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विश्व आदिवासी दिवस: आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो बोले, झारखंड का गौरवशाली इतिहास याद करने का है दिन

सुदेश कुमार महतो ने कहा कि राज्य सरकार इस दिवस के अवसर पर दो दिनों का महोत्सव मना रही है. यह महोत्सव समृद्ध आदिवासी जीवन दर्शन के तौर पर प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है. इसके लिए प्रमुख मार्गों और स्थानों पर बड़े बड़े होर्डिंग लगाए गए हैं. करोड़ों रुपये खर्च किये गए हैं.

रांची: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा कि यह दिन अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा को याद करते हुए मनाया जाता है. यह आदिवासी समाज की उपलब्धियों और योगदानों को स्वीकार्य करने का दिन है. देश की समृद्ध सामाजिक, सांस्कृतिक और धरोहरों में आदिवासियत भी समाहित है. भारत का पारंपरिक ज्ञान संसार इनके योगदान का ऋणी है. वर्ष 2023 का आदिवासी दिवस ‘युवा आदिवासियों’ पर केंद्रित है. यह थीम आत्मनिर्णय के लिए परिवर्तन के प्रेरक के रूप में युवा शक्ति के कार्यों को सलाम करता है. श्री महतो ने कहा कि आज के दिन सरकार को धरती पुत्रों के और आदिवासी समाज के लिए किये गए कार्यों से राज्य की जनता को अवगत करने का कार्य करना चाहिए था. मुख्यमंत्री को राज्य में हो रहे विकास और आने वाले समय में झारखण्ड किस रूप में नजर आएगा, इसकी तस्वीर पेश करनी चाहिए थी.

झारखंड में दो दिनों का महोत्सव

सुदेश कुमार महतो ने कहा कि राज्य सरकार इस दिवस के अवसर पर दो दिनों का महोत्सव मना रही है. यह महोत्सव समृद्ध आदिवासी जीवन दर्शन के तौर पर प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है. इसके लिए प्रमुख मार्गों और स्थानों पर बड़े बड़े होर्डिंग लगाए गए हैं, जिनके ऊपर करोड़ों रुपये खर्च किये गए हैं. ये होर्डिंग्स समृद्ध आदिवासी जीवन दर्शन के नाम पर केवल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और शिबू सोरेन को दर्शाने का कार्य कर रहे हैं. यह प्रदर्शन झारखण्ड की अस्मिता के साथ खिलवाड़ है. हमारा राज्य आंदोलन और बलिदान की उपज है. यह भूमि भगवान बिरसा, सिदो-कान्हो, चांद भैरव, तिलका मांझी, रघुनाथ महतो, फूलो झानो और ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के बलिदान और साहस का गवाह है. होर्डिंग लगाकर सरकार का यह प्रदर्शन आदिवास दिवस की थीम और राज्य के बलिदानियों का उपहास है.

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हेमंत सोरेन सरकार पर साधा निशाना

आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा कि आज के दिन सरकार को धरती पुत्रों के और आदिवासी समाज के लिए किये गए कार्यों से राज्य की जनता को अवगत करने का कार्य करना चाहिए था. मुख्यमंत्री को राज्य में हो रहे विकास और आने वाले समय में झारखण्ड किस रूप में नजर आएगा, इसकी तस्वीर पेश करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार केवल एक परिवार, एक व्यक्ति के बारे में बताने का कार्य कर रही है.

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झारखण्ड के गौरवशाली इतिहास को याद करने की जरूरत

श्री महतो ने कहा कि आज प्रदेश की वर्तमान स्थिति क्या है? आदिवासी समाज की किस स्थिति में खड़ा है? सरकार के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने का वादा क्या उस आखिरी व्यक्ति तक पहुंच भी पाया है क्या? इस सवाल का जवाब राज्य की जनता को देना है. हमारा झारखंड एक विशेष राज्य है. इसकी विशेषता इसकी संस्कृति और विविधता में है. अनुसूचित क्षेत्रों में 5वीं अनुसूची के प्रावधानों को अबतक सरकार ठीक से लागू नहीं करवा सकी है. झारखण्ड में जनजातीय समाज की सुरक्षा क गारंटी देने वाले इस कानून को बहस और विवाद में उलझाकर रख दिया गया है. झारखण्ड की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान को समाप्त करने का कार्य किया जा रहा है. हमें झारखण्ड के गौरवशाली इतिहास को याद करने की जरूरत है. उसका मूल्यांकन करने की आवश्यकता है. हमारा इतिहास और हमारा मूल्यांकन ही हम सबको हमारी मंजिल की तरफ ले जायेगा.

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झारखंड के मान सम्मान को देश पहचाने

झारखंड के मान सम्मान को देश पहचाने और आदर करें इसके लिए तैयार होना होगा इस धरती ने कभी भी अनादर और पीड़ा होने पर प्रतिकार किया है. अंग्रेजों, मुगलों और फिर सरकारी दमन के खिलाफ हम मर मिटने को तैयार रहें है. आदिवासी दिवस का यह दिन हमसे एक नया संकल्प मांगता है. कार्यक्रम के समापन पर मीडिया से बात करते हुए राज्य के पूर्व मंत्री सुदेश महतो ने आदिवासी समाज को प्रकृति का संरक्षक बताते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में युवा प्रतिभाओं का सम्मान कर उनके आगे आने के लिए प्रेरित किया गया है.

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