Jharkhand News: झारखंड विधानसभा स्थित सभा कक्ष में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पश्चिमी सिंहभूम जिला के जिला परिषद सदस्य और मुखिया संघ के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री से जिला परिषद को बेहतर और सुचारू तरीके से संचालन के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में पहल करने का आग्रह किया. इस पर सीएम ने आश्वस्त किया कि सरकार इस दिशा में बहुत जल्द यथोचित निर्णय लेगी.
संसाधन और राजस्व बढ़ाने की दिशा में काम करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला परिषदों को सेल्फ डिपेंडेंट बनने की पहल करनी होगी. इस दिशा में वे अपने अधीनस्थ संसाधनों का व्यवसायिक इस्तेमाल करने की कार्य योजना बनाएं. इसके साथ अपने क्षेत्राधिकार में आनेवाले जो भी संसाधन हैं, उनसे राजस्व को बढ़ाने की दिशा में भी आगे बढ़ें. इसमे जो भी सहयोग की जरूरत होगी, उसे सरकार पूरा करेगी.
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सरकार की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में सहयोग करें
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही है. इन योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में आप सहयोग करें, ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके. कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पंचायत स्तर पर दवा दुकान योजना शुरू करने का निर्णय लिया है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षित युवाओं को दवा दुकान संचालन का लाइसेंस दिया जा रहा है. इस योजना को मजबूती देने के साथ दवा दुकान का लाइसेंस लेने वाले युवाओं को पूरा सहयोग दें.
सिदो -कान्हू क्लब का हो रहा गठन
सीएम ने कहा कि राज्य में खेल और खिलाड़ियों के विकास के लिए सिदो-कान्हू क्लब का गठन किया जा रहा है. इसके जरिए युवाओं को खेल के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा. सरकार की ओर से क्लब को खेल सामग्री देने के साथ आर्थिक सहायता भी दी जाएगी. यह क्लब समुचित और प्रभावी तरीके से काम करें, इसके लिए आप जैसे जनप्रतिनिधियों को भी अहम जिम्मेदारी निभानी होगी. इसके लिए आप सभी ग्रामीण क्षेत्र के खेल प्रतिभाओं को चिह्नित कर इस क्लब के माध्यम से आगे लाने का कार्य करें.
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इनकी रही उपस्थिति
इस मौके पर विधायक मथुरा प्रसाद महतो और सुखराम उरांव, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, जिला परिषद पश्चिमी सिंहभूम के अध्यक्ष लक्ष्मी सुरीन, उपाध्यक्ष रंजीत यादव और सदस्य शशि भूषण पिंगुआ, राज तुबिद, सुहागी मुर्मू और बसंती मुर्मू के अलावा मुखिया संघ के जिलाध्यक्ष हरिन तामसोय, महासचिव जगमोहन, उपाध्यक्ष दिनेश बाईपाई और समिति के सदस्य मौजूद थे.
जिला परिषद का उत्तरदायित्व
यह स्थानीय स्वशासी संस्था है, जो जिले के विकास और प्रशासनिक कार्यों का प्रबंध करती है. जिला परिषद जिलों में स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
इसका उत्तरदायित्व निम्नलिखित कार्यों को संपन्न करने का है :
जिले के विकास की योजना तैयार करना : जिला परिषद का प्रमुख कार्य जिले के विकास की योजना बनाना और इसे अमलीकरण के लिए समर्थन करना होता है. इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, जल संसाधन, पानी सप्लाई, सफाई, सुरक्षा, पर्यटन, कृषि, औद्योगिक विकास आदि जैसे कई क्षेत्रों में विकास की योजनाएं शामिल होती हैं.
सामाजिक कल्याण कार्यों को समर्थन करना : जिला परिषद के उद्देश्य में सामाजिक कल्याण कार्यों को समर्थन करना शामिल होता है, जैसे कि बाल विकास, महिला उत्थान, वृद्धा कल्याण, गरीबी उन्मूलन, दिव्यांग लोगों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराना आदि.
स्थानीय स्वशासन के अधीन नगरीय सुविधाएं : जिला परिषद को स्थानीय स्तर पर नगरीय सुविधाओं को प्रबंधित करने की जिम्मेदारी होती है, जिनमें सड़कें, पानी सप्लाई, सफाई, पार्क, बागवानी, बाजार, सार्वजनिक शौचालय, स्कूल, अस्पताल, विभिन्न सार्वजनिक सुविधाएं शामिल होती हैं.
विधायिका और प्रशासनिक कार्य : जिला परिषद के अधीन विधायिका और प्रशासनिक कार्य भी संपन्न होते हैं. इसमें परिषद में सदस्यों का चयन, समितियों का गठन, अध्यक्ष के चयन, बजट तैयारी, विधायिका बैठकें, सार्वजनिक नीतियों का पालन, आपातकालीन तैयारी, विवादों के समाधान, विभिन्न योजनाओं का अनुसरण आदि शामिल होते हैं.
इन सभी कार्यों को सम्पन्न करके जिला परिषद जिले के विकास और सामाजिक कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान देती है. यह स्थानीय स्तर पर नागरिकों की समस्याओं को समझती है और उनके लिए समाधान प्रदान करने का प्रयास करती है.
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पंचायतों का उत्तरदायित्व
पंचायत एक स्थानीय स्तर का प्रशासनिक एकत्रीकरण है जो ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय रूप से काम करता है. पंचायतों का उत्तरदायित्व ग्रामीण समुदायों में विकास और उन्नति को प्रोत्साहित करना है.
इनके प्राथमिक कार्यक्षेत्र में निम्नलिखित चीजें शामिल हो सकती हैं :
सार्वजनिक सुविधाएं : पंचायतों को स्थानीय स्तर पर सार्वजनिक सुविधाओं की व्यवस्था करनी होती है, जैसे जल, सड़क, बिजली, शौचालय आदि.
शिक्षा : उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के विकास और संचालन के लिए जिम्मेदारी होती है, जैसे स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों का प्रबंधन.
स्वास्थ्य : पंचायतों को स्वास्थ्य सेवाओं के विकास और प्रबंधन के लिए जिम्मेदारी होती है. यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेंटर और स्वच्छता उपायों का विकास करते हैं.
आर्थिक विकास : पंचायतों को ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए उचित योजनाएं बनाने और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदारी होती है.
ग्राम सभा : पंचायतों द्वारा ग्राम सभा का आयोजन और सभा के निर्णयों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदारी होती है. ग्राम सभा ग्रामीण समुदाय की प्रतिनिधि निकाय होती है और उनमें सुझाव देने के लिए जिम्मेदारी रखती है.
पंचायतों के उत्तरदायित्व के माध्यम से, सरकार स्थानीय स्तर पर सुविधाओं के विकास और जनसमर्थन का समर्थन करती है, ताकि ग्रामीण समुदायों को अधिक स्वशासन और समृद्धि मिल सके.
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