रांची. सुप्रीम कोर्ट ने रांची की बूटी बस्ती निवासी बीटेक की छात्रा से दुष्कर्म के बाद उसे जला कर मार डालने के मामले में सजायाफ्ता राहुल कुमार की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है. उसकी एसएलपी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस पंकज मिथल व जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने फांसी पर रोक लगाते हुए झारखंड हाइकोर्ट व रांची की निचली अदालत के रिकॉर्ड की अनुवादित प्रति पेश करने का निर्देश दिया. पीठ ने कहा कि मृत्युदंड की तामील पर रोक रहेगी. रजिस्ट्री ऑनलाइन प्रति के अलावा निचली अदालत और हाइकोर्ट से रिकॉर्ड की प्रति हासिल करें. झारखंड हाइकोर्ट ने बिहार के नवादा जिले के रहनेवाले राहुल कुमार को निचली अदालत द्वारा दी गयी मौत की सजा की नौ सितंबर 2024 को पुष्टि की थी.
अभियुक्त ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है एसएलपी
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राहुल कुमार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गयी है. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की खंडपीठ ने नौ सितंबर 2024 को फैसला सुनाते हुए राहुल की अपील याचिका को खारिज कर दिया था. रांची सीबीआइ की विशेष अदालत के फांसी की सजा संबंधी आदेश को सही पाते हुए उसे बरकरार रखा. वहीं, राज्य सरकार की अपील याचिका को स्वीकार करते हुए राहुल कुमार को दी गयी फांसी की सजा को कंफर्म कर दिया. रांची सीबीआइ की विशेष अदालत ने मामले में राहुल को 20 दिसंबर 2019 को दोषी करार दिया था. बीटेक की छात्रा से दुष्कर्म व जला कर मारने की घटना को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ की श्रेणी में बताते हुए 21 दिसंबर 2019 को आरोपी को फांसी की सजा सुनायी थी.छात्रा की हत्या से आक्रोशित लोग सड़कों पर उतरे थे
15 दिसंबर 2016 की देर रात बूटी बस्ती निवासी बीटेक की छात्रा के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी जला कर हत्या कर दी गयी थी़. 16 दिसंबर को मामला प्रकाश में आया और सदर थाना की पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू की. रांची का यह ‘निर्भया कांड’ राज्य के लिए हाई प्रोफाइल मामला बन गया था़. काफी प्रयास के बाद भी पुलिस मामले का खुलासा नहीं कर पा रही थी. इधर, हत्या के आरोपी की गिरफ्तारी की मांग करते हुए आमलोग सड़कों पर उतर गये. बाद में एसआइटी का भी गठन हुआ, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. मार्च 2017 में यह केस सीआइडी को सौंपा गया. जब सीआइडी को भी जांच में सफलता नहीं मिली, तो राज्य सरकार ने मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दिया़. मई 2018 में मामले को सीबीआइ के हैंडओवर किया गया था़.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है