Saraswati Puja 2023: मां शारदे की पूजा की तैयारी जोरों पर है. विद्या की देवी मां शारदे से आशीर्वाद पाने की आकांक्षा रखनेवाले विद्यार्थी वर्ग में खासा उत्साह है. इस बार वसंत पंचमी 26 जनवरी को है. इसे लेकर शहर और आसपास के क्षेत्रों में विशेष उमंग और उत्साह है. बाजार में चहल-पहल शुरू हो गयी है. छोटे-छोटे बच्चे घर-घर घूमकर चंदा इकट्ठा करने में लगे हैं. चौक-चौराहों पर युवा गाड़ियों को रोककर चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. मूर्तिकार भी मां सरस्वती की प्रतिमा के रंगरोगन का काम शुरू कर चुके हैं. दो वर्ष के बाद अब इस वर्ष वसंत पंचमी पर मूर्तिकारों की उम्मीदें काफी बढ़ी हैं. उन्हें उम्मीद है कि कोविड काल के नुकसान की भरपाई इस बार जरूर होगी. क्योंकि इस बार प्रतिमाओं की बुकिंग भी मूर्तिकारों के पास काफी हो रही है. स्कूल, कॉलेज और हॉस्टल सहित शिक्षण संस्थानों से मूर्तिकारों को ऑर्डर मिल रहे हैं. मूर्तिकार भी खुश हैं.
डोरंडा के पूजा सामान विक्रेता अमित कुमार ने बताया कि मां सरस्वती की प्रतिमाओं को कोलकाता के काली घाट और उल्टा डंगा से मंगाया गया है. ये मूर्तियां आठ इंच से तीन फीट तक की हैं. इनमें तीन तरह की प्रतिमा है. मिट्टी से बनी सफेद प्रतिमा, जो बिना सजावट की है, उसकी कीमत 125-250 रुपये तक है. वहीं कलर में सजावट के साथ मां की प्रतिमा 350-1500 के रेंज में उपलब्ध है. वहीं डेकोरेशन के साथ मां सरस्वती की प्रतिमा 1500-2500 रुपये तक के रेंज में उपलब्ध है. वहीं सिल्ली के बंता से भी कई मूर्तियां मंगायी गयी हैं, जो लोकल मिट्टी और कोलकाता की गंगा मिट्टी से तैयार की गयी है. इसकी कीमत 125-2500 तक है.
मूर्तिकार उमेश कहते हैं कि कोविड काल में कई पूजाओं का आयोजन सादगी संग सांकेतिक रूप से किया गया था. इसका असर मूर्तिकारों पर भी पड़ा था. मूर्तिकार रमेश पाल ने बताया कि कोरोना काल में मूर्तियों की डिमांड भी काफी कम हो गयी थी. पिछले साल सरस्वती मां की कई प्रतिमाएं लोग बुकिंग करके भी नहीं ले गये थे. 20-25 प्रतिमाएं बनकर रखी रह गयीं. लेकिन इस बार 25 दिसंबर के बाद से ही बुकिंग शुरू हो गयी है. बुकिंग के अलावा भी विभिन्न आकारों में मां सरस्वती की मूर्तियां बनायी जा रही हैं. कई लोग अंतिम समय में आकर मूर्ति की डिमांड कर रहे हैं.
सरस्वती पूजा को लेकर विभिन्न मूर्तिकारों के पास हर साइज की मां सरस्वती की प्रतिमा बन कर तैयार है. इसमें तीन फीट से लेकर 14 फीट तक की प्रतिमा की बुकिंग हो चुकी है. मूर्तिकारों के अनुसार छोटी-छोटी मां सरस्वती की प्रतिमा बिना बुकिंग के बनायी गयी है. इन्हें ज्यादातर घरों और शिक्षण संस्थानों में पूजा करने के लिए खरीदा जा रहा है. थड़पखना स्थित मूर्तिकार राम पाल ने बताया कि मूर्ति बनाने का ऑर्डर मिल रहा है. रांची के विभिन्न इलाकों से जैसे धुर्वा, नामकुम, खूंटी, रामगढ़, तमाड़ और बुंडू सहित अन्य जगहों से मूर्तियों के ऑर्डर मिले हैं. इस बार मूर्ति निर्माण का कार्य काली पूजा के बाद से ही करना शुरू कर दिये थे. हालांकि इस बार मूर्तियों की डिमांड बढ़ी है. 300 मूर्ति बनाकर तैयार कर चुके हैं. मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने का कार्य चल रहा है.
कचहरी रोड स्थित बिहार क्लब ट्रस्ट से जुड़े मूर्तिकार बनेश्वर पाल ने बताया कि मूर्ति बनाने का काम काफी तेजी से चल रहा है. अब तक 120 मूर्तियां बन कर तैयार हो चुकी हैं. इसे बनाने में चार मूर्तिकारों ने काफी मेहनत किया है. एक मूर्ति की लागत दो से तीन हजार रुपये तक पड़ती है.
मूर्तिकार विशाल प्रजापति ने बताया कि मूर्ति के लिए खड़ी मिट्टी और गंगा मिट्टी का प्रयोग होता है, जो कि विशेष तौर पर बंगाल से मंगायी जाती है. इनकी खासियत है कि यह मिट्टी मुलायम होती है. झारखंड की मिट्टी पथरीली होती है, जिसका मूर्तियां बनाने के लिए प्रयोग नहीं हो सकता है. फेस बनाने के लिए बंगाल की स्पेशल मिट्टी होती है.
स्कूल-कॉलेज में मां सरस्वती की पूजा के आयोजन की तैयारी जोरों से चल रही है. रांची विवि के यूजी, पीजी छात्रावास और यूजीसी छात्रावास में सरस्वती पूजा का आयोजन किया जा रहा है. इसे लेकर विद्यार्थियों ने तैयारी शुरू कर दी है. वहीं वीमेंस कॉलेज में हॉस्टल की छात्राएं भी पूजा करने की तैयारी में जुट गयी हैं.