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Ranchi news : दो साल बाद भी रैयतों को सुओ-मोटो म्यूटेशन सिस्टम का नहीं मिल रहा लाभ

रैयतों को म्यूटेशन के लिए रजिस्ट्री कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. कई मामलों में फिर से म्यूटेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन करना पड़ रहा है.

रांची. राज्य में दो साल बाद भी सुओ-मोटो म्यूटेशन सिस्टम कारगर नहीं हो सका है. यही वजह है कि इस सिस्टम का लाभ यहां के रैयतों को नहीं मिल पा रहा है. जमीन की रजिस्ट्री के बाद स्वत: म्यूटेशन होने का सरकारी प्रयास धरा रह गया. इस सिस्टम से केवल यही हो रहा है कि निबंधन के बाद दस्तावेज सीओ कार्यालयों को म्यूटेशन के लिए भेज दिये जा रहे हैं. इसके आगे कुछ भी नहीं हो पा रहा है. ऐसे में रैयतों को खुद म्यूटेशन के लिए रजिस्ट्री कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. कई मामलों में फिर से म्यूटेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन करना पड़ रहा है. इसके बाद डीड की हार्ड कॉपी सहित अन्य दस्तावेज को लेकर सीओ कार्यालयों में उप निरीक्षकों के पास हाजिरी लगानी पड़ रही है.

रैयतों के पहुंचते ही शुरू होता है खेल

रैयतों के सीओ कार्यालय पहुंचते ही खेल शुरू हो जाता है. दस्तावेज की जांच, जमीन की मौजूदा स्थिति, मापी व दखल का हाल आदि के नाम पर कर्मचारी से लेकर ऊपर तक खेल होने लगता है.

क्या है सुओ-मोटो म्यूटेशन सिस्टम

-राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली पोर्टल (एनजीडीआरएस) से भूमि के निबंधन के बाद निबंधित डीड रियल टाइम बेसिस पर दाखिल-खारिज के लिए झारभूमि पोर्टल अंतर्गत अंचलाधिकारी के लॉगिन में जायेगा.

-एनजीडीआरएस पर निबंधित डीड अपलोड होने के बाद दाखिल-खारिज के लिए अंचल कार्यालय में डीड भेजे जाने की सूचना क्रेता को एसएमएस के माध्यम से म्यूटेशन केस नंबर के साथ मिलेगी. फिर आवेदक अपने म्यूटेशन केस को झारभूमि पोर्टल पर ट्रैक कर सकेंगे.

-पोर्टल पर दाखिल-खारिज आवेदन प्राप्त होने के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए उसके निष्पादन के लिए अंचलाधिकारी कार्रवाई शुरू करेंगे.

– फिर अंचलाधिकारी द्वारा जांच के बाद नियमानुकूल दाखिल-खारिज वाद का निष्पादन किया जायेगा.

-प्रक्रिया के सुचारू संचालन के लिए तकनीकी पहलुओं की जिम्मेवारी स्टेट एनआइसी की होगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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