कोलकाता/रांची (जे कुंदन) : ट्रेन में अकेली महिला यात्रियों को अब चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. उनकी सुरक्षा के लिए व्हाट्सएप्प (WhatsApp) है न! सुनकर थोड़ा अटपटा लगता होगा, लेकिन यह सच है. भारतीय रेलवे ने अकेली महिला यात्रियों को सुरक्षा का एहसास कराने के लिए एक अभिनव पहल की है, जिसमें सोशल मीडिया एप्प WhatsApp की अहम भूमिका है. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अभी देश की 4 ट्रेनों में यह शुरुआत हुई है, जिसमें एक ट्रेन रांची से नयी दिल्ली के बीच भी चलती है. भारतीय रेलवे ने महिला यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ी हर Hindi News अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.
दूरगामी ट्रेनों में सफर करने वालीं महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए दक्षिण पूर्व रेलवे की ओर से ‘ऑपरेशन माइ सहेली’ नामक एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गयी है. इस प्रोजेक्ट के तहत पूरी यात्रा के दौरान ट्रेन में अकेली सफर कर रही महिला यात्रियों की सुरक्षा का ध्यान खास रखा जा रहा है. जिस स्टेशन से महिला यात्री अपनी यात्रा शुरू करती हैं, वहां से उनके गंतव्य स्टेशन तक.
महिला यात्रियों को सुरक्षा देने के साथ-साथ इसका उद्देश्य उनकी यात्रा को आरामदेह बनाना भी है. फिलहाल चार ट्रेनों में ही इस सेवा की शुरुआत हुई है. इनमें से तीन ट्रेनें पश्चिम बंगाल के हावड़ा स्टेशन से चलती हैं, जबकि एक झारखंड की राजधानी रांची से. रांची से नयी दिल्ली के बीच चलने वाली रांची-नयी दिल्ली राजधानी स्पेशल ट्रेन में महिलाओं को इस अभियान का लाभ मिल रहा है. हावड़ा से चलने वाली ट्रेनों का नाम यशवंतपुर दुरंतो स्पेशल, अहमदाबाद स्पेशल और मुंबई स्पेशल हैं.
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इस प्रोजेक्ट के लिए महिला आरपीएफ की एक टीम बनायी गयी है. ट्रेन खुलने से पहले टीम के सदस्य सभी कोच में गश्त करती हैं. टीम की सभी सदस्य ट्रेन में अकेली सफर कर रही महिला यात्रियों से संपर्क करती हैं और उनका मोबाइल नंबर ले लेती हैं. 40-50 महिला यात्रियों के मोबाइल नंबर लेकर उनका एक ब्रॉडकास्ट ग्रुप (एक तरह का व्हाट्सअप ग्रुप) बनाती हैं. सफर के दौरान अगर महिला यात्री को किसी तरह की परेशानी होती है, तो वह इस ग्रुप में अपनी समस्या रखती हैं.
इतना ही नहीं, महिला यात्रियों को बता दिया जाता है कि वह 182 नंबर पर डायल करके भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं. व्हाट्सएप्प ग्रुप में शिकायत मिलते ही महिला आरपीएफ की टीम हरकत में आ जाती है और यात्री की शिकायत को अगले अधिकारी के पास फॉरवर्ड कर देती है. ट्रेन के अगले पड़ाव पर आरपीएफ के अधिकारी शिकायतकर्ता की मदद के लिए पहुंच जाते हैं. वे उचित कार्रवाई भी करते हैं.
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यदि इसके आगे भी कार्रवाई की जरूरत हो, तो तत्काल इसकी सूचना वरीय पदाधिकारियों को दे दी जाती है. वे इसका संज्ञान लेते हैं और आवश्यक कार्यवाही करते हैं. आरपीएफ की टीम की जिम्मेवारी यहीं खत्म नहीं हो जाती. संबंधित महिला यात्री जब अपने गंतव्य स्टेशन पर ट्रेन से उतर जाती हैं, तब भी महिला आरपीएफ की टीम उस यात्री से संपर्क करती है और उनकी यात्रा के अनुभव की जानकारी उनसे लेती है. उल्लेखनीय है कि इस अभियान की शुरुआत निर्भया फंड से की गयी है. इसलिए रेलवे को इस पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ रहा है.
Posted By : Mithilesh Jha