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श्री गुरु अमरदास जी के प्रकाश पर्व पर सजा विशेष दीवान, महिपाल सिंह एवं साथियों ने किया शबद गायन

गुरुघर के सेवक मनीष मिढ़ा ने कथावाचन करते हुए संगत को बताया कि सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव जी ने उनकी सेवा और समर्पण से प्रसन्न होकर श्री गुरु अमरदास जी को सभी प्रकार से योग्य जानकर 'गुरु गद्दी' सौंप दी. इस प्रकार वे सिखों के तीसरे गुरु बन गए.

रांची : गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा, कृष्णा नगर कॉलोनी में आज गुरुवार को तीसरे नानक श्री गुरु अमरदास जी का प्रकाश पर्व श्रद्धा भाव से मनाया गया. इस उपलक्ष्य में सजाए गए विशेष दीवान की शुरुआत सुबह 8:00 बजे आसा दी वार कीर्तन से हुई. इसके बाद श्री गुरु अंगद देव जी के प्रकाश पर्व के दिन 21 अप्रैल से संगत द्वारा पढ़े जा रहे तीन सहज पाठों की सामूहिक समाप्ति हुई. हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी एवं साथियों ने भले अमरदास गुण तेरे तेरी उपमा तोहि बन आवै…एवं ए मन हर जी धिआई तू इक मन इक चित्त भाए… शबद गायन कर साध संगत को गुरवाणी से जोड़ा.

गुरुघर के सेवक मनीष मिढ़ा ने कथावाचन करते हुए संगत को बताया कि सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव जी ने उनकी सेवा और समर्पण से प्रसन्न होकर श्री गुरु अमरदास जी को सभी प्रकार से योग्य जानकर ‘गुरु गद्दी’ सौंप दी. इस प्रकार वे सिखों के तीसरे गुरु बन गए. मध्यकालीन भारतीय समाज ‘सामंतवादी समाज’ होने के कारण अनेक सामाजिक बुराइयों से ग्रस्त था. उस समय जाति-प्रथा, ऊंच-नीच, कन्या-हत्या, सती-प्रथा जैसी अनेक बुराइयां समाज में प्रचलित थीं. ये बुराइयां समाज के स्वस्थ विकास में अवरोध बनकर खड़ी थीं. ऐसे कठिन समय में गुरु अमर दास जी ने इन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ प्रभावशाली आंदोलन चलाया. उन्होंने समाज को विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुरीतियों से मुक्त करने के लिए सही मार्ग भी दिखाया. जाति-प्रथा एवं ऊंच-नीच को समाप्त करने के लिए गुरुजी ने लंगर प्रथा को और सशक्त किया. उस जमाने में भोजन करने के लिए जातियों के अनुसार पंगते लगा करती थीं, लेकिन गुरु अमर दास जी ने सभी के लिए एक ही पंगत में बैठकर लंगर छकना यानी भोजन करना अनिवार्य कर दिया.साथ ही संगत को जानकारी दी कि श्री अनंद साहिब जी के पाठ की रचना भी गुरु अमरदास जी द्वारा की गई है.

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श्री अनंद साहब जी के पाठ, हुकुमनामा एवं कढ़ाह प्रसाद वितरण के साथ विशेष दीवान की समाप्ति सुबह 10:30 बजे हुई.इस मौके पर सत्संग सभा द्वारा गुरु का अटूट लंगर चलाया गया, जिसमें सैकड़ो श्रद्धालुओं ने एक साथ पंगत में बैठकर श्रद्धा भाव से गुरु का लंगर चखा. सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि समाज के महेश सुखीजा को गुरुघर में पाठों की अथक सेवा के लिए तथा कवलजीत मिढ़ा को गुरु की चरणी लगने की खुशी में सत्संग सभा के प्रधान द्वारकादास मुंजाल एवं सचिव अर्जुन देव मिढ़ा द्वारा गुरुघर का सरोपा ओढ़ा कर सम्मानित किया गया. सत्संग सभा के सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने साध संगत को प्रकाश पर्व की बधाई दी. मंच संचालन मनीष मिढ़ा ने किया. आज के लंगर की सेवा स्वर्गीय बिहारी दास काठपाल की स्मृति में उनके परिवार द्वारा की गई.

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आज के विशेष दीवान में सुंदर दास मिढ़ा, हरगोविंद सिंह, जीवन मिढ़ा, चरणजीत मुंजाल, वेद प्रकाश मिढ़ा, मोहन लाल अरोड़ा, मोहन काठपाल, अशोक गेरा, सुरेश मिढ़ा, बिनोद सुखीजा, बसंत काठपाल, अनूप गिरधर, हरीश मिढ़ा, महेश सुखीजा, पवनजीत सिंह, नवीन मिढ़ा, आशु मिढ़ा, नीरज गखड़, जीतू काठपाल, अश्विनी सुखीजा,कमल मुंजाल,कमल अरोड़ा,प्रताप खत्री,राकेश गिरधर,रमेश पपनेजा,राजेन्द्र मक्कड़,हरीश मुंजाल,ईशान काठपाल,रमेश तेहरी,गीता कटारिया,मंजीत कौर,बंसी मल्होत्रा,बिमला मुंजाल,मीना गिरधर,शीतल मुंजाल,रेशमा गिरधर,नीतू किंगर,ममता थरेजा,उषा झंडई,किरण अरोड़ा,रजनी तेहरी,खुशबू मिढ़ा,रज्जो काठपाल,मनोहरी काठपाल समेत अन्य शामिल हुए.

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