रांची : झारखंड को बहुत जल्द फुलटाइम महानिदेशक (डीजीपी) मिल जायेगा. हेमंत सोरेन ने पांच अधिकारियों की सूची यूपीएससी (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) को भेज दी है. वर्तमान कार्यकारी पुलिस महानिदेशक एमवी राव, एसएन प्रधान, केएन चौबे, नीरज सिन्हा और अजय कुमार सिंह के नाम यूपीएससी को मंजूरी के लिए भेजा गया है. एमवी राव को कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाये जाने से पहले केएन चौबे प्रदेश के पुलिस महानिदेशक थे.
इस वक्त वह दिल्ली में पुलिस आधुनिकीकरण का काम देख रहे हैं. एसएन प्रधान सेंट्रल डेप्युटेशन पर हैं और एनडीआरएफ के महानिदेशक हैं. वहीं, अजय कुमार सिंह वायरलेस एडीजी हैं और नीरज सिन्हा एसीबी के डीजी. इस महीने के अंत में जब रेल डीजी वीएस देशमुख रिटायर हो जायेंगे, तब अजय कुमार सिंह को डीजीपी के पद पर प्रोन्नति मिलेगी.
दरअसल, डीजीपी की नियुक्ति के लिए सरकार कम से कम 5 नाम की अनुशंसा यूपीएससी से करती है. यूपीएससी इनमें से 3 नाम सरकार को बताती है और उनमें से किसी एक को पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया जाता है.
ज्ञात हो कि केएन चौबे को दिल्ली भेजने के बाद एमवी राव को राज्य का कार्यकारी पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है. याचिका में श्री राव की नियुक्ति के फैसले को चुनौती दी गयी है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि राज्य पुलिस प्रमुखों के तय कार्यकाल और वरिष्ठता के संबंध में शीर्ष न्यायालय के आदेशों का सरकार ने उल्लंघन किया है.
डीजीपी कमल नयन चौबे को 16 मार्च, 2020 को नयी दिल्ली के पुलिस मॉडर्नाइजेशन डिवीजन कैंप में विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) नियुक्त करने के बाद 1987 बैच के आइपीएस श्री राव को झारखंड के कार्यकारी डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था. गिरिडीह जिले के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले प्रह्लाद नारायण सिंह ने श्री राव को प्रभारी डीजीपी बनाये जाने के फैसले पर आपत्ति जतायी है. उन्होंने सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के ‘राजनीतिक हितों को संतुष्ट करने के लिए’ की गयी नियुक्ति करार दिया है.
याचिकाकर्ता ने कहा है कि झारखंड कैडर के आइपीएस अधिकारियों में वरीय क्रम में चौथे नंबर पर आने वाले श्री राव पहले से ही महानिदेशक (दमकल सेवा और होमगार्ड) का कार्यभार संभाल रहे हैं. कमल नयन चौबे की डीजीपी के तौर पर नियुक्ति के 10 महीने के भीतर ही उनका तबादला कर दिया गया, ताकि एमवी राव को नियुक्त किया जा सके. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वह झामुमो सरकार के चहेेते हैं.
याचिकाकर्ता ने झारखंड सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को वर्ष 2006 के प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार मामले में दिये गये सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया है. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की जनहित याचिका पर पुलिस सुधारों पर कुछ निर्देश जारी किये थे, जिसमें पुलिस प्रमुखों के लिए दो साल का कार्यकाल निर्धारित किया गया था और राज्यों में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति पर रोक लगायी गयी थी.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि कमल नयन चौबे ने 12वें डीजीपी के रूप में जून, 2019 में कार्यभार संभाला था. 31 मई, 2019 को तत्कालीन डीजीपी डीके पांडेय के रिटायर होने के बाद उन्होंने झारखंड पुलिस की कमान संभाली थी. 1986 बैच के झारखंड कैडर के आइपीएस अधिकारी केएन चौबे इसके पहले जुलाई, 2015 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में एडीजी के रूप में अपनी सेवा दे रहे थे.
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झारखंड पुलिस का महानिदेशक बनाये जाते समय कहा गया था कि केएन चौबे की सेवा अवधि 21 अगस्त, 2021 तक होगी. लेकिन, हेमंत सोरेन की सरकार सत्ता में आयी, तो उन्हें दिल्ली स्थित पुलिस आधुनिकीकरण डिवीजन कैंप में ट्रांसफर कर दिया गया. उनकी जगह एमवी राव को कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बना दिया गया. अब झारखंड सरकार ने फुलटाइम डीजीपी की नियुक्ति के लिए 5 आइपीएस अधिकारियों की सूची यूपीएससी को भेज दी है.
Posted By : Mithilesh Jha