रांची : रिम्स में एमआरआइ जांच दो महीने से बंद है. इससे मरीजों को निजी रेडियोलॉजी सेंटर में जांच करानी पड़ रही है. रिम्स में एमआरआइ जांच के लिए 3,000 से 3,500 रुपये लगते हैं, जबकि निजी सेंटर में मरीजों को 6,000 से 7,000 रुपये देने पड़ रहे हैं. इससे मरीज परेशान हैं. सूत्रों के अनुसार, प्रतिदिन 10 से 15 मरीज निजी सेंटर में एमआरआइ जांच करा रहे हैं. इधर, सिंगल टेंडर की वजह से मशीन खरीद की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है. रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार खरीद प्रक्रिया को नियम संगत व सरल करने के प्रयास में जुटे हैं. उन्होंने रेडियोलॉजी विभाग के साथ बैठक कर इसकी पहल शुरू की है.
हेल्थ मैप में नि:शुल्क जांच बंद
इधर,रिम्स में सरकार द्वारा अधिकृत की गयी एजेंसी हेल्थ मैप ने भी दो साल से आयुष्मान भारत योजना सहित सभी तरह की नि:शुल्क जांच बंद कर दी है. एजेंसी का कहना है उसका तीन करोड़ का बिल लंबित है. इसलिए जांच बंद कर दी गयी है. वहीं, रिम्स का कहना है कि एजेंसी करार के अनुसार, अपनी सेवाएं नहीं दे रही है. प्रबंधन को यह भी आशंका है कि रिम्स के ही कर्मी मशीन खरीद और हेल्थ मैप को लाभ पहुंचाने की प्रक्रिया में संलिप्त हैं.
कार्डियोलॉजी और आई विभाग में भी मशीनें खराब
रिम्स के कार्डियोलाॅजी विभाग में एक टीएमटी और आई विभाग की कई जांच मशीनें खराब हैं. आई में बी-स्कैन मशीन खराब
रिम्स के विद्यार्थियों ने मानसिक रूप से बीमार युवक को पीटा
रिम्स के हॉस्टल नंबर आठ में शनिवार को विद्यार्थियों (सत्र 2021-22) ने एक मानसिक रूप से बीमार युवक की पिटाई कर दी. इसकी सूचना मिलने पर बरियातू पुलिस मौके पर पहुंची. विद्यार्थियों की भीड़ से युवक को बचाकर पुलिस थाने ले आयी. पिटाई से युवक के सिर, चेहरे और शरीर के कई हिस्से में गंभीर चोटें आयी हैं.
इधर, विद्यार्थियों का कहना है कि उक्त युवक हॉस्टल में घुसकर सामान चुरा रहा था. पूछने पर उसकी गतिविधि संदिग्ध लगी. हॉस्टल में सुरक्षा की लचर व्यवस्था और पुलिस की गश्ती नहीं होने से विद्यार्थी आक्रोशित थे. इधर, विद्यार्थियों के आक्रोश को देखते हुए बरियातू पुलिस ने रात साढ़े आठ बजे फ्लैग मार्च किया. पुलिस ने मानसिक रूप से बीमार युवक के परिजनों को ढूंढ़ निकाला. परिजनों की उपस्थिति में पुलिस ने घायल युवक का इलाज कराया.
अनुशासनात्मक कमेटी का गठन
रिम्स प्रबंधन ने विद्यार्थियों को अनुशासित करने के लिए अनुशासनात्मक कमेटी का गठन किया है. कमेटी में अधीक्षक, डीन, डीन स्टूडेंट वेलफेयर, मेडिसिन एचओडी, सर्जरी एचओडी, गाइनी एचओडी और माइक्राेबायोलॉजी एचओडी शामिल हैं.