प्रतिनिधि, रातू : बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए शिक्षा के साथ-साथ कला एवं संस्कृति भी जरूरी है. झारखंड जैसे समृद्ध राज्य में कलाकारों व हुनरबाज़ों की कमी नहीं है. सिर्फ उन्हें उचित मार्गदर्शन व प्रशिक्षण की आवश्यकता है. उक्त बातें राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन ने मंगलवार को रातू के डायट में स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग झारखंड सरकार व झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राज्यस्तरीय कला उत्सव के उदघाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही. उन्होंने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें अपनी कलात्मक प्रतिभा को प्रोत्साहित कर भविष्य में उसे एक कैरियर विकल्प के रूप में निखारने की सलाह दी. श्री रंजन ने अपने जीवन का उदाहरण दिया. कहा कि प्रतिभागियों को देश की सबसे कठिन परीक्षा ””संघ लोक सेवा आयोग”” में भी कलात्मक प्रतिभाओं के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति 2020 की अवधारणा के अनुरूप कला उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इसका बच्चों में समग्र और व्यापक शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान है. राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी धीरसेन सोरेंग ने कहा कि राज्य सरकार का शिक्षा विभाग और झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद कला को प्रोत्साहित करने को प्रतिबद्ध है. कला महोत्सव भाषा, संस्कृति और स्थानीय प्रतिभाओं के प्रोत्साहन के लिए एक बेहतरीन मंच है. कला व संस्कृति हमारी धरोहर है. हमारा कर्तव्य है कि हम इसे जीवन पर्यन्त भर कर रखें. कहा कि वर्ष 2023 में राष्ट्रीय कला महोत्सव में झारखंड ने 10 में से तीन पदक अपने नाम किया था. हमारी कोशिश है कि हम इस वर्ष भी राष्ट्रीय कला महोत्सव में अधिक-से-अधिक पदक झारखंड को दिला पाये. पद्मश्री मधु मंसूरी ने कहा कि आज कल शराब पीकर कला का प्रदर्शन करना एक फैशन बन गया है. यह न केवल कला संस्कृति का बल्कि भारतीय भूमि का भी अपमान है. हमें कला संस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहिए. कार्यक्रम में प्रदेश के 24 जिला के 641 प्रतिभागी अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करेंगे.
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