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Ranchi news : राज्य में अब तक 146 लोग डेंगू की चपेट में, इनमें रांची के 51

यह आंकड़ा सरकारी अस्पतालों का है. अगर निजी अस्पतालों को शामिल कर दिया जाये, तो यह आंकड़ा 250 से अधिक हो सकता है.

रांची. राज्य में डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें, तो राज्य में इस साल एक जनवरी से 18 अगस्त तक 146 लोग डेंगू की चपेट में आये हैं. इनमें सबसे ज्यादा रांची जिले में 51 लोग डेंगू की चपेट में आये हैं. यह सरकारी आंकड़ा है. वहीं, डेंगू के कई मरीज निजी अस्पतालों व डॉक्टरों के क्लिनिक में भी इलाज करा रहे या करा चुके हैं. ऐसे में यह आंकड़ा 250 से अधिक हो सकता है. वर्तमान में रिम्स के आइसोलेशन वार्ड में डेंगू के तीन और मलेरिया के दो मरीज भर्ती हैं.

लार्वा की जांच कर प्रभावित लोगों की पहचान की जा रही है

हालांकि, राज्य का वेक्टर बोर्न डिजीज विभाग मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम में लगा हुआ है. राष्ट्रीय वैक्टर बोर्न डिजीज कार्यक्रम के तहत डेंजर जोन वाले जिलों में मच्छरों के लार्वा की जांच कर प्रभावित लोगों की पहचान की जा रही है. जांच के लिए जिलों को मशीन भी उपलब्ध करायी गयी है. इधर, राज्य के पश्चिमी सिंहभूम, पाकुड़, लोहरदगा, जामताड़ा और गोड्डा में डेंगू का एक भी मरीज नहीं है.

नहीं हो रहा मच्छरों पर नियंत्रण

राजधानी में ड्रेनेज सिस्टम के दुरुस्त नहीं होने का खमियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं. नालियां जाम रहने के कारण बारिश का पानी जहां-तहां जमा हो जाता है. इसमें मच्छरों के लार्वा तेजी से पनप रहे हैं. वहीं, हाल के दिनों में शहर की सफाई व्यवस्था भी चरमरा गयी है. गली-मोहल्लों से रोजाना कूड़े का उठाव नहीं हो रहा है. कूड़ा वाहन सात से 10 दिनों में एक बार आ रहे हैं. वहीं, शहर की 25 लाख आबादी को मच्छरों से राहत दिलाने के लिए नगर निगम के पास सिर्फ 11 फॉगिंग मशीनें हैं. इनमें भी एक से दो मशीन हमेशा खराब रहती है. इस कारण शहर के बड़े इलाके में फॉगिंग नहीं हो पाती है. सिर्फ वीआइपी एरिया में फॉगिंग की जाती है.

डेंगू के लक्षण और बचाव

तेज बुखार, मांसपेशी में दर्द, शरीर पर चकत्ते के निशान, कमजोरी, आंखों में दर्द व स्थिति बिगड़ने पर रक्तस्राव होना.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

बरसात के समय में मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. डेंगू का लार्वा साफ पानी में पनपता है. इसलिए घर में पानी जमा नहीं होने दें. फ्रीज, कूलर और टूटे हुए बर्तन से पानी हटा दें. सोते समय हमेशा मच्छरदानी का प्रयोग करें.

डॉ संजय कुमार, फिजिशियन, रिम्सB

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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