Jairam Mahato, दीपक पांडेय : भाषा और खतियान आंदोलन से उभरा एक चेहरा अब विधायक बन गया है. इस युवा चेहरे टाइगर जयराम महतो और उनकी पार्टी जेएलकेएम ने विधानसभा चुनाव में सबको चौंकाया. झारखंड की राजनीति की दिशा बदल दी. तीन सीटों पर जयराम की पार्टी दूसरे स्थान पर रही. प्रभात खबर ने इस युवा चेहरे से भावी राजनीति और कार्य योजना पर बात की.
आप भाषा और खतियान आंदोलन की उपज हैं. फिर पार्टी बनाकर चुनाव लड़े. चुनावी राजनीति कितनी मुश्किल लगी ?
धुर विरोधी राजनेता व राजनीतिक पार्टी के सारे दल एकजुट होकर साम, दाम, दंड भेद लगा कर जयराम महतो को रोकने के प्रयास में थे. डुमरी में एनडीए के 20 हजार वोटों को इंडिया गठबंधन में तब्दील करा दिया गया, लेकिन जनता के लिए किये गये आंदोलन व ज्वलंत मुद्दों पर मुखर होने के कारण लोगों का विश्वास जीतने में मैं सफल रहा.
सदन के अंदर आपकी क्या भूमिका होगी. विश्वास प्रस्ताव पर हेमंत सोरेन सरकार का समर्थन करेंगे या विरोध में मत देंगे ?
छात्र के मुद्दे, विस्थापन, पलायन, बेरोजगारी व अपनी पार्टी के मुद्दों के साथ खड़े रहेंगे. राज्य की बेहतरी के लिए पॉलिसी रहेगी, तो समर्थन रहेगा, नहींं तो अकेले सदन में मुद्दों पर संघर्ष जारी रखेंगे.
इंडिया व एनडीए गठबंधन के बारे में क्या सोच है ?
पांच साल तक हम अकेले रहेंगे. बाद में परिस्थिति के अनुसार फैसला लिया जायेगा. सिद्धांत और सत्ता अलग विषय है. सिद्धांत से जनता का हीरो बन सकते हैं, लेकिन जनता के काम के लिए सत्ता जरूरी है. यह चुनाव सिद्धांत के साथ लड़ा गया है, लेकिन आज भी मैं सत्ता को महत्व नहीं देता. समय, पार्टी व जनता की मांग को देखते हुए जो निर्णय होगा, किया जायेगा. फिलहाल यह भविष्य के गर्भ में है.
आपकी पार्टी 71 सीटों पर चुनाव लड़ी. एक सीट मिली. इसे किस रूप में देखते हैं?
चुनाव लड़ना व सत्ता-सुख हमारा लक्ष्य नहीं था. हम अपने सहपाठियों के साथ अधिकार की मांग को लेकर सड़क पर निकले थे. संघर्ष, बलिदान, यातना व आंदोलन के बल पर यहां तक पहुंचे हैं. विरासत में जो आंदोलन मिला था, आज वह जनता के विश्वास के रूप में दिख रहा है.
डुमरी में आपको बड़ी चुनौती मिली. बेरमो में दूसरे स्थान पर रहे ?
डुमरी की जनता भ्रष्टाचार के मकड़जाल से मुक्ति चाहती थी, जिसे हमने लोकसभा चुनाव के दौरान करीब से देखा. बेरमो में हमने अंतिम समय में चुनाव लड़ने का मन बनाया, जिसके कारण वहां ढंग से तैयारी नहीं हो पायी. समय के अभाव के कारण सभाएं भी नहीं कर पाया. इसका असर पड़ा.
एनडीए की हार की बड़ी वजह आपकी पार्टी के प्रदर्शन को बताया जा रहा है. आपने वोट काटने का काम किया है?
वोट काटने वाला 11 लाख वोट नहीं ला सकता है. एनडीए व आजसू ने मिल कर मेरे वोट में सेंधमारी की है. जनता के विश्वास व झारखंडी जनमानस के मुद्दों की ताकत पर हमने चुनाव लड़ा है. जंग के मैदान में सभी जीतने के लिए उतरते हैं, हारने पर किसी के सिर पर ठीकरा फोड़ने से कोई ताकतवर नहीं कहलाता है.
इस चुनाव में जो जनादेश आपको मिला, वह आजसू के विकल्प के रूप में लोग देख रहे हैं ?
हमारी पार्टी बिल्कुल नयी है. हम अपने को सीएम का चेहरा प्रोजेक्ट कर चुनाव लड़ रहे थे. अन्य को सिर्फ विधायक बनना था. आजसू पार्टी व जेएलकेएम में जमीन-आसमान का फर्क है. विकल्प की राजनीति नहीं करने आये हैं हम.
झामुमो सत्ता में था, निरंतर आपने सवाल, संघर्ष और आंदोलन किया, आगे क्या रणनीति है ?
प्रदेश के चुनाव में जनादेश को सम्मान है. सदन में आज भी वही मुद्दे रहेंगे. सदन के बाहर गांव के खेत खलिहान से लेकर मॉल और दुकान तक संगठन मजबूत होगा. लेकिन आंदोलन, संघर्ष व मुद्दों से समझौता नहीं करते हुए सरकार से मांग मनवाने की रणनीति होगी.
चुनाव में चारों ओर से आर्थिक मदद मिली, विदेशों से भी मदद मिली है. चुनाव आयोग ने जांच का आदेश दिया है?
चुनाव के लिए सरकार ने निर्धारित राशि तय की है. फाॅर्म लेने से लेकर खर्च का विवरण उसमें शामिल है. आर्थिक रूप से कमजोर पार्टी अध्यक्ष चुनाव कहां से लड़ते, इसलिए हमने सोशल मीडिया पर ओपन टू ऑल से सहयोग मांगा, जो जहां था, उसने क्यूआर कोड के माध्यम से सहयोग किया, जिसे हमने सोशल मीडिया पर डाला, जिसे देख विरोधी जांच की मांग करने लगे. जांच करे सच सामने आ जायेगा.
1932 का खतियान, 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर आपका क्या स्टैंड है ?
1932 खतियान व 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण जन भावना से जुड़ा मुद्दा है. सदन में यह पारित नहीं होने तक गूंजेगा, उसमें जो अवरोधक बनेंगे, उसे जनता सबक सिखायेगी.
आपकी नजर में एनडीए की हार की वजह क्या है?
एनडीए अपना चुनाव खुद हारा है. अपने पैरों पर कुल्हाड़ी खुद मारी है. माननीय मुख्यमंत्री असम हिमंता विश्वा सरमा जी भाजपा के एक महज पंचायत अध्यक्ष की नाराजगी को ठीक करने के लिए उड़न खटोला का इस्तेमाल कर पहुंच जाते थे, लेकिन झारखंडी जनता की नाराजगी के लिए कुछ नहीं किया उन्होंने. 1932, 27 प्रतिशत आरक्षण, नियोजन नीति, सरना धर्म कोड, पलायन, रोजगार सृजन आदि जैसे मुद्दों पर मुखर न हो कर, घुसपैठिया को मुद्दा बनाया, जो झारखंडी जनमानस के विपरीत था.
हेमंत की वापसी का एक बड़ी वजह बताएं, जो आपकी नजर में बेहतर था.
बेहतर तो कुछ हुआ ही नहीं. सुदूर गांव में रहनेवाले झारखंडी आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जिसे सत्ता पक्ष ने चुनाव में आने के लिए हिटलर की तर्ज पर कैश योजना को कल्याणकारी योजना का मूर्त रूप देकर भुनाने का काम किया.
आपकी चुनावी पहचान एक खास वर्ग और खास इलाके में ही बन पायी है ?
हमारी पार्टी से जो लोग सवाल करते हैं, वे लोग इस चुनाव में इंडिया व एनडीए गठबंधन से क्यों नहीं किये. दोनों पार्टियों ने जल, जंगल, जमीन में रहनेवालों के बीच एक लकीर खींच कर तनाव का माहौल बना दिया है. सभी बूथों की समीक्षा करने के बाद पाया कि हम सभी समुदाय, जाति, वर्ग का मत लेने में सफल रहे हैं. मुख्यमंत्री जी पलामू से चुनाव क्यों नहीं लड़े. जहां अल्पसंख्यक नहीं हैं, वहां कांग्रेस ने चुनाव क्यों नहीं लड़ा. जहां शहर नहीं है, वहां एनडीए क्यों पिट जाता है.
हेमंत सोरेन की मजबूत सरकार राज्य में बनी है, सरकार को क्या संदेश देगें आप ?
सरकार 2019 में जो वादा कर सरकार में आयी थी, सिर्फ वह पूरा कर दे. इतना ही झारखंडियों के हित में होगा.
राज्य के विकास का क्या एजेंडा है आपके पास ?
जिस कल्पना के साथ राज्य का निर्माण किया गया, वह भ्रष्टाचार मुक्त होने के बाद ही किया जा सकता है. उसके लिए प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त करना चुनौती होगा.
आपकी पहचान आक्रामक राजनेता के रूप में बनी है, इस पर क्या कहना है. क्या आगे भी यही जारी रहेगा ?
आक्रामकता हमें विरासत में नहीं मिली है. राजनेताओं के निकम्मापन ने हमें आक्रामक बना दिया. आक्रामक क्या हमने कभी किसी ठेला, खोमचा, मजदूर, किसान पर दिखाया है. झारखंडी हित की बातें नहीं होने पर मुद्दों पर आक्रमकता जारी रहेगी.
यूथ ही आपकी ताकत व हिम्मत है, उसके लिए क्या तैयारी है ?
यूथ के लिए रोजगार सृजन, लघु, कुटीर उद्योग को लगाने के लिए युवाओं को कदम बढ़ाने के साथ ही बड़ी फैक्टरियों को आमंत्रण देकर स्थापित करने की तैयारी है.
आपके अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए विशेष क्या होगा ?
अपने विधानसभा क्षेत्र में डेवलपमेंट, इकॉनॉमी, आज के दौर में किसी काम को करने के लिए पैसा जरूरी है. बिल गेटस ने अपने माइक्रो सॉफ्ट के शेयर को बेच कर एक हजार वर्ग किमी जमीन खरीदी थी. बिल गेटस ने यह संदेश दिया कि जमीन ही सब कुछ है. मैं यह प्रभात खबर को साक्षी मान कर वादा करता हूं कि मैं अपने नाम से कोई जमीन नहीं लूंगा. अगर जरूरत पड़ी, तो पांच डिसमिल जमीन के लिए सोचा जायेगा.
शादी पर आप क्या विचार कर रहे हैं ?
शादी एक व्यक्तिगत इच्छा, रजामंदी है. मैं अपने आपको वहां पा रहा हूं कि सामाजिक लोगों के बीच हमारे लोग बारात की तरह जश्न मना रहे हैं. हमें आज भी नहीं लग रहा है कि मैं विधायक हूं. बारात में दूल्हा घोड़ी पर होते हैं, लेकिन आज पूरी प्रदेश की जनता मेरे विधायक बनने पर घोड़ी पर चढ़े हुए हैं.