रांची. अपार्टमेंट के नक्शे में स्वीकृत कॉमन यूटिलिटी का एरिया कॉमन ही रहेगा. एक बार नक्शा स्वीकृत होने के बाद कॉमन एरिया को बाद में संशोधित नहीं किया जा सकता है. झारखंड हाइकोर्ट की एकल पीठ ने उक्त आदेश दिया था, जिसे खंडपीठ ने सही ठहराया था. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है. मोरहाबादी स्थित 12 मंजिला रतन हाइट्स बिल्डिंग के मामले में दायर स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी खारिज कर दिया. साथ ही झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओक व जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ में हुई.
झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अशोक कुमार वालमजी परमार व अन्य की ओर से एसएलपी दायर किया गया था. प्रार्थियों ने झारखंड हाइकोर्ट के 17 मई 2024 के आदेश को चुनौती दी थी. हाइकोर्ट के तत्कालीन एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देनेवाली जमीन मालिक व बिल्डर की अपील याचिकाओं को खारिज कर दिया था. खंडपीठ ने एकल पीठ के 13 जुलाई 2023 के आदेश को सही ठहराया था. एकल पीठ ने नगर आयुक्त द्वारा संशोधित नक्शा पास किये जाने के आदेश तथा संशोधित नक्शे को रद्द कर दिया था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी वीकेएस रियलिटी व अन्य की ओर से अलग-अलग अपील याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थियों ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी.
क्या है एकल पीठ का आदेश
फ्लैट्स ओनर्स एसोसिएशन के अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने बताया कि झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की एकल पीठ ने 13 जुलाई 2023 को रतन हाइट्स बिल्डिंग में दरार आने के मामले में दायर याचिका पर फैसला सुनाया था. पीठ ने रांची नगर निगम द्वारा स्वीकृत संशोधित नक्शा को रद्द कर दिया. साथ ही जमीन मालिक व बिल्डर वीकेएस रियलिटी को एक माह में गड्ढा भर कर जमीन सोसाइटी को हैंडओवर करने का निर्देश भी दिया था. नक्शा में कॉमन यूटिलिटी व फैसिलिटी के लिए जो एरिया निर्धारित था, वह कॉमन ही रहेगा. बाद में उस पर संशोधित नक्शा पास करना विधिसम्मत नहीं है. इसलिए स्वीकृत संशोधित नक्शा को निरस्त किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है