, जलेस, जसम एवं सहमना संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का मंच संचालन झारखंड इप्टा की महासचिव अर्पिता ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों का स्वागत गमछा ओढ़ा कर पारंपरिक तरीके से किया गया.
इन्होंने भी साझा कीं कन्हैया से जुड़ी यादें
जलेस के प्रो अली इमाम, जसम के बलभद्र, मशहूर कथाकार रणेंद्र, प्रलेस के प्रो मिथिलेश और इप्टा के शैलेंद्र अन्य अतिथियों के रूप में शामिल थे. इबरार अहमद और प्रदीप तरफदार ने भी कन्हैया से जुड़े स्मरण साझा किए. मौके पर एमजेड खान, श्यामल मलिक, पूनमरानी तिवारी, श्यामल चक्रवर्ती और परवेज कुरैशी सहित कई छात्र, कलाकार, बुद्धिजीवी आदि शामिल थे.