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Jharkhand Election 2024: 13 नवंबर को इन 13 हॉट सीटों पर रहेगी विशेष नजर, जानिए किसका रहा है दबदबा

Jharkhand Election 2024 : झारखंड में पहले चरण के मतदान 13 नवंबर को होने वाले हैं. ऐसे में 13 ऐसी हॉट सीटों हैं जिनपर इस दौरान नजर रहेगी.

Jharkhand Election 2024 : झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को है. पहले चरण में राज्य की 43 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा. इनमें से 13 हॉट सीट के प्रत्याशियों पर विशेष नजर होगी. इनमें वैसे प्रत्याशी हैं, जो या तो मंत्री, पूर्व मंत्री या उनके रिश्तेदार हैं. यहां इंडिया और एनडीए गठबंधन के अतिरिक्त कई ऐसे प्रत्याशी भी मैदान में हैं, जो चौंका सकते हैं. वैसे विधानसभा क्षेत्रों से अप्रत्याशित परिणाम आ सकते हैं. प्रभात खबर ने मतदान से तीन दिन पहले इन 13 सीटों पर विशेष रिपोर्ट तैयार की है.

बड़कागांव : 15 साल से कांग्रेस का है दबदबा

बड़कागांव सीट पर 15 साल से कांग्रेस का कब्जा है. कांग्रेस से यह सीट छीनने के लिए एनडीए प्रत्याशी रोशन लाल चौधरी लगे हैं. श्री चौधरी पहली बार भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पूर्व वह इस सीट से आजसू प्रत्याशी के रूप में भी में किस्मत आजमा चुके हैं. पिछले 15 साल से इस सीट पर योगेंद्र साव और उनके परिवार का कब्जा रहा है. इससे पूर्व इस सीट पर 15 साल रमेंद्र कुमार व 15 साल लोकनाथ महतो का कब्जा रहा है. श्री कुमार भाकपा और लोकनाथ महतो भाजपा के विधायक हुआ करते थे.

घाटशिला : मंत्री को चुनौती दे रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे

घाटशिला सीट से पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन पहली बार चुनावी मैदान में हैं. वह रामदास सोरेन को चुनौती देंगे. रामदास सोरेन झामुमो के दिग्गज नेता हैं. बाबूलाल सोरेन को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. बाबूलाल सोरेन अपने पिता चंपाई सोरेन के राजनीतिक रणनीतिकार रहे हैं. इस बार खुद चुनावी मैदान में हैं. राज्य गठन के बाद लगातार दो बार कोई भी दल यहां से चुनाव नहीं जीता है. एक बार कांग्रेस दो बार झामुमो और एक बार भाजपा का कब्जा रहा है.

पोटका : पहली बार चुनावी मैदान में पूर्व सीएम की पत्नी

पोटका से इस बार पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी पहली बार किस्मत आजमा रही हैं. इस सीट पर राज्य गठन के बाद भाजपा और झामुमो में टक्कर होता रहा है. दो बार भाजपा और दो बार झामुमो को जीत मिली है. मीरा मुंडा विधायक संजीव सरदार को चुनौती दे रही हैं. इस सीट पर अब तक बराबर की टक्कर होती रही है. पिछले चुनाव में संजीव सरदार ने भाजपा प्रत्याशी मेनका सरकार को 43 हजार वोट से हराया था. वहीं, पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस सीट पर करीब 12 हजार की बढ़त मिली थी.

जमशेदपुर पूर्वी : रघुवर दास की बहू हैं चुनावी मैदान में

जमशेदपुर पूर्वी सीट से इस बार जो भी जीतेगा, वह पहली बार विधायक बनेगा. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री सह ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू चुनावी मैदान में हैं. वहीं, पूर्णिमा के विरोध में महागठबंधन के प्रत्याशी पूर्व सांसद डॉ अजय कुमार मैदान में हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में पांच बार के विधायक रहे रघुवर दास को निर्दलीय सरयू राय ने हरा दिया था. श्री राय रघुवर दास की सरकार में ही उनके मंत्री थे. इस बार सरयू राय जमशेदपुर पश्चिमी से उम्मीदवार हैं.

सरायकेला : पहली बार भाजपा से चुनाव लड़ रहे चंपाई, गणेश महली से चुनौती

सरायकेला से पिछले विधानसभा चुनाव में पहले और दूसरे स्थान पर रहने वाले दोनों प्रत्याशी फिर मैदान में हैं. इस बार स्थिति अलग है. पिछली बार भाजपा के प्रत्याशी इस बार झामुमो के उम्मीदवार हैं. वहीं, झामुमो के टिकट पर लगातार पांच बार जीतने वाले चंपाई सोरेन भाजपा के प्रत्याशी हैं. भाजपा उनको आदिवासी के बड़े नेता के रूप में पेश कर रही है. वहीं. गणेश महली टिकट नहीं मिलने से झामुमो में चले गये हैं. दोनों ही नेताओं को अपने ही दल के नाराज कार्यकर्ताओं का सामना करना पड़ रहा है.

चाईबासा : दीपक बिरुआ के सामने भाजपा ने नया चेहरा दिया

लगातार तीन चुनाव जीतने वाले झामुमो के दिग्गज नेता दीपक बिरुआ के सामने चाईबासा सीट से भाजपा ने नया चेहरा दिया है. भाजपा ने गीता बलमुचू पर भरोसा जताया है. गीता बलमुचू पार्टी के महिला मोर्चा की सक्रिय कार्यकर्ता तथा पदाधिकारी रही हैं. वह अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं. पिछले चुनाव में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जेबी तुबिद को टिकट दिया था. वहीं, झामुमो ने दीपक बिरुआ पर भरोसा जताया है. वह झारखंड आंदोलन से जुड़े रहे हैं. आदिवासी हित के मुद्दे को लेकर सदन में भी सक्रिय रहे हैं.

खूंटी : वर्ष 2000 से लगातार विधायक हैं भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा

खूंटी भाजपा की सेफ सीटों में से एक रही है. वर्ष 2000 से लगातार इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी नीलकंठ सिंह मुंडा जीत दर्ज कर रहे हैं. रघुवर सरकार में नीलकंठ सिंह मुंडा मंत्री भी बने थे. एक बार फिर भाजपा ने नीलकंठ सिंह मुंडा पर भरोसा जताया है. वहीं, झामुमो ने राम सूर्य मुंडा को प्रत्याशी बनाया है. वह महागठबंधन के प्रत्याशी हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान खूंटी संसदीय सीट के इस विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा को 47 हजार से अधिक की बढ़त मिली थी.

रांची : सातवीं बार सीपी सिंह चुनाव मैदान में, महुआ माजी दे रहीं चुनौती

रांची विधानसभा सीट पर भाजपा का पिछले 28 वर्षों से कब्जा है. यहां से भाजपा प्रत्याशी वर्ष 1996 से लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं. सीपी सिंह को भाजपा ने सातवीं बार प्रत्याशी बनाया है. पिछले चुनाव में इस सीट पर झामुमो की महुआ माजी ने कड़ी चुनौती दी थी. सीपी सिंह सिर्फ 5904 वोट से जीत दर्ज कर पाये थे. एक बार फिर महुआ माजी झामुमो के टिकट से चुनाव मैदान में उतरी हैं. ऐसे में जनता की निगाहें इस सीट पर बनी हुई हैं. महुआ माजी फिलहाल राज्यसभा की सदस्य हैं. उनका चार साल का कार्यकाल बचा हुआ है.

हटिया : हर बार अलग-अलग दल से जीते हैं नवीन, कांग्रेस ने अजय पर फिर लगाया दांव

हटिया से नवीन जायसवाल पिछले 12 वर्षों से विधायक हैं. वह अलग-अलग दल से चुनाव लड़ कर इस सीट से जीत दर्ज करते रहे हैं. वर्ष 2012 में हुए उप चुनाव में नवीन जायसवाल पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद वर्ष 2014 में उन्होंने जेवीएम के टिकट से चुनाव जीता. वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा के टिकट से चुनाव जीते थे. इस बार भी उन्हें भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. इनके खिलाफ कांग्रेस अजयनाथ शाहदेव चुनाव मैदान में हैं. अजय ने पिछले चुनाव में नवीन जायसवाल को कड़ी चुनौती दी थी.

गढ़वा : झामुमो-भाजपा के बीच सपा बना कोण

गढ़वा सीट पर इस बार विधानसभा का अनुभव रखने वाले तीन-तीन प्रत्याशी आमने-सामने हैं. वर्तमान मंत्री मिथिलेश ठाकुर महागठबंधन के उम्मीदवार हैं. वहीं, भाजपा ने पूर्व विधायक सत्येंद्र तिवारी को मैदान में उतारा है. चुनावी मैदान में पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह भी आ गये हैं. उन्होंने सपा से टिकट लेकर गढ़वा के चुनावी मैदान को रोचक बना दिया है. तीनों एक-दूसरे का खेल बिगाड़ने में लगे हैं. इस सीट पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर है. वहीं, श्री तिवारी इस सीट से 2009 व 2014 में विधायक का चुनाव जीत चुके हैं.

भवनाथपुर : भाजपा ने भानु व झामुमो से अनंत प्रताप पर जताया भरोसा

भवनाथपुर सीट से तीन बार विधायक रह चुके भानु प्रताप शाही एक बार फिर से मैदान में हैं. इन्हें एक बार फिर भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. वहीं, इस सीट पर एक बार फिर से झामुमो ने श्री शाही के खिलाफ अनंत प्रताप देव को चुनाव मैदान में उतारा है. श्री शाही वर्ष 2005 में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के टिकट से चुनाव लड़ कर विधायक बने थे. 2009 में श्री शाही कांग्रेस प्रत्याशी अनंत प्रताप देव से पराजित हो गये थे. वर्ष 2014 में भी श्री शाही चुनाव जीते थे. 2019 में श्री शाही भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर जीते थे.

जमशेदपुर पश्चिमी : चिर प्रतिद्वंदी बन्ना व सरयू एक बार फिर आमने-सामन

जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर सबकी नजर है. इस सीट पर वर्तमान मंत्री बन्ना गुप्ता का मुकाबला पूर्व मंत्री सरयू राय से है. दोनों राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं. सरयू राय एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी हैं. जदयू ने उनको टिकट दिया है. वहीं, महागठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार बन्ना गुप्ता हैं. 2014 में सरयू राय चुनाव जीते और रघुवर सरकार में मंत्री बने. 2019 में इन्होंने भाजपा से बगावत कर जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ा और रघुवर दास को पराजित किया था. वहीं, 2019 में इस सीट से बन्ना गुप्ता चुनाव जीते थे.

लोहरदगा : दिग्गज कांग्रेसी के सामने आंदोलनकारी की पत्नी

लोहरदगा विस सीट से मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव की साख दांव पर है. यहां महागठबंधन के दिग्गज प्रत्याशी रामेश्वर उरांव के सामने झारखंड आंदोलनकारी रहे कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत हैं. नीरू शांति भगत को एनडीए ने प्रत्याशी बनाया है. वह आजसू कोटे से चुनाव लड़ रही हैं. कमल किशोर भगत इस विधानसभा क्षेत्र का दो-दो बार नेतृत्व कर चुके हैं. राज्य गठन के बाद कांग्रेस का भी दो बार कब्जा रहा है. श्री उरांव वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ कर विधायक बने.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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