विशेष बातचीत : संगीत के जुनून ने मुझे रेडियो से जोड़ा, 31 वर्षों में कई उतार-चढ़ाव देखे
अभिषेक रॉय (रांची). एक समय था जब मुझे बात करना नहीं आता था. अपनी बात रखने में संकोच होती थी. संगीत के प्रति मेरे जुनून ने ही मेरे लिए रेडियो के दरवाजे खोले. बतौर डीजे करियर की शुरुआत की और फिर एक निजी रेडियो चैनल से जुड़ गया. कुछ सीखने की चाह और जुनून ने मुझे कुछ ही दिनों में मेरा पहला लाइव शो दिलाया. इसके बाद मैं रुका नहीं, आज डीजे करते हुए 41 वर्ष और रेडियो से जुड़कर 31 वर्ष हो गये. यह बातें ””रेडियो मैन”” के नाम से मशहूर आरजे जिमी टैंगरी ने कही. वे टेडएक्स कांके के ””ए न्यू एरा”” कार्यक्रम में बतौर अतिथि वक्ता रांची पहुंचे हैं. उन्होंने प्रभात खबर के संवाददाता अभिषेक रॉय से विशेष बातचीत की. इस दौरान जिमी ने रेडियो के बदलते स्वरूप, अवसर और संभावनाओं पर अपनी बातें रखी. कहा कि रेडियो ही एकमात्र ऐसा माध्यम है, जहां लोग केवल सुनते हैं. अच्छा इंसान बनने के लिए दूसरों की सुनना जरूरी है. रेडियो में आज भी करियर संभावना है. अपनी बात करने की हिम्मत और हुनर जिनमें है, उनके लिए रेडियाे बाहें पसारे बैठा है.करोड़ों लोग आज भी सुनते हैं रेडियो
80 के दशक में रेडियो लोगों के लिए इमेजनरी ट्रांसफर (ख्याली दुनिया) का साथी था. रेडियो सुनकर लोग अपनी अलग दुनिया तैयार करते थे. उस दौर में रेडियाे लोगों के बीच पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म था. जिससे लोग चिट्ठियां लिखकर अपनी बात करते थे. फोन का जमाना आया तो कॉल करते थे. अपने सुझाव और संवेदना बातचीत के माध्यम से साझा करते थे. यह प्रक्रिया आज भी जारी है. करोड़ों लोग आज भी रेडियो को सुनते हैं.डिजिटल हो गया रेडियो
रेडियो अब डिजिटल हो गया है. आज रेडियो जॉकी (आरजे) को लोग देख सकते हैं. यह इंसान सिर्फ लोगों के ख्यालों में नहीं हैं. मेरा रेडियो चैनल ””फ्रेंड्स एफएम”” एक खास सॉफ्टवेयर री-स्ट्रीम का इस्तेमाल करता है, जिसे इस्तेमाल करने वाला विश्व का एकमात्र एफएम है. इसकी खासियत है कि व्यक्ति दुनिया के किसी भी कोने में हो, वह रेडियो के डिजिटल पेज पर लाइव आ सकता है. यह हाइब्रिड चैनल है. इससे रेडियो में भी अब- वॉक द टॉक, लाइव फ्रॉम लोकेशन, लोकेशन से लाइव इंटरव्यू, पॉडकास्ट होने लगे हैं. इससे लगातार रेडियाे के श्रोता बढ़ रहे हैं. डिजिटल माध्यमों के जरिये रेडियो की संवेदना श्रोताओं के बीच बढ़ गयी है.लोगों को जोड़ने का काम करता है रेडियो
सोशल मीडिया से लोग मिलते हैं पर आपस में जुड़ाव नहीं होता. जबकि, रेडियो के शो दो लोगों को संवेदना और भावना के साथ जोड़ने का काम करते हैं. बतौर आरजे मैंने 1996 में रेडियो के लिए शो शुरू किया था – ईमेल. इसके बाद लिटिल हार्ट्स, लव इन द एयर, डायरेक्ट दिल से जैसे शो किये. शो-डायरेक्ट दिल से बीते 28 वर्षों से जारी है. इस शो की विशेषता रही कि फोन कॉल से 38 जोड़े आपस में बातचीत से जुड़े, शादी हुई और आज खुशी जीवन बिता रहे हैं. नयी पीढ़ी के पास आज कई विकल्प है, बावजूद एक करोड़ लोग रेडियाे सुन रहे हैं. इसका बड़ा कारण है कि रेडियो आज भी लोगों के बीच संपर्क सूत्र का माध्यम है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है