रांची (विशेष संवादादता). रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विवि, झांसी के अनुसंधान निदेशक डॉ एसके चतुर्वेदी ने बीज उत्पादन कार्यक्रम में स्नातक अंतिम वर्ष और मास्टर डिग्री के छात्रों को भी संलग्न करने पर जोर दिया है ताकि उनके माध्यम से उन्नत फसल प्रजातियों का संदेश पूरे राज्य में फैल सके. उन्होंने कहा कि दलहन, तिलहन एवं अन्य फसलों में बेहतर उत्पादन क्षमता वाली रोगरोधी प्रजातियों की कमी नहीं है, उनके प्रति किसानों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. डॉ चतुर्वेदी शुक्रवार को बिरसा कृषि विवि में बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर दलहन-तिलहन उत्पादन पर आयोजित विशेष व्याख्यान में बोल रहे थे. डॉ चतुर्वेदी ने कहा कि झारखंड के रांची और पूर्वी सिंहभूम जिला में तिलहन के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों में सराहनीय कार्य हुआ है जिसे अन्य जिलों में भी फैलाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्रांत की मध्यम भूमि में 100 से 110 दिनों में परिपक्व होने वाली सरसों की किस्म पूसा -25 और पूसा -26 लगायी जा सकती है. केंद्र सरकार की योजना के तहत राज्य के चार जिलों में सीड हब बनाया जाना है. उन्होंने कहा कि दलहन उत्पादन के अंतर्गत झारखंड में देश की दो प्रतिशत भूमि रबी में तथा तीन प्रतिशत भूमि खरीफ में आच्छादित रहती है. विवि के कुलपति डॉ एससी दुबे ने कहा कि बिरसा मुंडा में संगठन कौशल और रण कौशल अद्वितीय था. आगंतुकों का स्वागत कुलसचिव डॉ नरेंद्र कुदादा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ जगरनाथ उरांव ने किया. वानिकी संकाय के छात्र पंकज तथा वेटनरी संकाय की छात्रा प्रतिभा ने भी बिरसा भगवान के जीवन दर्शन पर अपने विचार रखे. संचालन शशि सिंह ने किया.
विद्यार्थियों ने निकाली शोभा यात्रा
इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने सुबह में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग कॉलेज से बिरसा भगवान की प्रतिमा स्थल तक आकर्षक शोभायात्रा निकाली. सांस्कृतिक प्रभारी डॉ अरुण कुमार तिवारी के समन्वयन में विद्यार्थियों ने गीत, संगीत, नृत्य और नाटक का रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया.
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