आज कल डीपफेक शब्द काफी सुर्खियों में है. डीपफेक के मामले बढ़ते जा रहे हैं. सेलिब्रिटी से लेकर राजनीति क्षेत्र से जुड़े लोगों के आये दिन रियल वीडियो के चेहरे को दूसरे चेहरे में लगाकर सोशल मीडिया में वायरल किया जा रहा है. सरकार द्वारा इस पर शिकंजा कसने के लिए भरपूर कोशिश की जा रही है. यह पुलिस-प्रशासन का नया सिर दर्द बन चुका है. हाल के दिनों में डीपफेक तकनीक का शिकार होने वाली मशहूर हस्तियों में रश्मिका मंदाना, कैटरीना कैफ, काजोल, आलिया भट्ट, सारा तेंदुलकर, बिजनेसमैन रतन टाटा शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसपर चिंता जता चुके हैं. पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने कहा था कि : डीपफेक देश के सामने मौजूद सबसे बड़े खतरों में से एक है. इससे अराजकता पैदा हो सकती है. उन्होंने मीडिया से अपील की है कि डीपफेक को लेकर लोगों को जागरूक किया जाये. प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि हाल ही में उन्होंने एक वीडियो देखा, जिसमें उन्हें गरबा गाते हुए दिखाया गया था. मुझे खुद लगा कि यह क्या बना दिया, यह चिंता का विषय है. हालांकि यह वीडियो पूरी तरह से फेक था.
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रियल वीडियो के चेहरे को दूसरे चेहरे में लगाकर किया जा रहा वायरल
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पुलिस-प्रशासन के लिए बन चुका है नया सिर दर्द
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जता चुके हैं चिंता
ये हो चुके हैं डीपफेक का शिकार
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आलिया भट्ट
अभिनेत्री आलिया भट्ट के एक वायरल वीडियो में एक लड़की को नीले रंग का फ्लोरल को-ऑर्ड सेट पहने हुए और कैमरे की ओर अश्लील इशारे करते हुए दिखाया गया है. ध्यान से देखने पर कोई भी बता सकता है कि वीडियो में दिख रही लड़की आलिया भट्ट नहीं है. अभिनेत्री के चेहरे को किसी और के शरीर के ऊपर संपादित किया गया था.
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रश्मिका मंदाना
अभिनेत्री रश्मिका मंदाना के वायरल डीपफेक वीडियो में एक लड़की रिवीलिंग कपड़े पहनकर लिफ्ट में प्रवेश करती दिखाई जा रही है.
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काजोल
एक वीडियो में एक महिला अपने शरीर पर काजोल का चेहरा बनाकर कैमरे पर कपड़े बदलती नजर आयी थी.
डीपफेक के बारे में जानिए
किसी रीयल वीडियो में दूसरे के चेहरे को फिट कर देने को डीपफेक नाम दिया गया है. डीपफेक से वीडियो और फोटो को बनाया जाता है. इसमें मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जाता है. कोडर और डिकोडर टेक्नोलॉजी की मदद ली जाती है. डिकोडर सबसे पहले किसी इंसान के चेहरे को हावभाव और बनावट की गहन जांच करता है. इसके बाद किसी फर्जी फेस पर इसे लगाया जाता है, जिससे हुबहू फर्जी वीडियो और फोटो को बनाया जा सकता है. हालांकि आम लोग डीपफेक वीडियो नहीं बना सकते हैं. लेकिन इन दिनों डीपफेक बनाने से जुड़े ऐप मौजूद हैं, जिनकी मदद से आसानी से डीफफेक वीडियो बनाये जा सकते हैं.
ऐसे पहचाने जा सकते हैं डीपफेक वीडियो
सोशल मीडिया पर डीपफेक वीडियो को पहचान स्वयं भी किया जा सकता है. एक्सपर्ट के अनुसार इसके लिए वीडियो पर दिखने वाले शख्स के चेहरे के एक्सप्रेशन, आंखों की बनावट और बॉडी स्टाइल पर ध्यान से देखना होगा. ऐसे वीडियो में बॉडी और चेहरे का कलर मैच नहीं करता, जिससे इसे पहचान सकते हैं. साथ ही लिप सिंकिंग से भी डीपफेक वीडियो को आसानी से पहचाना जा सकता है. इसके अलावा डीपफेक वीडियो और फोटो को पहचानने में दिक्कत आ रही है, तो एआइ टूल का सहारा ले सकते हैं. कई एआइ टूल हैं, जो आसानी से एआइ जेनरेटेड वीडियो की पहचान कर सकते हैं.
डीपफेक वीडियो बनाने और शेयर करने पर हो सकती है कार्रवाई
डीपफेक वीडियो या फोटो बनाने और शेयर करने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. इसमें वीडियो बनाने वाले और शेयर करने वाले के खिलाफ आइपीसी की धारा के तहत लीगल एक्शन लिया जा सकता है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा वीडियो और फोटो से किसी की छवि खराब होती है, तो मानहानी का मामला भी दर्ज हो सकता है.
ऐसे कर सकते हैं शिकायत
यदि सी का वीडियो या फोटो डीपफेक किया गया हो, तो साइबर क्राइम की वेबसाइट पर जाकर शिकायत दर्ज करायी जा सकती है. इसके लिए www.cybercrime.gov.in पर मामला दर्ज करा सकते हैं. साथ ही साइबर थाना या नजदीकी थाना में जाकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
फोटो में शील्ड गार्ड रखें, अकाउंट पब्लिक न रखें
सोशल मीडिया पर सभी लोग एक्टिव रहते हैं. फॉलोवर्स और लाइक्स के चक्कर में अपना वीडियो व फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड कर देते हैं. ऐसे में लोगों का फोटो सहित अन्य जरूरी चीजों का डेटा अंजान लोगों तक पहुंच जाता है. इसका गलत उपयोग कर डीपफेक तकनीक के माध्यम से वीडियो और फोटो अपलोड किये जा रहे हैं. इसलिए अपने डेटा को सुरक्षित रखें. सोशल मीडिया के हेल्प सेक्शन को पढ़ें और अपने अकाउंट को सुरक्षित रखने की जानकारी प्राप्त करें. फोटो में शील्ड गार्ड रखें. अपने अकाउंट को पब्लिक न रखें. -यशोधरा, डीएसपी, साइबर सेल रांची
इससे बचने के उपाय
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पासवर्ड स्ट्रॉन्ग बनायें
सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं, तो ऑनलाइन अकाउंट के लिए मजबूत पासवर्ड बनाना जरूरी है. इससे हैकर्स और एआइ के लिए क्रैक करना मुश्किल होगा. इससे आपकी तस्वीरें सुरक्षित रहेंगी. समय-समय पर अपना पासवर्ड भी अपडेट करते रहें.
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डिजिटल फिंगरप्रिंट या वाटरमार्क
फिंगरप्रिंट लॉक फीचर से कंटेंट को सुरक्षित रखा जा सकता है. वाटरमार्क की मदद से भी अपनी तस्वीरों को सुरक्षित रख सकते हैं. इससे डीपफेक का खतरा नहीं होगा.
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एंटीवायरस सॉफ्टवेयर
कई बार डीपफेक वीडियो बनाने के लिए भी मालवेयर अटैक किया जा सकता है. इससे बचने के लिए आप एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे आपकी तस्वीरें सुरक्षित रहेंगी. साथ ही पर्सनल डाटा की भी चोरी नहीं हो पायेगी.
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मेटाडेटा
डीपफेक से बचने के लिए आप मेटाडेट का भी उपयोग कर सकते हैं. इससे फोटोज को कॉपीराइट या लोकेशन की जानकारी आदि मिल सकती है.
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प्रोफाइल प्राइवेट रखें
आप फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी तस्वीर और वीडियो शेयर करते समय कुछ बातों का ध्यान रखें. अपनी तस्वीर प्राइवेट ही रखें. इसके अलावा आप उन्हीं लोगों के साथ शेयर करें, जिन्हें आप जानते हैं. इसके लिए आप प्राइवेट सेटिंग के टूल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं.
रांची में भी डीपफेक के मामले
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केस स्टडी : 01
नवंबर महीने में रांची की आठ लड़कियों का डीपफेक न्यूड वीडियो वायरल हुआ था. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को बिहार से गिरफ्तार कर लिया. आरोपी लड़कियों का वीडियो बनाकर इंस्टाग्राम पर पोस्ट करता था. सबसे पहले आरोपी लड़कियों से दोस्ती करता था. उसके बाद उन्हें अपने जाल में फंसा कर उनकी तस्वीरें हासिल करता था. तस्वीरों को एडिट कर न्यूड फोटो वीडियो बनाकर उसे वायरल कर देता था और ब्लैकमेल करना शुरू करता था. आरोपी शातिर अपराधी है. उसने सोशल मीडिया पर अपनी एक प्रोफाइल बना रखी है. वह खुद को काफी अमीर बताता है.
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केस स्टडी: 02
2022 में एक युवकी का मामला सामने आया था. जब उसके साथी ने एआइ टूल का इस्तेमाल करते हुए उसकी तस्वीर को डीपफेक तस्वीर बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. उस फोटो को सामान्य देखने पर समझ पाना मुश्किल था कि वह डीपफेक है. साइबर सेल की मदद से उस तस्वीर की सच्चाई सामने आयी थी.
कंटेंट को देखकर और पढ़कर ही शेयर करें
जब भी कोई कंटेंट आता है, तो सबसे पहले उसे समझें. पहले इनफाॅरमेशन को पढ़ें. इसके बाद ही शेयर करें. डीपफेक का मामला भी ऐसा ही है. अब डीपफेक पर सरकार भी सख्ती बरत रही है. इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ बैठक हो चुकी है. लोगों को भी सोशल मीडिया के टूल्स को जानने के लिए थोड़ा जागरूक रहना होगा, तभी डीपफेक वीडियो को समझ पायेंगे. इसलिए सोशल मीडिया पर आने वाले कंटेंट को देखकर और पढ़कर ही शेयर करें. थोड़ा रिसर्च जरूर करें. कई एडवांस लेबल के टूल्स हैं, जिसके बारे में जानकारी रखें. – मेजर विनीत कुमार, ग्लोबल प्रेसिडेंट, साइबर पीस फाउंडेशन
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