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सदर अस्पताल की अव्यवस्था के खिलाफ आमलोगों ने खोला मोर्चा, दिया धरना

अस्पताल में मेडिकल स्टाफ व दवाओं के साथ आवश्यक उपकरणों की भारी कमी का लगाया आरोप

साहिबगंज. सदर अस्पताल के मुख्य द्वार के बाहर बुधवार को सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक साहिबगंज की आम जनता ने सदर अस्पताल की अव्यवस्थाओं के खिलाफ मौन धरना दिया. धरना कार्यक्रम में नगर के दो दर्जन से अधिक लोग शामिल हुए. मौके पर प्रशांत शेखर ने कहा कि कुछ दिनों पहले छह वर्ष की मासूम बच्ची की मौत हो गयी थी. तीन डॉक्टर रहने के बावजूद भी इलाज सही समय पर नहीं हो पाया. उसके बाद जब जिला प्रशासन व डीसी साहब द्वारा कार्रवाई की गयी तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एवं झासा द्वारा ओपीडी का बहिष्कार किया गया है, जो बिल्कुल अनुचित है. आम जनता को इससे बहुत ज्यादा परेशानी होगी. ओपीडी के समय अगर कोई डॉक्टर छुट्टी में हैं, तो अस्पताल प्रबंधक का दायित्व बनता है कि उसके बदले किसी और डॉक्टर की ड्यूटी दी जाये. इमरजेंसी के समय जो डॉक्टर ड्यूटी पर हैं, उन्हें पोस्टमॉर्टम करने के लिए क्यों भेजा जाता है. अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करने पड़ता है. बच्चों की ओपीडी में डॉक्टर उपलब्ध नहीं रहते हैं. महिला डॉक्टर के लिए जब ऑन कॉल ड्यूटी की सुविधा दी गयी है, उसके बाद भी सही समय पर नहीं आती है. बेहोश करने वाले डॉक्टर की ड्यूटी बोरियो एवं राजमहल में है, जबकि सबसे ज्यादा ऑपरेशन साहिबगंज सदर अस्पताल में होता है. सही समय पर बेहोश करने वाले डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने की वजह से बहुत बच्चों की जान गयी है. 108 एम्बुलेंस की सुविधा दी गयी है, वह समय पर उपलब्ध नहीं होता है. जितनी भी 108 गाड़ियां हैं, उसका मेंटेनेंस नहीं है. प्रशांत शेखर ने कहा कि महिला ओपीडी बंद रहता है. ज्यादातर दवा गरीब मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ता है. डीएस ओपीडी की ड्यूटी क्यों नहीं करते. इंजेक्शन सिरिंज एवं अन्य मेडिकल किट समय पर उपलब्ध नहीं हो पाता है, जबकि भरपूर स्टॉक भेजा जाता है. उन्होने कहा कि आये दिन हमें सदर अस्पताल में कुछ ना कुछ घटनाएं सुनने को मिलती है. डॉक्टर बेशक अपना प्राइवेट क्लीनिक चलायें, परंतु ड्यूटी के समय अस्पताल में पूरे समय उन्हें देने की आवश्यकता है. हमलोग बेहतर इलाज, सफाई व्यवस्था और कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं. मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. इससे उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. समय पर डॉक्टरों की उपलब्धता नहीं होने से गंभीर बीमारियों के मरीजों को दूर-दराज के बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है, जिससे आर्थिक और शारीरिक दोनों तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आमलोगों का कहना है कि अस्पताल में न केवल मेडिकल स्टाफ की कमी है, बल्कि दवाओं और आवश्यक उपकरणों की भी भारी कमी है. इसके अलावा अस्पताल की सफाई व्यवस्था बेहद खराब है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है. धरना कार्यक्रम में प्रशांत शेखर, मुरलीधर तिवारी, प्रमोद झा, ज्योति शर्मा, अमित कुमार गुप्ता, संतोष मोदी, लक्ष्मी कुमार, सौरभ जयसवाल, सियाराम यादव, आलोक कुमार, आनंद कुमार, विशाल ठाकुर, रोशन पासवान, विकास कुमार, अंशु पासवान, मोहम्मद इरशाद आलम, शिव कुमार पंडित, पंकज कुमार, सुजीत कुमार, अभिषेक कुमार सहित इलाज कराने आये मरीज के परिवार मौजूद थे.

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