विजय पाठक, रांची : डॉक्टर धरती के भगवान कहे जाते हैं. यह सच भी है. अधिकतर डॉक्टर पूरी निष्ठा के साथ मरीजों की सेवा, उनका इलाज करते हैं… सरकारी अस्पतालों में और भी ज्यादा. पर डॉक्टर्स भी इसी समाज के ही अंग है. जिस तरह समाज के हर वर्ग-पेशे में गिरावट आयी है, उसी तरह इस पवित्र पेशे में भी. प्रभात खबर ने इस पवित्र पेशे की आड़ में धंधा करनेवाले डॉक्टरों पर सीरीज में रिपोर्ट प्रकाशित की. प्रभात खबर का आज भी मानना है, सेवा भाव से मरीजों की देखभाल करनेवाले डॉक्टर्स अधिक हैं. पर इस पवित्र पेशे को धंधा बनानेवाले भी कम नहीं. प्रभात खबर ने अपनी रिपोर्ट में यह भी प्रकाशित किया, दवा कंपनियां किस तरह डॉक्टरों को अपने चंगुल में फांस रही हैं. दवा कंपनियां थ्री सी पर ही काम करती हैं…सी यानी कन्विंस, सी यानी कन्फ्यूज्ड और सी यानी करप्ट. पहले कन्विंस करो, फिर कन्फ्यूज्ड और अंत में करप्ट बनाओ. इसमें वह सफल भी रही हैं. डॉक्टर्स किस तरह कंपनियों से पैसे लेकर दवा लिखते हैं, प्रभात खबर में इसके कई उदाहरण भी पेश किये गये. परिवार सहित विदेश टूर, सेमिनार, महंगी गाड़ियां और पार्टियों के नाम पर पैसे लिये जा रहे. कई-कई डॉक्टर तो 40 फीसदी तक की मांग दवा कंपनियों से करते हैं, यह भी खुलासा किया.
कार्डियक स्टेंट के नाम पर हो रही वसूली का किया पर्दाफाश
कार्डियोलॉजी में खेल पर भी प्रभात खबर ने विस्तृत रिपोर्ट की. खास कर कार्डियक स्टेंट के नाम पर जो वसूली की जाती है, उस पर लोगों को जागरूक किया. 20-25 हजार कीमत वाले स्टेंट की कीमत रोगियों के एक-एक लाख रुपये से अधिक लिये जाते हैं, इसका भी खुलासा किया. इस पर भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय भी जागरूक हुआ और उसने कार्डियक स्टेंट की कीमत तय कर दी. पर यह भी सही है, स्टेंट की कीमत तो कम हो गयी, पर रोगियों से पैसे आज भी अधिक लिये जा रहे हैं. ओटी चार्ज, ओटी असिस्टेंट, नर्सिंग चार्ज आदि के नाम पर.
डॉक्टरों की सीरीज में बताया था कैसे होता है खेल
इस सीरीज में प्रभात खबर ने जांच के नाम पर हो रहे खेल के बारे में भी बताया. किस तरह जांच में 50-50 फीसदी तक कमीशन लिये जाते हैं. ये कमीशन न लिये जायें, तो जांच सस्ती हो जायेगी. सोडियम-पोटाशियम की जो जांच 10-20 रुपये में हो जाती थी, उसके लिये 200-200 रुपये तक वसूले जाते हैं. लिपिड प्रोफाइल की जांच 60-70 रुपये में हो जाती है, उसके लिए 500 से 700 रुपये तक लिये गये. हालांकि इसके पीछे जांच केंद्रों का भी अपना तर्क था. उनका कहना था …अत्याधुनिक उपकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनपावर का कॉस्ट काफी है, इसलिए जांच महंगी है. जांच केंद्रों का यह भी कहना था क्वालिटी चाहिए, तो कॉस्ट बढ़ेगा ही.
सर्जरी के नाम पर हो रहे खेल भी किया था बेपर्दा
प्रभात खबर ने अपनी सीरीज में अस्पतालों में सर्जरी के नाम पर हो रहे खेल भी बताये. सर्जिकल आइटम्स के नाम पर भी जो वसूली होती है, उसका भी खुलासा किया. एक-दो रुपये का सीरिंज किस तरह 10 से 20 रुपये तक बिकता है, वह भी बताया. महंगी दवा के चंगुल से आम लोगों को कैसे राहत मिले, उसके उपाय भी बताये, प्रभात खबर ने. राजस्थान सहित कई राज्यों के उदाहरण भी रखे, जहां जेनरिक दवाइयों के प्रयोग ने लोगों को काफी राहत दी. झारखंड-बिहार में आज जेनरिक दवाइयों का प्रचलन बढ़ा है. ब्रांडेड जेनरिक दवाइयां कम कीमत पर लोगों को मिल रही हैं. जेनरिक दवाइयों के चलन बढ़ाने में डॉक्टरों को भूमिका अहम है, मगर उनका पूरा सहयोग नहीं मिल पा रहा. प्रभात खबर की मुहिम का असर भी हुआ. लोग जागरूक भी हुए. पर, आज भी बड़ी दवा कंपिनयों का प्रभाव कम नहीं हुआ. लोगों को मेडिकल क्षेत्र में राहत की उम्मीद है.